Monday, May 19, 2025
- Advertisement -

ग्रीन बेल्ट में कार्रवाई क्यों नहीं?

  • परतापुर से मोदीपुरम तक एनएच-58 के दोनों ओर प्रस्तावित है ग्रीन बेल्ट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एनजीटी के तमाम आदेश के बाद भी आखिर ग्रीन बेल्ट में बने निर्माणों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? यह बड़ा सवाल है। जब एनजीटी ने स्पष्ट आदेश दिये हैं कि ग्रीन बेल्ट में बने निर्माणों का ध्वस्तीकरण किया जाए, फिर इनको क्यों नहीं तोड़ा जा रहा हैं? आखिर इन निर्माणों पर मेहरबानी किस बात के लिए की जा रही हैं? परतापुर से लेकर मोदीपुरम तक एनएच-58 के दोनों तरफ ग्रीन बेल्ट हैं।

ग्रीन बेल्ट में निर्माण कर दिये गए हैं। पुराने निर्माण तो हो चुके, लेकिन अब नये निर्माण चल रहे हैं, इन्हें भी नहीं रोका जा रहा हैं। निर्माण दर निर्माण ग्रीन बेल्ट में चल रहे हैं। होटल, रेस्टोरेंट का निर्माण व्यापक स्तर पर किया जा रहा हैं। ग्राउंड स्तर से निर्माण चालू हुआ, जो लिंटर गिरने तक एमडीए के इंजीनियरों को यह निर्माण दिखाई ही नहीं दिया। गजब है, इंजीनियरों के संरक्षण प्राप्ति को देखकर हर कोई हैरान भी हैं।

आखिर इंजीनियरों ने अपनी नौकरी तक दांव पर लगाकर ग्रीन बेल्ट में निर्माण कराये जा रहे हैं? दरअसल, इंजीनियरों के खिलाफ कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह और उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी कार्रवाई भी नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते इंजीनियर भी बेलगाम हो गए हैं। कॉलोनियों का ध्वस्तीकरण तो किया जा रहा हैं, लेकिन यह ध्वस्तीकरण से पहले निर्माण कैसे हो गया? कभी यह सोचा हैं।

कॉलोनी विकसित करने वाले बिल्डर को तो दोषी ठहराया जा रहा हैं, लेकिन इंजीनियरों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? इसमें जितना दोषी बिल्डर है, उससे कहीं ज्यादा दोषी इंजीनियर भी हैं। ‘जनवाणी’ ने ग्रीन बेल्ट को लेकर मुहिम चला रखी हैं, जिसमें निर्माण आरंभ होते ही चेताया जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी निर्माण क्यों होने दिया जा रहा हैं? पहले ही निर्माण पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार इंजीनियरों से जवाब तलब क्यों नहीं किया जा रहा हैं?

जैन शिकंजी की बिल्डिंग ध्वस्तीकरण के आदेश, फिर कार्रवाई क्यों नहीं?

एनएच-58 पर सुभारती के समीप जैन शिकंजी की बिल्डिंग बनकर तैयार हो गयी है। इसका उद्घाटन भी कर दिया गया है। कस्टमरों की भीड़ भी लगने लगी। अब एमडीए इंजीनियरों को हौश आया है कि यह बिल्डिंग अवैध हैं। अब इसके ध्वस्तीकरण करने के आदेश कर दिये हैं। ध्वस्तीकरण आदेश हुए भी पन्द्रह दिन बीत गए हैं, लेकिन अभी तक इसको गिराया क्यों नहीं जा रहा हैं?

जब यह अवैध हैं, ध्वस्तीकरण के आदेश किये जा चुके हैं। फिर किस बात के लिए एमडीए इंजीनियर इंतजार कर रहे हैं? हाईकोर्ट में जाने का बिल्डिंग मालिक को मौका दिया जा रहा हैं। सुनवाई में ही फाइल एक-एक वर्ष तक लटकी रहती हैं। इस तरह से अवैध बिल्डिंग में ही काम चलता रहता है। इसमें भी कोर्ट की शरण में जाने का पूरा मौका दिया गया है, ताकि बिल्डिंग को किसी तरह से बचाया जा सके। यह हाल तो ग्रीन बेल्ट में बने निर्माणों का हैं। होटल ब्रावरा के सामने भी एक होटल बनकर तैयार हो गया है।

फिनिशिंग चल रही हैं। उद्घाटन इसी सप्ताह होने के बाद होटल चालू कर दिया जाएगा। इसका निर्माण आरंभ होने के पहले दिन से ही ‘जनवाणी’ प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित कर रहा हैं, लेकिन इसका निर्माण लिंटर तक पहुंच गया। अब फाइनल दौर में हैं। एमडीए ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की। एनएच-58 पर बागपत बाइपास चौराहे से हाइवे पर दोनों तरफ ग्रीन बेल्ट में होटल व रेस्टोरेंट बन गए हैं, जिनको गिराने की पहले एमडीए नहीं कर पा रहा हैं।

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Sports News: एशिया कप 2025 से भारत के हटने की संभावना! BCCI ने पाकिस्तानी नेतृत्व पर जताई आपत्ति

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img