Saturday, July 27, 2024
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विक्टोरिया पार्क अग्निकांड: न्याय के इंतजार में 16 साल

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  • सुप्रीम कोर्ट का सहारा, पीड़ितों की 20 लाख रुपये की मांग
  • जस्टिस सिन्हा की रिपोर्ट में आयोजकों को 40 फीसदी दोषी माना

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: जिन लोगों ने 10 अप्रैल 2006 को विक्टोरिया पार्क में लगे कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स मेले के दौरान हुए भीषण अग्निकांड और उसमें बुरी तरह जली हुई लाशें और चीत्कार मार रहे घायल लोगों की कराह सुनी होगी उसे वो जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे। इस अग्निकांड में मरे 65 लोग और घायल 151 लोगोें की दर्दनाक कहानी हर किसी के जुबान पर बसी हुई है।

अग्निकांड की जांच के लिए बनाए गए जस्टिस गर्ग आयोग ने आग से बचाव के इंतजामों की सिफारिश की थी। किस्मत वाले वो लोग थे जो आग की लपटों में आने से बच गए और दर्दनाक कहानी का हिस्सा बन गए। 16 साल से इंसाफ की तलाश में पीड़ितों के परिवार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने में लगे हुए हैं।

बात 13 साल पहले की है। दिन 10 अप्रैल 2006। मेरठ के विक्टोरिया पार्क में लगा कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स का भव्य मेला सफलतापूर्वक खत्म हो रहा था और सभी लोग स्टॉल्स से लोग अपना सामान समेटना शुरू कर चुके थे। तीन दिन तक लगे इस मेले में त् बहुत भीड़ रही थी। मेले की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता था कि अप्रैल की गर्मी में, मेले के समापन के 15 मिनट पहले भी वहां करीब 3000 लोग एकत्र थे तभी उठी एक चिंगारी ने मंजर को भयावह बना दिया।

पल भर में सिर्फ शरीर से गिरती खालें और चीख पुकार ही सुनाई दे रही थी। जो आग में लिपटे बाहर भाग आए थे, वह खुद को बचाने के लिए जमीन पर गिर गए, कुछ गोबर में घुस गए। कुछ बचने के लिए इधर-उधर गिरते फिर उठते भाग रहे थे। कोई शरीर पर आग की लपटें लिए कराहते हुए बस रेत और मिट्टी ढूंढने के लिए दौड़ रहा था। मेला परिसर के बाहर मौजूद लोग भी मदद करने का प्रयास कर रहे थे,

लेकिन मौतों के आंकड़ों को कोई नहीं रोक पा रहा था। शॉर्ट सर्किट या फिर कुछ और कारण से उठी चिंगारी लोहे के फ्रेम पर प्लास्टिक की चादरों पर ऐसे गिरी कि चंद सेकंड में पंडाल के अंदर हाहाकार मच गया। प्लास्टिक का पंडाल उपर से पिघलता गया। भगदड़ मच गई। सब मेन गेट की ओर भागते गए। काफी लोग अंदर रह गए। बाहर भी कुछ आए।

अंदर से लोग आग की लपटें लिए आ रहे थे। आसपास के लोग भी तब तक यहां पहुंच गए थे, जिससे जो मदद हो सकती थी उसने की। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन सभी अस्पतालों में बर्न चिकित्सा की व्यवस्था नहीं थी। इस हादसे में 64 लोगों की मौत हुई, जबकि 161 लोग घायल हुए, जिनमें से 81 गंभीर रूप से घायल थे। बाद में एक की मौत और होने से मरने वालों की संख्या 65 पहुंच गई।

इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर न्यायिक आयोग पूर्व जस्टिस एसबी सिन्हा की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जा चुकी है। तमाम गवाहों और लंबी जांच के बाद इसका निष्कर्ष सामने आया। आयोग ने इस मेले के आयोजकों को घटना के लिए साठ प्रतिशत और सरकारी तंत्र को चालीस प्रतिशत दोषी माना। लेकिन पीड़ित लोगों का कहना है कि उन्हें इंसाफ नहीं मिला। पीड़ित पक्ष ने मृतकों के परिजनों के लिए 20-20 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी।

अब तक पीड़ित पक्ष को राज्य सरकार की तरफ से सात-सात लाख रुपये मुआवजा मिल चुका है। मेरठ विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति में अधिवक्ता रोहिताश्व कुमार अग्रवाल संरक्षक, अधिवक्ता सतीश चंद अध्यक्ष, संजय गुप्ता सचिव और राजीव गोयल कोषाध्यक्ष हैं। उनका मानना है कि उपहार कांड की तर्ज पर मुआवजे का निर्धारण किया जाए।

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