- बाढ़ में हर साल धराशायी हो जाती है गंगा पुल की एप्रोच रोड
- गंगा पुल पर नहीं चला योगी का सड़क गड्ढा मुक्ति का फरमान
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गड्ढा मुक्त सड़कें बनाने का फरमान शायद बाढ़ प्रभावित खादर क्षेत्र की सड़कों पर के लिए नहीं था। बाढ़ के महीनों बीतने के बाद भी खादर क्षेत्र की अधिकांश सड़कों का हाल बद से बदतर है। बाढ़ के बाद बाढ़ प्रभावित खादर के ग्रामीण अंचल की अधिकांश सड़कें गड्ढे में तब्दील हो गई हैं। बाढ़ में धराशायी हुई गंगा पुल की एप्रोच रोड गड्ढों में तब्दील होने के चलते राहगीर आये दिन हादसों का शिकार हो रहे हैं, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अफसरों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
खादर क्षेत्र प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ से ग्रामीण अंचल की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। सड़कों का बुरा हाल होने से राहगीरों के लिए सफर दूभर हो गया है। लगभग तीन माह पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का फरमान जारी किया तो ग्रामीणों को लगा कि उनका सफर आसान होने वाला है, लेकिन खादर क्षेत्र में मुख्यमंत्री का फरमान पीडब्ल्यूडी के अफसरों के लिए चुनौती बन गया है। मुख्य मार्ग से गांवों को जोड़ने वाली सड़कों के गड्ढा मुक्त होना तो दूर हस्तिनापुर-चांदपुर सीमा को जोड़ने के लिए गंगा नदी पर बने पुल की एप्रोच रोड भी लगभग छह माह बाद दुरुस्त नहीं हो सकी है।
जान जोखिम में डालकर राज्य मार्ग से गुजर रहे राहगीर
बारिश के कारण प्रतिवर्ष गंगा में उफान आता है। जिसके कारण एप्रोच रोड पर संकट मंडराता है और गंगा की एप्रोच रोड धराशायी हो जाती है। पीडब्ल्यूडी विभाग बारिश समाप्त होने के बाद एप्रोच रोड को सुचारु करने की बात करती है, लेकिन दावे महज कागजों में सिमट कर रह जाते हैं। हकीकत में विभाग प्रतिवर्ष सड़क को दुरुस्त करने में विभाग नाकाम साबित हो रहे हैं। जिसके चलते ग्रामीणों को राज्य मार्ग से जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ता है।
दो दशक बाद भी सुचारु नहीं गंगा पुल
मेरठ-चांदपुर और मुरादाबाद की दूरी को कम करने के लिए बसपा सरकार ने 2007 में भीकुंड के समीप गंगा नदी पर पुल का निर्माण कार्य शुरू किया था। पुल निर्माण कार्य शुरू हुए दो दशक होने को है, लेकिन कभी एप्रोच रोड का निर्माण कार्य रुके तो कभी बाढ़ के चलते एप्रोच रोड धराशायी होने के चलते आजतक हस्तिनापुर-चांदपुर मार्ग सुचारु नहीं हो सका।