एक गांव की कहानी है। ठाकुर साहब घोड़े पर जा रहे थे। उनका घोड़ा प्यासा था। काफी चलने के बाद उन्हें खेतों की सिंचाई करता एक किसान दिखाई दिया। किसान रहट से पानी निकाल रहा था। ठाकुर साहब अपने घोड़े को रहट के पास ले गए। करीब पहुंचने पर रहट से आती खट्-खट् की आवाज से घोड़ा भड़क रहा था। ठाकुर साहब ने किसान से कहा, ‘थोड़ी देर के लिए तुम यह खट्-खट् बंद कर दो, तो मेरा घोड़ा पानी पी ले।’ किसान ने आदेश का पालन किया, किंतु यह क्या? रहट के बंद होते ही उसमें से पानी आना भी बंद हो गया। ठाकुर साहब ने किसान से कहा, ‘मैंने तुम्हें खट्-खट् की आवाज बंद करने के लिए कहा था, पानी बंद करने के लिए नहीं। तुमने तो रहट ही रोक दी। अब घोड़ा पानी कैसे पिएगा।’ किसान ने कहा, ‘ठाकुर साहब! आप रहट की प्रक्रिया से शायद परिचित नहीं हैं। इसमें से पानी तभी निकलेगा, जब यह खट्-खट् चलती रहेगी। यह आवाज बंद हुई, तो पानी भी बंद हो जाएगा।’ जीवन में समस्याएं आती रहेंगी, खट-पट चलती रहेगी। इसके लिए जीवन कभी नहीं रुकेगा। व्यवस्था के लिए जहां हम प्रवास करते हैं, वहां जेनरेटर की व्यवस्था रहती है। उसका शोर कभी-कभी हमारे लिए भी बाधा बन जाता है। किंतु उसे बंद कर दिया जाए, तो प्रकाश भी बंद हो जाएगा और समस्या खड़ी हो जाएगी। अंधेरा हो जाएगा। इसलिए उसका शोर हमें सुनना पड़ता है। हमारी द्वंद्वात्मक दुनिया में समस्या और समाधान का क्रम बराबर चलता है। हमें इन दोनों के बीच से अपना रास्ता निकालना होता है।