Saturday, July 27, 2024
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गेहूं की कटाई शुरू, गर्मी के कारण फसल का बदला रंग

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  • किसानों का सोना कही जाने वाली गेहूं की फसल हो गई पककर तैयार
  • सफेद बालियों वाले गेहूं की अपेक्षा लाल बालियों वाले गेहूं के दाने अधिक पुष्ट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: किसानों का सोना कही जाने वाली गेहूं की फसल पककर तैयार हो चुकी है। कई जगहों पर गेहूं की कटाई आरंभ हो गई है। हाथों से कटाई आरंभ हो गई है, जबकि कंबाइन से अभी तक कटाई का काम शुरू नहीं हुआ। अंदाजन आगामी तीन चार दिन में काम शुरू हो जाएगा। इस बार बढ़ते तापमान से गेहूं की फसल एकदम रंग बदल गई है। इससे फसल की पैदावार कम होने के आसार बन रहे हैं।

किसानों की मानें तो इन दिनों फसल का दाना बनने का वक्त होता है। जड़ों में हलकी नमी, हवा में औस व ठंडक जरूरी है परन्तु बढ़े हुए अधिक तापमान से दाने को झुलसा दिया है। दाना पकने से सही आकार नहीं करेगा। जो छोटे दाने रह गए हैं, उनकी क्वालिटी में भारी अंतर पड़ेगा। आगे चलकर मंडियों में किसानों को दिक्कत होगी।

गांव कुंडा के किसान बाबू, रामपाल व अजय ने बताया कि तापमान से गेहूं की बल्लियां मुड़ चुकी हैं। कच्चे दानों को सेक लगने से उनका आकार बारीक रह गया है। उन्होंने इस बार फसल की पैदावार घटते देखकर मजदूरों के माध्यम से हाथों से फसल की कटाई करवाई है। इससे तूड़ी अधिक निकलती है।

दूसरा आग लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। यूं तो 13 अप्रैल के आसपास कंबाइन से गेहूं की कटाई होना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार एक सप्ताह पहले काम शुरू होगा। कटाई के बाद तूड़ी बनाने का काम भी एक सप्ताह पहले निपट सकता है। कुल मिलाकर अप्रैल माह खत्म होने से पहले ही गेहूं की कटाई, तूड़ी बनाने व फसल बेचकर किसान फ्री हो जाएंगे।

गेहूं की फसल पककर तैयार

जिले में बोई गई गेहूं की फसल पककर लगभग तैयार हो गयी है। कई क्षेत्रों में सप्ताह भर से कटनी भी शुरू हो चुकी है। पककर तैयार गेहूं की कटनी के लिए किसान सुबह में ही सूर्य के उगने से पहले हाथ में हसिया लेकर अपने खेतों के लिए निकल जा रहे हैं। फिर दिन चढ़ने तक वापस घर लौट जा रहे हैं।

दोपहर बाद काटी गयी फसल का बोझा बांध माथे से ढोकर खलिहान ला रहे हैं या खेत में ही इकट्ठा कर रहे हैं। अगले 4 से 5 दिनों में इसकी दौनी भी शुरू हो जाने की बात की जा रही है। फिलहाल गेहूं फसल की कटनी में छोटे किसान ही जुटे हुए हैं। बड़े और मंझौले तरह के किसान तो कंबाइन हार्वेस्टर के आने का इंतजार कर रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि कंबाइन हार्वेस्टर से गेहूं की कटनी कराने में उन्हें परेशानी काफी कम उठानी होती है।

हालांकि, भूसा के लिए इसे बनाने वालों के पास जाकर जरूर जद्दोजहद करना पड़ता है। उम्मीद की जा रही है कि अगले सप्ताह तक गेहूं की कटनी में तेजी आ जाएगी। इधर, लेट से बोई गई गेहूं की फसल में पैदावार आगत बोई गई फसल से काफी कम होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

लाल बालियों वाले गेहूं के दाने हैं पुष्ट

सफेद बालियों वाले गेंहू की अपेक्षा लाल बालियों वाले गेहूं के दाने थोड़ा पुष्ट हैं। किसानों का कहना है कि लाल बालियों वाले गेहूं कम नमी में हो जाते हैं। हालांकि सिंचाई समय से हो तो पैदावार के मामले में सफेद बाली वाले गेहूं बढ़िया हैं। शुक्रवार को गांव में गेहूं की कटनी कर रहे किसानों ने बताया कि इस साल गेहूं की बालियों में दाने तो ठीक दिख रहे हैं, लेकिन बालियों के ऊपर वाले हिस्से में गेहूं के दाने थोड़ा पतला दिख रहे हैं। किसानों ने कहा कि अब कटनी-दौनी के बाद ही पैदावार का पता चलेगा।

फसल में कीड़ा लगने से किसान परेशान

मक्का, खीरा, खरबूजा, पिपरमेंट में कीड़ा लगने से किसान चिंतित हैं। किसानों का कहना है कि हरे रंग का कीड़ा बड़ी तेजी से फसलों को नष्ट कर रहा है। जिससे पैदावार न के बराबर होने की संभावना है। वहीं, कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि फसलों को बचाने के लिए इमोमेट्रिक बेंजोएट जीएस नामक दवा का छिड़काव करें। एक एकड़ में 200 लीटर पानी में मिलाकर 100 ग्राम दवा मिलाकर छिड़काव करें। इससे फसलों को कीड़ों से बचाया जा सकेगा। इफको की दवा खरीदने पर किसानों का निशुल्क बीमा भी होता है। कृषि विभाग ने बताया कि इमोमाट्रिक दवा का छिड़काव करें। इससे कीड़े का असर नहीं होगा और फसल की पैदावार अच्छी होगी।

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