Saturday, July 27, 2024
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हरे चारे की कमी होगी दूर, किसान कर रहे लोबिया की खेती

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  • कई बार कटाई वाली फसल उगा रहे किसान

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए किसान कई बार कटाई वाली फसल लगा सकते हैं। इसके लिए लोबिया एक बेहतर विकल्प है। लोबिया की फसल लगाने से किसान हरे चारे की कमी से छुटकारा पा सकते हैं। लोबिया एक तेजी से बढ़ने वाली दलहनी चारा फसल है। यह अधिक पौष्टिक और पाचक है। इससे पशुओं के दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होती है।अप्रैल का महीना आरंभ हो चुका है।

ऐसे में तापमान में इजाफा हो रहा है, जिस कारण खेतों में नमी की मात्रा कम होती जा रही है। इस कारण हरे चारा की उपलब्धता में कमी आ रही है। आने वाले कुछ दिनों में पशुपालकों को हरे चारे के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। इसलिए किसान समय रहते ही हरे चारे की व्यवस्था करनी शुरू कर दी है। जिससे आने वाले समय में पशु को पर्याप्त चारा मिल सके। हरे चारे की कमी से दुग्ध उत्पादन क्षमता पर असर पड़ता है और कमाई भी घटती है। ऐसे में यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद है।

लोबिया की खेती के लिए जरूरी बातें

लोबिया की खेती करने के लिए किसानों को अच्छी जलनिकासी वाली खेत का चुनाव करना होगा। सबसे खास बात है कि इसे हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। इससे किसानों को खेत का चयन करने के लिए ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर किसान के पास दोमट मिट्टी वाले खेत हैं तो यह पैदावार की दृष्टि से सबसे अच्छी है। खेत को तैयार करने के लिए अच्छे से जुताई जरूरी है। ऐसा करने से अंकुरण अच्छा होता है। किसान अगर लोबिया की खेती करना चाहते हैं तो यह समय उनके लिए काफी अच्छा है।

लोबिया की उन्नत किस्में

किसानों को सलाह दी जाती है कि पर्याप्त चारा के लिए लोबिया की उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें। उत्तर भारत में खेती करने के लिए लोबिया की प्रचलित उन्नत किस्म कोहिनूर है। वहीं श्वेता, बुंदेल लोबिया-2 और बुंदेल लोबिया-3 की खेती पूरे भारत में खेती कर सकते हैं। एक हेक्टेयर में लगाने के लिए 40 किलो ग्राम पर्याप्त है। अगर आप ज्वार और मक्का के साथ लोबिया लगाना चाहते हैं तो 20 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है। अगर सिंचाई की बात करें तो तापमान बढ़ने के साथ 8-10 दिन में सिंचाई करनी चाहिए।

हरे चारे की कमी से मिलेगा छुटकारा

हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए किसान कई बार कटाई वाली फसल लगा रहे हैं। इसके लिए लोबिया एक बेहतर विकल्प है। लोबिया की फसल लगाने से किसान हरे चारे की कमी से छुटकारा पा सकते हैं। लोबिया एक तेजी से बढ़ने वाली दलहनी चारा फसल है। यह अधिक पौष्टिक और पाचक है। इससे पशुओं के दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होती है। लोबिया के साथ सबसे अच्छी बात है कि यह खेत की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे किसान अगली फसल में लाभ ले सकते हैं। लोबिया साथ के खर-पतवार को नष्ट करके मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है। लोबिया को किसान खरीफ और जायद मौसम में उगा सकते हैं।

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