आजकल ज्यादातर माता-पिता व्यस्त रहते हैं और छोटे बच्चों के सर पर विद्यालय से मिलने वाले होमवर्क का अत्यधिक बोझ होता है। यही कारण है कि आधुनिक शिक्षा में ट्यूशन टीचर बच्चों की जरूरत बन गई है। गरीब से लेकर अमीर तक प्रत्येक अभिभावक की कोशिश होती है कि वे अपने बच्चों को पढ़ाई में मदद हेतु एक ट्यूशन टीचर जरूर दे, लेकिन अगर आपने भी अपने छोटे बच्चों के लिए ट्यूशन टीचर रखने का विचार किया है तो थोड़ी सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
ट्यूशन टीचर का चयन
आमतौर पर हम लोग ट्यूशन टीचर हेतु किसी ट्यूशन एजेंसी की मदद लेते हैं। ऐसी स्थिति में आप ट्यूशन टीचर के सिर्फ शैक्षणिक परिचय से अवगत हो पाते हैं। टीचर का व्यक्तित्व कैसा है? इससे आप अंजान रहते हैं लेकिन जिसे आप अपने बच्चों के भविष्य संवारने की जिम्मेदारी दे रहे हैं, उसके व्यक्तित्व से अनजान होना उचित तो नहीं है, बच्चे के लिए खतरनाक भी हो सकता है।
इसीलिए अगर ट्यूशन टीचर से आप पहले से थोड़ा बहुत परिचित हों, जैसे जिस विद्यालय में बच्चा पढ़ता है, उसी विद्यालय का कोई शिक्षक या पास पड़ोस का कोई मेधावी छात्र उपलब्ध हो तो वैसा ट्यूशन टीचर आपके बच्चे के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अगर किसी एजेंसी के जरिये ट्यूशन टीचर रखना हो तो टीचर का पूरा बैकग्राउंड जरूर जांच लें।
मनोवैज्ञानिक जांच
आजकल मीडिया में ट्यूशन टीचर द्वारा बच्चों को प्रताड़ित करने तथा यौन उत्पीड़न के समाचार लगातार आ रहे हैं। ऐसे में ट्यूशन टीचर रखने के पहले अभिभावक द्वारा या ट्यूशन एजेंसी द्वारा उसकी मनोवैज्ञानिक जांच आवश्यक है। हालांकि एजेंसीज हमेशा यह दावा करती हैं कि उन्होंने टीचर की मनोवैज्ञानिक जांच कर ली है, लेकिन अभिभावक एजेंसी द्वारा की गई जांच के आश्वासन से संतुष्ट होने के बजाय ट्यूशन टीचर से खुद कुछ मनोवैज्ञानिक सवाल पूछकर उसकी जांच करें।
जैसे आमतौर पर नौकरी पर रखने से पहले प्रतिभागी से साक्षात्कार में कुछ मनोवैज्ञानिक सवाल पूछ कर उसके व्यक्तित्व को समझने की कोशिश की जाती है। इसके लिए अभिभावक किसी मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता की सलाह भी ले सकते हैं।
ट्यूशन का कमरा
हमेशा ध्यान रखें कि ट्यूशन का कमरा बिल्कुल अलग एकांत में न हो जिससे टीचर बच्चे के साथ एकांत का फायदा उठाकर उसे प्रताड़ित करने या उसके यौन उत्पीड़न की कोशिश न करें। संभव हो तो ट्यूशन वाले कमरे में क्लोज सर्किट कैमरा जरूर लगाएं अन्यथा पढ़ाई के क्रम में बीच – बीच में टयूशन वाले कमरे में जाकर सतर्कता से ध्यान रखें ।
बच्चे को घर में बिल्कुल अकेले न छोड़ें
अक्सर ऐसा होता है कि बच्चे के माता -पिता दोनों ही काम पर जाते हैं और बच्चा स्कूल से जल्दी लौट आता है। अभिभावक के वापस लौटने से पूर्व ही ट्यूशन टीचर बच्चे को पढ़ाने आ जाते हैं या फिर ट्यूशन टीचर के साथ बच्चे को अकेला छोड़ अभिभावक किसी जरूरी या गैर-जरूरी काम से बच्चे को पढ़ता छोड़ घर से बाहर चले जाते हैं। यह वैसी स्थिति होती है, जब बच्चा शिक्षक के साथ घर में बिल्कुल अकेला होता है। ऐसी परिस्थिति बच्चे के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है तथा किसी बड़ी घटना का कारण भी बन सकती है।
बच्चों की पुस्तक और कॉपी की जांच
प्रतिदिन ट्यूशन टीचर के पढ़ाकर जाने के बाद बच्चे की किताब-कॉपी की जांच कर यह आकलन भी करते रहें कि टीचर बच्चे को कोर्स का कार्यकलाप ठीक से करवा पा रहा है या नहीं। कहीं टीचर बच्चे के दिमाग में पढ़ाई के अलावा कुछ और भी डालने की कोशिश तो नहीं कर रहा है, जो समाजिक रूप से गलत है या बच्चे के सकारात्मक मानसिक विकास के अनुरूप नहीं है।
बच्चे के व्यवहार में बदलाव
यह बेहद आवश्यक है कि ट्यूशन टीचर के रखने के बाद आप अपने बच्चे के व्यवहार पर ध्यान बनाए रखें। सजग रहें कि कहीं ट्यूशन टीचर रखने के बाद बच्चे के व्यवहार में कोई बदलाव तो नहीं आ रहा है। अगर बदलाव महसूस हो रहा हो तो तुरंत बच्चे से इस विषय पर बातचीत करें और साथ ही बदलाव का कारण जानने की कोशिश करें।
बच्चे से करते रहें बातचीत
ट्यूशन टीचर और पढ़ाई के बारे में बच्चे से हर दिन बात करते रहें, जिससे आपका बच्चा आपसे कुछ भी साझा करने से नहीं डरे। पढ़ाई के साथ टीचर के हाव-भाव पर भी बच्चे से बातचीत करते रहें। बच्चों को गुड टच और बैड टच से भी अवगत करवाएं और इस संदर्भ में भी ट्यूशन टीचर की गतिविधियों के बारे में बच्चे से बात करते रहें।
अमित कुमार अम्बष्ट ‘आमिली’