Saturday, May 31, 2025
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अवमानना मामला: सुप्रीम कोर्ट से माफी नहीं मागेंगे प्रशांत भूषण

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया है। भूषण ने शीर्ष अदालत में अपना बयान दाखिल कर कहा है कि उनका बयान सद्भावनापूर्ण था और मांफी मांगने पर उनकी अंतरात्मा की अवमानना होगी।

प्रशांत भूषण ने कहा, मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए आशा का अंतिम गढ़ है। उन्होंने कहा, मेरा बयान सद्भावनापूर्थ था और अगर मैं इस अदालत से माफी मांगता हूं तो ये मेरी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें मैं सर्वोच्च विश्वास रखता हूं।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील को अदालत की अवमानना का दोषी माना है। ऐसे में उन्हें बिना शर्त माफी मांगने का मौका दिया गया था, जिसकी समयसीमा का आखिरी दिन आज था।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने अवमानना मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने भूषण को अपने बयान पर विचार करने के लिए कहा था। अदालत का कहना था कि भूषण चाहें तो 24 अगस्त तक बिना शर्त माफीमाना दाखिल कर सकते हैं। यदि ऐसा नहीं होता है तो 25 अगस्त को अदालत उनके खिलाफ सजा पर फैसला सुनाएगी।

मैं नहीं करता दया की अपील: प्रशांत भूषण

अदालत के फैसले पर प्रशांत भूषण ने कहा कि मुझे पीड़ा है कि मुझे अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है। जिसकी महिमा मैंने दरबारी के रूप में नहीं बल्कि 30 सालों से एक संरक्षक के रूप में बनाए रखने की कोशिश की है। मैं सदमे में हूं और इस बात से निराश हूं कि अदालत इस मामले में मेरे इरादों का सबूत दिए बिना ही निष्कर्ष पर पहुंची है। उन्होंने महात्मा गांधी के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि मैं दया की अपील नहीं करता हूं। अदालत से जो भी सजा मिलेगी वो मुझे मंजूर है।

क्या है पूरा मामला

22 जून को वरिष्ठ वकील ने अदालत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद 27 जून के ट्वीट में प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय के छह साल के कामकाज को लेकर टिप्पणी की थी। इन ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी।

अदालत ने उन्हें नोटिस भेजा था। इसके जवाब में भूषण ने कहा था कि सीजेआई की आलोचना करना उच्चतम न्यायालय की गरिमा को कम नहीं करता है। उन्होंने कहा था कि पूर्व सीजेआई को लेकर किए गए ट्वीट के पीछे मेरी एक सोच है, जो बेशक अप्रिय लगे लेकिन अवमानना नहीं है।

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