- अफसर अपनी हरकतों से नहीं आ रहे बाज, निगम में जनसुनवाई, रिकॉर्ड में हीरो, ग्राउंड रिपोर्ट जीरो
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्रदेश में योगी सरकार द्वारा जनता को यदि किसी मामले में कोई समस्या आ रही है,तो उसके समाधान के लिये कार्य दिवस में संबंधित विभागों के अधिकारी सुनवाई करते हैं, लेकिन कुछ ऐसी समस्याएं होती हैं, जोकि एक से अधिक विभागों से जुड़ी होती हैं। ऐसी समस्याओं के निस्तारण के लिये तहसील स्तर पर समाधान दिवस एवं नगर निगम स्तर पर जनसुनवाई दिवस का आयोजन किया जाता है।
जिसमें निगम की जन सुनवाई में नगरायुक्त से लेकर निगम के विभिन्न संबंधित विभागों के अधिकारी भी मौजूद होने चाहिए, लेकिन अक्सर देखा गया है कि नगरायुक्त या अन्य बड़ा अधिकारी एक या दो घंटे ही जनसुनवाई में उपस्थित होने के बाद अधीनस्थ अधिकारियों एवं कर्मचारियों को जनसुनवाई के लिये छोड़कर मीटिंग या अन्य किसी कार्यक्रम में जाने की बात कहकर वहां से निकल जाते हैं। फिर अधीनस्त कर्मचारी लोगों की जन समस्याओं का समाधान अपने स्तर पर कैसे करेेंगे वह आप सब अच्छे से समझ सकते हैं।
पहले तो वह शिकायकर्ता को समझाने का प्रयास करेंगे कि बिना शिकायत दर्ज कराए ही वह उसकी समस्या का समाधान करा देंगे, यदि वह शिकायत दर्ज कराने पर अड़ गया तो फिर ग्राउंड रिपोर्ट पर भले ही समस्या का समाधान हो या न हो, लेकिन उच्चाधिकारियों को शिकायत का समाधान जल्द कराने या करा दिया गया है। ऐसी रिपोर्ट तैयार कर भेज देते हैं। सीएम योगी के द्वारा निगम में जो जनसुनवाई कराई जा रही है। उसकी निगम के रिकॉर्ड व ग्राउंड रिपोर्ट में कितना बड़ा अंतर चल रहा है। उसकी कुछ बानिगी भर शिकायतों के निस्तारण के बारे में बताते हैं।
नगर निगम में सामान्य रूप से कार्य दिवस में शिकायत लेकर फरियादी शिकायत लेकर आए यदि सामान्य शिकायत है तो समाधान एक बार को हो सकता है, लेकिन यदि कोई समस्या ऐसी है, जोकि नगर निगम के फायदे या नुकसान से जुड़ी है तो भूल जाइए की आपकी समस्या का एक या दो बार की शिकायत में समाधान हो जाये। वहीं यदि आप निगम में होने वाली जनसुनवाई में भी शिकायत करते हैं। जिसकी सीधी मुख्यमंत्री से जुड़ी है। उसमें शिकायत पर धरातल पर समाधान हो या न हो, लेकिन जो रिपोर्ट शासन को भेजी जाती है।
उसमें आपकी शिकायत को जरूर निस्तारित दर्शा दिया जाता है। वहीं जनता को शिकायत करने के लिये निगम के चक्कर न काटने पडेÞ उसके लिये रिकार्ड में तो पब्लिक के फायदे के लिये अब अलग-अलग जोन में जनसुनवाई होनी निर्धारित की गई है। जिसमें शास्त्रीनगर के बाद गत मंगलवार को कंकरखेड़ा जोन में जनसुनवाई आयोजित की गई। जनसुनवाई के दौरान सात शिकायतें आई थी। जिसमें नाली खडंÞजा, टंकी के पानी की पेयजल आपूर्ति, सीवर एवं नाला चोक होने की समस्या एवं जाम व अतिक्रमण से संबधित शिकायतें ही थी।
शिकायत करने वालों में मंजू सिंह ने टंकी में गंदा पानी आने व सीवर चोक होने की समस्या रखी। सतपाल ने बंद नालियों ओर अवैध अतिक्रमण के संबंध में शिकायत रखी। सोहनपाल ढ़ाका ने सड़क निर्माण संबंधी शिकायत रखी। विनय चौधरी ने नाला निर्माण संबंधी शिकायत रखी। डिफेंस कॉलोनी के लोगों ने संयुक्त रूप से सड़कें एवं नाला निर्माण संबंधी शिकायत रखी। कैलाश चपराना ने सरकारी भूमि पर बिल्डर क्षरा अवैध कब्जा करने के संबंध में शिकायत रखी। सतपाल सिंह ने पाइप लाइन डलवाने के संबंध में शिकायत रखी।
सभी से शिकायतों के निस्तारण के संबंध में जानकारी की गई तो सभी ने निस्तारण नहीं होना बताया गया, लेकिन उन्हे रिकार्ड में जांच के लिए भेजे जाने एवं निस्तारित दर्शा दिया गया, लेकिन धरातल पर एक भी शिकायत का निस्तरण नहीं हो सका। यदि 1 जनवरी 2023 से 23 मई 2023 तक पांच महीनों की जन समस्याओं को देखा जाये तो 315 शिकायतें आई और 11 शिकायतें जांच के लिए पेंडिग होना बताया गया। जब 23 मई दिन मंगलवार को कंकरखेड़ा जोन में 7 शिकायतें आई
और सभी का निस्तारण दर्शा दिए जाने संबंधी सवाल जनसुनवाई के लिपिक अरुण कुमार से किया गया तो उन्होंने बताया कि हो सकता है कि त्रुटिवश यह सब प्रिंट हो गया होगा कि सात शिकायतों में सभी को निस्तारित दर्शा दिया गया। कुछ शिकायतें ऐसी भी थी। जिनका निस्तारण एक या दो दिन में होना संभव नहीं था। वह कैसे निस्तारित हो गई तो लिपिक ने बताया कि हो सकता है कि यह सब रिपोर्ट तैयार करते समय त्रुटिवश प्रिंट हो गया हो, लेकिन कुछ शिकायतों का निस्तारण नहीं हो सका है।
इस संबंध में उन्हे ज्यादा जानकारी नहीं है जोकि जनसुनवाई की कार्रवाई को मुख्य रूप से मुख्य कर निर्धारण अधिकारी राजेश कुमार सिंह देखते हैं। उसके बाद राजेश कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने इस संबंध में समस्याओं के संबंध में जानकारी अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार ने बताया कि जनसुनवाई प्रभारी के रूप में राजेश कुमार मुख्य कर अधीक्षक देख रहे हैं। मुझे इस मामले में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है। वैसे निगम के सभी अधिकारी निस्तारण संबंधी मामले देखते हैं।