Monday, January 20, 2025
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याकूब की फैक्ट्री में छापा, हजारों कुंतल मांस बरामद

  • 2019 में एमडीए ने लगाई थी सील, फिर कैसे चल रहा था प्लांट
  • पोल्ट्री फार्म की आड़ में हो रहा कटान, 10 गिरफ्तार
  • अवैध कटान की होगी जांच, फिर बढ़ाई जाएंगी धाराएं

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: खरखौदा थानांतर्गत अलीपुर में तीन सालों से बंद चल रही पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की मीट फैक्ट्री पर प्रशासन ने छापा मारकर करीब ढाई लाख किलो मांस बरामद किया गया। पुलिस ने मौके से 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में पूर्व मंत्री व उनके बेटों समेत 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। फैक्ट्री पर छापे की कार्रवाई करीब आठ घंटे चली।

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एसपी देहात केशव कुमार ने बताया कि गुरुवार को अलीपुर स्थित पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की बंद पड़ी फैक्ट्री में अवैध कटान की सूचना पर पुलिस ने तड़के छापेमारी की, जिसमे मौके पर 10 लोग काम करते मिले। पुलिस ने सभी लोगों को हिरासत में ले लिया। छापेमारी की सूचना पर प्रदूषण विभाग, विद्युत विभाग, पशुपालन विभाग, एमडीए व खाद्य विभाग के अधिकारी शामिल हुए।

उन्होंने बताया कि याकूब कुरैशी के मीट प्लांट से 240438 किग्रा तैयार मीट, 6720 किग्रा बिना पैक मीट बरामद हुआ है। मौके से 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। खरखौदा थाने में पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी और उनके बेटों समेत 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।

अल फहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड पर एमडीए ने 2019 में अवैध निर्माण होने पर सीलिंग की कार्रवाई की थी, लेकिन फैक्ट्री में लगातार काम चलता रहा। इसके बाद गुरुवार मध्य रात्रि पुलिस को सूचना मिली की फैक्ट्री में पोल्ट्री फार्म की आड़ में अवैध रूप से कटान हो रहा है। सूचना के बाद एएसपी किठौर चंद्रकांत मीणा द्वारा अपनी टीम के साथ छापेमारी कर दी। मौके पर पुलिस के पहुंचते ही अफरातफरी मच गई, इस दौरान पुलिस ने 10 लोगों को हिरासत में ले लिया और उन्हें खरखौदा थाने ले आई।

याकूब की पत्नी और दो बेटों समेत 14 के खिलाफ मुकदमा

पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की मीट फैक्ट्री अल फहीम मीटेक्स में गैरकानूनी तरीके से चल रहे मीट पैकेजिंग को लेकर याकूब कुरैशी, उसकी पत्नी संजीदा बेगम, दोनों बेटों इमरान और फिरोज समेत 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।

देर रात एएसपी किठौर चंद्रकांत मीणा ने बताया कि जब एमडीए ने फैक्ट्री पर सील लगाई हुई थी। तब फैक्ट्री के अंदर कैसे मीट पैकेजिंग का काम हो रहा था। इस गंभीर मामले में कई सरकारी विभाग जांच कर रहे हैं। प्रथम दृष्टया याकूब कुरैशी और उसके परिवार दोषी हैं। इसलिये उनके खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है। अगर फैक्ट्री में पशु कटान के सुबूत मिलेंगे तो धाराएं और बढ़ाई जाएंगी।

पोल्ट्री फार्म की आड़ में जारी कटान

मीट प्लांट के पीछे पूर्व मंत्री ने एक पोल्ट्री फार्म बना रखा है, जिसमें पीछे के रास्ते पशुओं को गाड़ियों में भरकर फैक्ट्री के अंदर लाया जाता है। इसके बाद पूरी रात इनका कटान किया जाता है और दिन निकलने से पहले ही ट्रकों में मीट भरकर बाहर भेज दिया जाता है। यह मीट कहां और कब से सप्लाई हो रहा है इसकी जांच की जा रही है।

भागते समय मजदूर हुआ चोटिल

छापेमारी के दौरान प्लांट में काम करने वाले मजदूरों में भगदड़ मच गई, जिसमें कोतवाली क्षेत्र के सराय बहलीम निवासी जमील ने दीवार फांदकर भागने का प्रयास किया। इस दौरान वह जमीन पर गिर गया और चोटिल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने उसे दबोच लिया।

बंद फैक्ट्री से दबोचे मजदूर

सील लगी फैक्ट्री से पुलिस ने सात लोगों को हिरासत में लिया जिनमे जमील निवासी सराय वहलीन मेरठ, गजन सिंह निवासी औरैया, शाहिद निवासी पुंछ कश्मीर, रहीस निवासी फिरोजपुर, मुरसीद निवासी पुंछ कश्मीर, इलियास निवासी पुंछ कश्मीर, मसूर अहमद निवासी अरनिया समेत दर्जन भर शामिल है।

