Thursday, March 28, 2024
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आनलाइन गेम का क्रेज: अपराध की दुनिया में युवा पीढ़ी!

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  • फ्री-फायर एवं पबजी गेम्स खेल कर्ज में डूब रहा युवा वर्ग, पढ़ाई से हो रहा मोह भंग

जनवाणी संवाददाता |

मवाना: एक समय यह भी था कि स्कूल में पढाई के साथ अपने साथियों संग स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए अपने साथियों के साथ मिलकर शारीरिक-मानसिक तनाव को दूर करने को अलग-अलग खेल खेले जाते थे, लेकिन कोरोना काल में स्कूल बंद होने से बच्चों से लेकर युवाओं के हाथों में मोबाइल आने पर आॅनलाइन गेम का क्रेज बढ़ने से युवा वर्ग कर्ज में डूब गया।

बच्चों से लेकर युवाओं में फ्री-फायर एवं पबजी गेम का क्रेज से युवा वर्ग का अपराध की दुनिया में कदम बढ़ रहा है। आॅनलाइन गेम खेल समय व्यतीत कर रहे बच्चों का पढ़ाई से मोह भंग होता नजर आ रहा है तो वहीं रिश्ते नातों में भी दूरियां बढ़ गई हैं।

आॅनलाइन गेम को लेकर टीनएजर्स का चस्का किसी से छिपा नहीं है। आॅनलाइन गेम की लत किसी खौफनाक साजिश को अंजाम देने से पीछे भी नहीं है। वर्तमान युग में बच्चों से लेकर युवा वर्ग के हाथों में एंड्रोएड मोबाइल के बढ़ते चलन से दिन-रात आॅनलाइन गेम का क्रेज बढ़ने से युवा वर्ग कर्ज में डूबता जा रहा है।

इसको लेकर युवा वर्ग कर्ज को चुकता करने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखने में भी पीछे नहीं है। कोरोना काल में स्कूल बंद होने से बच्चों से लेकर युवाओं पर काफी गलत असर देखने को मिला है। बच्चे मोबाइल में पबजी, फ्री-फायर और तीन पत्ती जैसे खेल में हो रही हार से कर्ज में डूबने से उनको मानसिक तनाव से ग्रस्त भी होना पड़ रहा है। जिसके चलते स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता नजर आ रहा है। बढ़ते आॅनलाइन गेम के चस्के ने बच्चों एवं युवाओं की पढ़ाई से मोह भंग होता नजर आ रहा है। वहीं, रिश्ते-नातों में भी दूरियां बढ़ रही है।

खाली समय में मोबाइल बना दोस्त

आॅनलाइन गेम की दीवानगी मासूम बच्चों को अपराध की तरफ धकेल रही है। बच्चे आॅनलाइन गेम खेलने के लिए अभिभावकों का एटीएम कार्ड चोरी कर खाते से रकम साफ कर रहे हैं। बच्चों में बढ़ती आॅनलाइन गेम की लत से चिड़चिडेÞ हो रहे बच्चों को डराने धमकाने पर आक्रमक रूप ले रहे हैं। ऐसी तमाम शिकायतें पुलिस के पास पहुंच रही है।

जिसमें पुलिस से शिकायत कर केस दर्ज करने के बजाय बल्कि उन्हें डराने धमकाने की गुहार अभिभावक कर रहे हैं। कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ा है। खाली समय में बच्चों का दोस्त मोबाइल बन गया है, जोकि पूरे दिन मोबाइल पर आॅनलाइन गेम खेलते हुए व्यतीत हो रहा है।

अभिभावकों के खाते से उड़ा रहे रकम

आॅनलाइन गेम खेलने के लिए कस्बा निवासी एक युवक ने अपने पिता के खाते से 25 हजार रुपये की रकम निकाल कर एंड्रोएड मोबाइल और अन्य सामान खरीद लिया। पासबुक में एंट्री कराने के बाद रकम निकलने का पता चला। इसी क्रम में थाने में पहुंची एक महिला ने पुलिस से शिकायत करते हुए बताया कि उनका बेटा 16 साल का है और मोबाइल पर आॅनलाइन गेम खेलने की लत पड़ गई। अभिभावकों के मोबाइल छीन लिए जाने पर उसने 10 हजार रुपये की चोरी कर नया मोबाइल खरीद ले आया।

ऐसे लगता है आॅनलाइन गेम में शुल्क

पुलिस ने बच्चों से आॅनलाइन गेम खेलने की बारे में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि कई गेम ऐसे है, जिन्हे प्ले स्टोर से डाउनलोड करने से पहले ही शुल्क जमा करना पड़ता है। कुछ गेम में एक या दो स्टेज फ्री होती है। अगली स्टेज खेलने के लिए पैसा जमा करना पड़ता है। जैसे गन, बंदूक, तोप और कारतूस खरीदने के लिए शुल्क जमा करना पड़ता है। पुलिस की ओर से ऐसे बच्चों की काउंसिलिंग की जाती है। जिसमें बच्चों को समझाया जाता है कि ऐसा करना गलत है और भविष्य खराब होता है। काउंसिलिंग से बच्चे समझ जाते हैं

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