- बागपत बाइपास पर अवैध निर्माणों पर चला एमडीए का पीला पंजा
- हुआ हल्का विरोध, पुलिस ने भीड़ को दौड़ाया
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) उपाध्यक्ष का चार्ज संभालने के बाद मृदुल चौधरी के निर्देश पर बुधवार को अवैध निर्माण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई। बागपत बाइपास पर ग्रीन बेल्ट में बनी 20 दुकानों पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीकरण कर दिया। ध्वस्तीकरण का हल्का विरोध भी हुआ, मगर पुलिस ने भीड़ को दौड़ा लिया तथा ध्वस्तीकरण का अभियान जारी रखा। नेशनल ग्रीन ट्रिक्यूनल नई दिल्ली में ग्रीन बेल्ट पर बने निर्माण को लेकर याचिका दायर की गई थी।
ग्रीन बेल्ट में बने अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण करने के लिए सुबह से ही एमडीए इंजीनियरों की टीम सुभारती पुलिस चौकी पर मौजूद थी, लेकिन फोर्स पर्याप्त नहीं थी। इसकी जानकारी प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी को दी गई, जिसके बाद प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने एसएसपी अजय साहनी से बात की।
इसके बाद ही फोर्स उपलब्ध कराने के लिए कहा गया। दोपहर बाद ही जानी थाने के अलावा अन्य थानों की फोर्स बुलायी गयी, जिसके बाद ही एमडीए इंजीनियरों ने ध्वस्तीकरण का अभियान चालू किया। जोनल अधिकारी मनोज सिंह, धीरज सिंह, एके सिंह, विपिन कुमार एवं जेई ओमकार शर्मा, सर्वेश गुप्ता, सीओ आरपी शाही व तहसीलदार मजिस्ट्रेट ध्वस्तीकरण के दौरान मोर्चा संभाले रहे।
एक-एक कर 20 दुकानों को ध्वस्तीकरण किया गया। ये सभी निर्माण ग्रीन बेल्ट में किये गए थे। बाइपास के निकट रोडी डस्ट का काम करने वाली दुकान पर जैसे ही बुलडोजर चला, तभी लोगों ने विरोध कर दिया। इसके बाद सीओ ने भीड़ को हड़काया तथा पुलिस कर्मियों ने भीड़ को दौड़ा लिया, जिसके बाद ही ध्वस्तीकरण का कार्य चला। अंधेरा होने तक ध्वस्तीकरण चलता रहा। इसके बाद ही काम बंद किया गया।
ग्रीन बेल्ट में मंडप, कार्रवाई क्यों नहीं ?
सुभारती की तरफ से बागपत बाइपास की तरफ सर्विस रोड पर नेशनल हाइवे के नियमों व ग्रीन बेल्ट की जमीन पर प्रधान बारात घर है। मंडप स्वामी ने नेशनल हाईवे से मुआवजा भी उठा लिया, लेकिन फिर भी ग्रीन बेल्ट की जमीन में दुकानों व मंडप का निर्माण कर दिया गया। इस मंडप पर नेशनल ग्रीन ट्रिक्यूनल नई दिल्ली के नियम लागू नहीं होते हैं। मंडप में तमाम लोगों की भीड़ आती है, मगर इसके पास पार्किंग तक नहीं है।
फिर नेशनल ग्रीन ट्रिक्यूनल के नियम ये है कि ग्रीन बेल्ट में निर्माण कतई नहीं किया जा सकता, लेकिन इस मंडप का आगे का हिस्सा पूरा ग्रीन बेल्ट में बना है। इस निर्माण पर एमडीए कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। एमडीए को पिछले नौ वर्ष से हाईकोर्ट में वाद होने की बात कहकर डराया जाता है, जबकि हाईकोर्ट के कोई आदेश नहीं हैं, बल्कि मंडप स्वामी ने फर्जी आदेश खुद ही तैयार कर रखे हैं। ये फर्जी आदेश दिखाकर एमडीए अफसरों को डराया जाता है।
स्टे किस चीज का है, एमडीए अफसरों ने नौ वर्ष से पता ही नहीं किया। ऐसा कोई मामला फिलहाल हाईकोर्ट में नहीं है। यह निर्माण भी एमडीए को फोकस कर ध्वस्तीकरण के दायरे में लाना चाहिए, मगर एमडीए के अधिकारी इस तरफ से आंखें मूंदे हुए हैं।
…तो और भी होंगे निर्माण ध्वस्त
जोनल अधिकारी धीरज सिंह ने बताया कि ग्रीन बेल्ट ओपन स्पेस में बने अन्य अवैध निर्माणों को चिह्नित करने की प्रक्रिया चल रही है। जिन निर्माणों का ध्वस्तीकरण किया गया है। इसके अलावा भी ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण कर रखे हैं। इन सभी अवैध निर्माणों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
40 दुकानों पर कब चलेगा बुलडोजर ?
बागपत बाइपास पर ग्रीन बेल्ट में करीब 40 दुकान बनी हुई है। इन दुकानों के ध्वस्तीकरण के लिए एमडीए कब कदम उठायेगा। एमआईईटी से सटकर सार्थक सिटी के बाहर ये दुकानें ग्रीन बेल्ट में बनाई गई है। ग्रीन बेल्ट में दुकानों का निर्माण बिल्डर पूरा कर चला गया और आम लोगों को दुकान ग्रीन बेल्ट में बेचकर चला गया।
अब इसमें कुछ लोगों ने दुकान खरीद ली है तथा करीब 20 से ज्यादा दुकान बिल्डर की खाली पड़ी है। ग्रीन बेल्ट में बनी इन दुकानों पर एमडीए कब बुलडोजर चलाएगा। पहले भी एक बार सील की कार्रवाई की गई, मगर इसके बाद फिर से ग्रीन बेल्ट में बनी दुकानों की फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
बताया गया यशपाल नामक बिल्डर ने इन अवैध दुकानों का निर्माण किया है। इस बिल्डर पर एमडीए आखिर इतना मेहरबान क्यों हैं? दुकानों का ध्वस्तीकरण तो दूर एमडीए ने बिल्डर के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई है।