Tuesday, January 14, 2025
- Advertisement -

‘नये मेहमान’ को आसानी से नहीं देंगे दिल में जगह

  • शिवालिक के जंगल में छोड़ तो दिया तेंदुआ, अभी जिंदगी मुश्किल में

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: आपके सामने दुनिया के सबसे खतरनाक हिंसक जानवरों में से एक तेंदुआ पिंजरे में बंद हो और आप उसे निहार कर फोटो लेने में व्यस्त हो, कितना अच्छा लगता है। कभी आपने सोचा है कि जब इस जानवर को रेसक्यू करने के बाद जंगल में छोड़ा जाता है तब इसको क्या क्या झेलना पड़ता है।

शिवालिक पहाड़ियों के मोहंड रेंज में चार साल के अस्सी किलो वजनी पल्लव नामक तेंदुये को जब पिंजड़े से छोड़ा गया तो पलक झपकते ही वो आंखों से भले ओझल हो गया था लेकिन उसे जिंदगी की असली जंग लड़ने के लिये खुद को तैयार करना होगा। जंगल के इस नये मेहमान को वहां पहले से मौजूद तेंदुये आसानी से मौज नहीं लेने देंगे। हालांकि वन विभाग के अधिकारी इस बात से आश्वस्त है कि तेंदुआ अपनी जगह बनाने में कामयाब हो जाएगा। भविष्य क्या होगा इसे कोई नहीं बता सकता क्योंकि तेंदुआ दुनिया का सबसे शर्मीला और अपनी पहचान छुपाने में माहिर जानवर माना जाता है। इसके दर्शन भी नसीब वालों को होते हैं।

24 2

जंगल का नियम है कि श्ोर, बाघ और तेंदुये अपना क्षेत्र निर्धारित करके जिंदगी का यापन करते हैं और इनकी सीमा में अगर कोई घुसने की कोशिश करता है तो हिंसक संघर्ष शुरु हो जाता है। पल्लवपुरम में पकड़ा गया तेंदुआ चार साल का परिपक्व है और करीब 80 किलो वजन होने के कारण शिकार करने में माहिर हो गया है। मोहंड के जंगल में पहले से ही तेंदुओं की भरमार है ऐसे में इस नये मेहमान को अपनी जगह बनाने के लिये शक्तिशाली साबित करना होगा। जंगल का नियम है जो जीता वही सिकंदर। विशेषज्ञों का मानना है कि तेंदुआ बेहद शर्मीला, हमेशा छुप कर रहने वाला और बेहद शातिर जानवर माना जाता है। झाड़ियों में जहां यह छुपता है वहां उसे ढूंढना मुश्किल होता है।

2018 में जब मेरठ में तेंदुआ आया था तब अघोषित कर्फ्यू जैसे हालात पैदा हो गए थे। वह दुकानों में घुसा, बैंक एटीएम के सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ, जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में घूमा और फिर अस्पताल की जाली तोड़कर ओझल हो गया था। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है तेंदुआ निश्चित रूप अन्य मांसहारी जीवों की तरह वन्यजीवन के संतुलन को बनाए रखने के लिए अति आवश्यक है। उसे वनों का रखवाला भी कह सकते है। व

ह शिकार सहित ऊंचे-ऊचे पेड़ों पर चढ़ जाता है और पेड़ों के साथ ही आबादी के निकट झाड़ियों में छिपा रहता है। जबकि शेर या बाघ अपने भारी वजन के कारण ने तो पेड़ पर चढ़ सकते है और ना ही आसानी से स्वयं को छिपा सकते। इनकी एकाग्रता तो लाजवाब होती है।

शिकार को पकड़ने की तकनीक और हमला करने की शैली इन्हें एक अव्वल दर्जे का शिकारी बनाती है। आमतौर पर ये निशाचरी होते हैं। तेंदुए 56 से 60 किमी प्रति घण्टे की रफ़्तार से दौड़ सकते हैं।एक तेंदुआ 20 फीट से अधिक लंबी छलांग लगा सकता है और 10 फीट की ऊंचाई तक उछल सकता है।

तेंदुये की इन्हीं खासियतों के कारण डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि विशेषज्ञों से बात करने और काफी विचार विमर्श के बाद तय किया गया कि शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसे खूबसूरत जंगल में राजाजी नेशनल पार्क से सटे मोहंड की पहाड़ियां तेंदुये के लिये माफिक है। शिवालिक वाइल्ड लाइफ वालों से जानकारी ली तो पता चला कि इस जगह पर तेंदुओं की संख्या काफी है और यहां पर यह तेंदुआ आसानी से अपना घर बना लेगा। इस कारण तेंदुआ को वहां छोड़ा गया। उन्होंने बताया कि नई जगह घर बनाने में संघर्ष तो करना पड़ता है लेकिन यह अगर बच्चा होता तो मुश्किल होती और उसे चिड़ियाघर भेजना पड़ता।

शिवालिक के जंगल में छोड़ा तेंदुआ

पल्लवपुरम से शुक्रवार को पकड़ा गया तेंदुआ शनिवार सुबह शिवालिक के जंगल मे छोड़ दिया गया। इससे पहले भी अलीगढ़, गाजियाबाद और नोएडा से पकड़े तेंदुए शिवालिक में छोड़े जा चुके हैं। शिवालिक में अब तेंदुओं की संख्या 51 हो गयी है।

25 1

शुक्रवार को पल्लवपुरम में सुबह पांच बजे लोगों ने तेंदुआ देखा था। सूचना पर वन विभाग की टीम और पुलिस पहुंची। तेंदुए को पकड़ने के लिए जाल लगाया गया, जिसमें वो फंस भी गया, लेकिन वो मौका पाते ही छूट गया। 10 घन्टे तक तेंदुए को पकड़ने का विशेष आॅपरेशन चलाया गया। आखिर भारी मशक्कत के बाद शाम को तेंदुए को पकड़ लिया गया। मेरठ से पकड़े गए तेंदुए को रात में ही वन विभाग की टीम सहारनपुर ले गई। सुबह पांच बजे शिवालिक के जंगल मे वन विभाग की टीम ने छोड़ दिया।

मेरठ डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि शनिवार सुबह तेंदुए को शिवालिक के जंगल मे लाकर छोड़ दिया गया है। इससे पहले भी वेस्ट के कई जिलों में तेंदुए पकड़े गए तो उन्हें शिवालिक में लाकर ही छोड़ा गया। पिछले तीन साल में नौ तेंदुए शिवालिक के जंगल मे छोड़े जा चुके हैं। शिवालिक में अब तेंदुओं की संख्या 51 हो गयी है। उसे डाक्टर आर के सिंह की सलाह पर दो मुर्गियां खाने को दी गई जिसे उसने खाया और सो गया था।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

सुख के कारण हजार

चन्द्र प्रभा सूद प्रसन्न रहना चाहे तो मनुष्य किसी भी...

विविधता में एकता का पर्व मकर संक्रांति

‘मकर’ का अर्थ है शीतकालीन समय अर्थात ऐसा समय...

HMPV: एचएमपीवी के मामलों में आ रही है कमी, संक्रमण से बचने के लिए करें ये उपाय

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Nagin: श्रद्धा कपूर की फिल्म ‘नागिन’ को लेकर आया अपडेट, जानें कब होगी शूटिंग शुरू

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति के दिन करें गंगा स्तुति पाठ, धन की नही होगी कमी

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img