जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यम द्वितीया या भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे यमराज से मुक्ति का पर्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत कल 02 नवंबर, 2024 को रात 08 बजकर 21 मिनट पर हो चुकी है।
वहीं, इस तिथि का समापन 03 नवंबर, 2024 को होगा। पंचांग के आधार पर इस साल भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर 2024, दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर पधारे थे और उन्होंने अपनी बहन के प्रेम से प्रसन्न होकर यह वरदान दिया कि इस दिन जो बहन अपने भाई को प्रेमपूर्वक भोजन करवाकर तिलक लगाएगी, उसके भाई को यमराज का भय नहीं रहेगा। इस प्रकार यम द्वितीया भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और सौहार्द का प्रतीक है।
तिलक करने का महत्व
तिलक हिंदू धर्म में शुभता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। तिलक माथे पर लगाया जाता है, जो हमारे शरीर का महत्वपूर्ण स्थान है, इसे आज्ञा चक्र भी कहते हैं। इसे दिव्य ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, जो व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है। यम द्वितीया पर तिलक लगाने से भाई को नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है और उसकी आयु में वृद्धि होती है।
तिलक करने के नियम
तिलक का समय: भाई दूज का तिलक शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। आमतौर पर यह तिलक सुबह या दोपहर के समय किया जाता है। शुभ मुहूर्त का चयन कर भाई को तिलक करने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है।
तिलक के लिए सामग्री: तिलक के लिए हल्दी, चंदन, कुमकुम और अक्षत (चावल) का प्रयोग किया जाता है। चंदन शांति और मानसिक संतुलन का प्रतीक है, हल्दी शुभता और स्वास्थ्य का प्रतीक मानी जाती है, जबकि अक्षत अखंडता और संपूर्णता का प्रतीक होता है।
तिलक के बाद आरती: तिलक करने के बाद बहनें भाई की आरती उतारती हैं और भगवान से उसकी रक्षा और दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं। आरती के लिए दीपक, कपूर, और फूलों का उपयोग किया जाता है। आरती के समय बहनें भाई के चारों ओर घुमाकर उसे बुरी नजर से बचाने का प्रयास करती हैं।
भोजन और मिठाई का महत्व: तिलक और आरती के बाद बहनें भाई को मिठाई खिलाती हैं और भोजन करवाती हैं। यह भी यमराज के वरदान का हिस्सा है। बहन द्वारा दिए गए भोजन को ग्रहण करने से भाई के जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहता है।
तिलक के दौरान भगवान यमराज और यमुनाजी का ध्यान करें और उनसे भाई की रक्षा की कामना करें।
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