Thursday, March 28, 2024
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राहुल गांधी के लिए आगे का रास्ता क्या?

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Ravivani 28


मानहानि मामले में राहुल गांधी को सूरत में कोर्ट की ओर से दो साल की सजा सुनाई गई। साथ ही उनकी लोकसभा की सदस्यता भी चली गई। अगर ऊपरी अदालतों से राहुल को राहत नहीं मिलती तो वो आठ साल तक संसद में नहीं जा सकते। लोकसभा की नोटिफिकेशन के मुताबिक राहुल को कोर्ट की ओर से सजा सुनाए वाले दिन यानि 23 मार्च, 2023 से ही अयोग्य करार दिया गया। हालांकि कोर्ट ने सजा सुनाते ही इसे 30 दिन तक टाल दिया था जिससे राहुल को ऊपरी अदालत में अपील का मौका मिल सके। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या लोकसभा स्पीकर ने जल्दबाजी में राहुल को अयोग्य ठहराने का फैसला किया?

इस पर कानूनी विशेषज्ञों की राय बंटी है। जहां कुछ लीगल एक्सपर्ट का कहना है कि स्पीकर को भी एक महीने के लिए ये फैसला टाल देना चाहिए था क्योंकि तकनीकी तौर पर सजा अभी सस्पेंड है। वहीं कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि राहुल को कोर्ट से सजा सुनाए जाने के साथ ही स्पीकर का सदन की सदस्यता को लेकर नोटिस जारी करना जरूरी था। ऐसी सूरत में राहुल गांधी के पास कानूनी तौर पर क्या विकल्प हैं? राहुल गांधी के पास अधिकार है कि अपनी सदस्यता रद्द करने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। राहुल साथ ही सूरत कोर्ट के फैसले को भी ऊपरी कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। अगर वहां से उन्हें मानहानि मामले में राहत मिलती है यानि बरी होते हैं या सजा कम होती है तो भी लोकसभा की उनकी सदस्यता खुद-ब-खुद बहाल नहीं होगी। इसके लिए उन्हें फिर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना होगा। राहुल को स्टे नहीं मिला तो कानूनी प्रक्रिया आगे भी चलेगी।

राहुल के लिए पॉलिटिकल प्लस या माइनस?

राहुल गांधी अदाणी को लेकर राहुल जितने मुखर हैं इतना विपक्षी खेमे में और कोई नजर नहीं आता। क्या इसीलिए सत्ता पक्ष के निशाने पर सबसे ऊपर राहुल गांधी ही दिखते हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी खुद 2024 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी की पिच पर चुनाव लड़ना चाहती है। इसके लिए जरूरी है कि विपक्ष को एकजुट न होने दिया जाए। वैसी स्थिति न बनने दी जाए जैसी 1977 में सत्ता पक्ष के खिलाफ बनी थी। तब सब विपक्षी पार्टियों ने जनता पार्टी बनाकर शक्तिशाली इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को धूल चटा दी थी। लेकिन 1977 में विपक्ष के बाइंडिंग फैक्टर के तौर लोकनायक जयप्रकाश नारायण थे। आज देश में जेपी के कद का कोई ऐसा व्यक्तित्व नजर नहीं आता।

फिर आते हैं राहुल गांधी पर। राहुल की दुविधा ये है कि सत्ता पक्ष को सीधे ललकारने के बावजूद वो प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर खुद खुलकर कुछ नहीं कह सकते। अगर खुद को दावेदार बताते हैं तो दूसरे विपक्षी दल कांग्रेस के पास आने से हिचकेंगे। अगर खुद को दावेदार नहीं बताते तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मनोबल पर विपरीत असर पड़ेगा। इसलिए वो इस मुद्दे पर मौन रहना ही बेहतर समझते हैं। हां उनकी कोशिश यही है कि सत्ता पक्ष को चुनौती देने में वो सबसे आगे नजर आएं। राहुल बापू के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपना धर्म भगवान, साधन बता रहे हैं तो साफ है वो गांधीगीरी के जरिए आगे बढ़ना चाहते हैं। अब इसके लिए उन्हें कांग्रेस के लिए यही क्यों न कहना पड़े- एकला चलो रे।

स्लॉग ओवर

एक महिला गोल्फ खेल रही थी। गेंद को हिट करने पर झाड़ियों में चली गई। महिला पास गई तो झाड़ी में एक मेंढक बुरी तरह फंसा देखा। मेंढक ने महिला से कहा कि ‘अगर तुम मुझे यहां से निकाल दोगी तो मैं तुम्हारी तीन इच्छाएं पूरी कर दूंगा।’ महिला ने मेंढक को झाड़ी से छुड़ा दिया। मेंढक ने महिला का शुक्रिया जताया और कहा- ‘मैं एक बात बताना भूल गया कि तुम्हारी इच्छाएं पूरी करने के साथ एक शर्त है। वो ये है कि जो कुछ भी तुम मांगोगी उसका दस गुना मुझे तुम्हारे पति को भी देना होगा।’ महिला ने कहा कि उसे शर्त पर कोई एतराज नहीं है। महिला ने अपनी पहली इच्छा जताई कि वो दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला बन जाए।

इस पर मेंढक ने चेताया- ‘इसका मतलब होगा तुम्हारा पति भी दुनिया का सबसे खूबसूरत मर्द बन जाएगा।’ महिला ने कहा-‘कोई बात नहीं। महिला की पहली इच्छा मेंढक ने पूरी कर दी। इसके बाद महिला ने दूसरी इच्छा जताई कि वो दुनिया की सबसे अमीर महिला बन जाए। मेंढक ने इस पर महिला से कहा- ‘इसका मतलब होगा, तुम्हारा पति दुनिया का सबसे अमीर पुरुष हो जाएगा, तुम से भी दस गुना ज्यादा।’ महिला ने कहा- ‘ये तो अच्छी बात है, उसका और मेरा पैसा अलग कोई है। जो मेरा वो उसका और जो उसका वो मेरा।’

मेंढक ने महिला की दूसरी इच्छा भी पूरी कर दी। तीसरी इच्छा महिला ने काफी देर सोच विचार करने के बाद बताई। महिला ने कहा- ‘मुझे हल्का सा दिल का दौरा आ जाए।’ मेंढक ने ये इच्छा भी पूरी कर दी। महिला को हल्का दिल का दौरा आया। लेकिन ये क्या पति को तो सिर्फ़ हिचकी आने के अलावा कुछ हुआ ही नहीं। दरअसल, पति को भी दिल का दौरा आया लेकिन वो पत्नी से दस गुना हल्का था।
(लेखक आज तक के पूर्व न्यूज एडिटर और देशनामा यूट्यूब चैनल के संचालक हैं)

                                                                                                      खुशदीप सहगल


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