Sunday, June 29, 2025
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गोवंशों में लंपी स्किन को लेकर प्रशासन अलर्ट

  • बीमारी की चपेट में आ रहे दुधारु पशु, पशुपालन विभाग में जारी की गाइड लाइन
  • संक्रमित पशुओं को दूर रखें, कैंट क्षेत्र में बीमारी से परेशान गायों को सड़कों पर छोड़ दिया

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर के कैंट क्षेत्र के तमाम दुधारु पशु लंपी स्किन बीमारी से जूझ रहे हैं और पशु पालक इन पशुओं को आवारा सड़कों पर छोड़ चुके हैं। अब पुलिस ऐसे गोवंशों के मालिकों का पता लगाने में जुटी हुई है। दुधारु पशुओं में तेजी से फैल रही लंपी स्किन बीमारी ने पशु पालकों की नींद उड़ा दी है। दूध देने वाले पशुओं में मंकी पाक्स बीमारी दक्षिणी राज्यों से आई है और बरसातों में और अधिक तेजी से फैलती है।

क्योंकि मच्छर-मक्खी आदि के काटने से इस बीमारी के आगे और बढने का खतरा बना रहता है। इसलिए पशुओं के आसपास सफाई का ध्यान रखा जाए और बीमार पशुओं को दूसरों से अलग कर लिया जाए। देश में एक तरफ कोरोना और मंकीपॉक्स बीमारी ने लोगों को डरा रखा है वहीं अब पशुओं में भी ऐसी ही एक लंपी स्किन संक्रामक बीमारी सामने आ रही है। दूध देने वाले पशुओं में लम्पी स्किन नाम की बीमारी ने दस्तक दे दी है।

खास बात है कि इसके लक्षण कुछ-कुछ मनुष्यों में हो रही मंकीपॉक्स बीमारी से मिलते-जुलते हैं। फिलहाल इस बीमारी को देखते हुए पशु पालन विभाग ने पशुपालकों को अलर्ट कर दिया है और बीमारी की रोकथाम के लिए जिला स्तरीय टीमें गठित की गई हैं। यह बीमारी दक्षिणी राज्यों से आई है और बरसातों में और अधिक तेजी से फैलती है क्योंकि मच्छर-मक्खी आदि के काटने से इस बीमारी के आगे और बढ़ने का खतरा बना रहता है।

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पशुपालन विभाग का कहना है कि पशुपालकों को घबराने की जरूरत नहीं, बल्कि एहतियात बरतनी चाहिए। इस बीमारी से पशुओं को तेज बुखार चढ़ता है और उनकी त्वचा पर छाले हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी के पशुओं में ऐसे बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो तुरंत संपर्क करें। मंकीपॉक्स में भी लगभग ऐसे ही लक्षण देखे जा रहे हैं, जिसमें तेज बुखार आता है और त्वचा पर लाल दाने या छाले हो जाते हैं।

जिला पशुपालन अधिकारी डा. अखिलेश गर्ग का कहना है कि बीमारी खतरनाक नहीं है और इसके सैम्पल भेजे हैं। हालांकि लक्षण साफ दिख रहे है। संक्रमित जानवरों को अलग रखा जाए। जहां पशुओं के बीमार होने की सूचना मिल रही है वहां टीम बनाकर भेजी जा रही है। उपमुख्य पशुचिकित्साधिकारी पशुधन विकास डा.एसपी.पाण्डेय ने बताया कि आजकल गायों, बछड़ों, बछिया में एक बीमारी देखने में आ रही है

जिसमे पशु के चमड़ी पर उभरे हुए चक्कते, गांठें नजर आते है े पशु को बुखार आ जाता है। चकत्ते बड़े होकर घाव बन जाते है। गाभिन पशुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जो पशु बीमारी के दौरान खाना पीना छोड़ देते हैं, उन्हें भी काफी परेशानी उठानी पड़ती है। बीमारी को ठीक होने में 2 से 3 सप्ताह का समय लग सकता है। नियमित चूने, फार्मलीन एवं अन्य कीटनाशक दवाइयों का अपने पशुचिकित्सा अधिकारी की सलाह लेकर छिड़काव करें।

इन दवाओं को लें

बुखार की दवा पैरासिटामोल अपने पशु को खिला सकते है। होमियोपैथी दवा बीएचअडर पॉक्स की 2 एमएल की खुराक दिन में 3 बार लाभकारी है। 20 ग्राम काली मिर्च, 20 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम देशी घी के साथ दे। 100 ग्राम सफेद फिटकरी को 100 लीटर पानी में घोलकर अपने पशुओं को नहलाये। 500 ग्राम लाल फिटकरी को 20 लीटर पानी में घोलकर गाय को अच्छी तरह नहलाये और 10 मिनट बाद 4 बाल्टी साफ पानी से गाय को नहला दे। 20 ग्राम हल्दी 100 ग्राम वनस्पति घी के साथ रोटी पर रखकर रोज शाम को एक बार खिलाये।

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