सील के तीन साल बाद भी चालू मिला बिजली कनेक्शन

हाजी याकूब की जिस फैक्ट्री को एमडीए ने तीन साल पहले सील कर दिया था। उसमें तीन साल बाद भी बिजली का कनेक्शन चलता पाया गया। गुरुवार को छापेमारी के दौरान मीट प्लांट के अधिकतर एसी व डीप फ्रीजर चलते मिले। अब बिजली विभाग भी शक के दायरे में आ गया है कि आखिर कैसे सील हुई फैक्ट्री में बिजली कनेक्शन चालू था। पिछले तीन सालों से बिजली के कनेक्शन का बिल कितना आ रहा था और उसे कौन दे रहा था? जबकि नियमों के मुताबिक सील हुए किसी भी संस्थान या भवन का बिजली कनेक्शन सबसे पहले काटा जाता है।

मौके पर नहीं पहुंचे हाजी याकूब कुरैशी

छापेमारी के दौरान मीट प्लांट के मालिक पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी मौके पर नहीं पहुंचे। बताया जा रहा है कि वह अपने निवास से भी अल सुबह कहीं चले गए थे जो दोपहर तक भी वापस नहीं लौटे हैं।

बंद फैक्ट्री में कटान, डीएम ने सभी विभागों से मांगी रिपोर्ट

हमेशा चर्चाओं में रहने वाले पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की मीट फैक्ट्री पर पड़े छापे से हड़कंप मचा हुआ है। सवाल यह उठ रहा है कि जब मीट फैक्ट्री पूरी तरह से सील थी फिर कैसे मांस की पैकेजिंग का काम युद्धस्तर पर चल रहा था। डीएम ने सभी विभागों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है।

हाजी याकूब बसपा सरकार में 2007 से 2012 तक मंत्री रहे हैं। वह लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। एक बार डेनमार्क के कार्टूनिस्ट का सिर कलम करने के लिये 51 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी कर चुके थे। अलीपुर गांव में याकूब कुरैशी की अल फहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड पर एसडीएम सदर संदीप भागिया, एसपी देहात केशव कुमार, एएसपी चंद्रकांत मीणा ने मय फोर्स के छापा मारा।

अवैध कटान की सूचना पर देर रात दो बजे छापा मारा गया था। डीएम के. बालाजी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एमडीए, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन और पशुपालन विभाग से रिपोर्ट मांगी है। एसपी देहात ने बताया कि फैक्ट्री में मीट का कटान तो नहीं मिला, लेकिन मीट की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग की जा रही थी। मौके से बरामद 2 लाख 40 हजार किलोग्राम पेकेजिंग मीट और 6700 किलोग्राम अन्य मीट मिला है। मीट के सैंपल भरवा कर जांच के लिये भेजे गए हैं।

खरखौदा पुलिस की सेटिंग से तो नहीं चल रही थी फैक्ट्री!

हैरानी की बात है कि अलीपुर में काफी समय से पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की मीट फैक्ट्री का अवैध संचालन होता रहा और खरखौदा पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। पूरे दिन इस बात की चर्चा जोरों पर रही कि कहीं पुलिस की सेटिंग से तो फैक्ट्री नहीं चल रही थी।

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हापुड़ रोड की मीट फैक्ट्रियों से पुलिस की हमेशा सेटिंग रही है। पुलिस के रहमोकरम से इन फैक्ट्रियों ने तरक्की भी की है। सवाल यह उठ रहा है कि अलफहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड के पिछवाड़े मुर्गी फार्म की आड़ में पैक्ड मीट को ले जाने वाली गाड़ियां धड्ल्ले से आती जाती रही और पुलिस को भनक तक नहीं लगी। जब पुलिस के आलाधिकारियों को अवैध काम की जानकारी हुई तो खरखौदा पुलिस हरकत में आई।

अकेले पुलिस ही नहीं अन्य सरकारी विभागों की जिम्मेदारी भी बनती है। मेरठ विकास प्राधिकरण ने 2019 को याकूब कुरैशी की फैक्ट्री को सील कर दिया था। फरवरी 2019 के पहले सप्ताह में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा फैक्ट्री के संबंध में कार्रवाई पर रोक लगाने वाले आदेश को एमडीए ने रद्द कर दिया था। अल फहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम के इस मीट फैक्ट्री को बनाने से पहले संबंधित सरकारी अधिकारियों से नक्शे को मंजूरी नहीं मिली थी।

जिस जमीन पर फैक्ट्री का निर्माण किया गया है, उसके कुछ हिस्से नन-कंपाउंडेबल क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इससे पहले स्थानीय प्रशासन ने एमडीए द्वारा फैक्ट्री को सील करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि, फैक्ट्री को सील करने से पहले एमडीए ने संचालक को अपना पक्ष रखने के लिए कहा था, लेकिन जब संचालक अपना पक्ष नहीं दे सका, तो एमडीए की तरफ से स्टे आर्डर रद कर दिया गया।

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