Friday, July 18, 2025
- Advertisement -

मौजूदा हालातों के लिए वर्चस्व की लड़ाई वजह: जगतगुरु शंकराचार्य

  • अविमुक्तेश्वरानंद दुनिया के मौजूदा हालातों पर बोले
  • दिल्ली से शाकुंभरी देवी तीर्थ जाते समय एक दिन के प्रवास पर मेरठ पहुंचे जगतगुरु

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: विश्व में मौजूदा युद्ध जैसे हालातों के लिए ताकतवर देशों में वर्चस्व के लिए मची होड़ मुख्य वजह है। यह कहना है जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी का। दिल्ली से शाकुंभरी तीर्थ स्थल जाते समय मेरठ में एक दिन के प्रवास के लिए रुके जगतगुरु ने मीडिया से बात कर यह बात कही। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने जगतगुरु से आर्शीवाद लिया। बुधवार को डिफेंस कॉलोनी में सुदीप अग्रवाल के आवास पर जगतगुरू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद मीडिया से रूबरू हुए।

इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनसे आर्शीवाद लेने पहुंचे। जगतगुरू ने कहा दुनिया में मौजूदा हालात बेहद चिंताजनक है, पूरी दुनिया पर विश्वयुद्ध का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में शांति का संदेश देते हुए उन्होंने कहा दुनिया में इन हालातों के लिए ताकतवर देशों के बीच छिड़ी वर्चस्व की जंग जिम्मेदार है। उन्होंने पूरी दुनिया को संदेश देते हुए कहा यदि समय रहते नहीं चेता गया तो आनें वाले समय में हालात काफी खराब हो सकते है।

मेरठ को बताया आध्यात्मकता का प्रतीक

जगतगुरू अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा मेरठ ज्योर्तिमठ से बहुत घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ शहर है। ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य पूज्य स्वामि कृष्णबोध आश्रम जी माहराज पहले से ही यहां आते रहें है। उन्होंने मेरठ को अपनी तपोस्थली बनाया था। जादुगिरी में आज भी उनकी तपोस्थली मौजूद है श्रीकृष्णबोध मंदिर आश्रम के रूप में। साथ ही परमपुज्य गुरूजी महाराज ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी निरंतर यहां आते रहते थे।

10 5

उनके आज भी बड़ी संख्या में भक्त मेरठ में मौजूद है। धर्मसम्राट स्वामी कृपत्री महाराज भी कई बार यहां आ चुके हैं। कई बार यहां सर्वभेद शाखा सम्मेलन, रामराज परिषद् के अधिवेशन हुए हैं। इसी वजह मेरठ धर्मनगरी के रूप में भी पहचाना जाता है। यहां धर्माचार्यों का वृह्द हमेशा रहा है। यहां सत्संगी लोग हैं, इसीलिए यहां आकर हमे अच्छा लगता है।

विश्व में मौजूदा समय में बने युद्ध जैसे हालातों पर बोले

जगतगुरू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दुनिया के मौजूदा हालातों पर कहा हम केवल अपने लिए नहीं जीते हैं। अपने लिए तो पशु-पक्षी भी जीते हैं। जीना उसका सफल है जो दूसरों के लिए भी जिए। सभी की सुख-सुविधा का ध्यान रखे। सबके ऊपर हम ही अपना वर्चस्व स्थापित कर लेगें यह जो भावना है, यह अच्छी भावना नहीं है। बहुत से लोगों ने इस भावना के साथ कार्य किए,

लेकिन वह सफल नहीं हो सके। ऐसी परिस्थिति में अध्यात्म ही इसका रास्ता है। इस समय दुनिया भौतिकतावाद की ओर जा रही है, उसके कारण यह विखंडन हो रहा है। एक-दूसरे के ऊपर वर्चस्व स्थापित करने की चेष्ठा हो रही है। अगर अध्यात्म को परमपिता द्वारा प्रदान कर दिया जाए तो इस तरह की चेष्टाएं समाप्त हो जाएंगी।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Dipika Kakar: लीवर सर्जरी के बाद अब दीपिका कक्कड़ ने करवाया ब्रेस्ट कैंसर टेस्ट, जानिए क्यों

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक​ स्वागत...

Sports News: 100वें Test में Mitchell Starcs का धमाका, टेस्ट Cricket में रचा नया इतिहास

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

Dheeraj Kumar Death: ‘ओम नमः शिवाय’, ‘अदालत’ के निर्माता धीरज कुमार का निधन, इंडस्ट्री में शोक

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Nimisha Priya की फांसी पर यमन में लगी रोक, भारत और मुस्लिम नेताओं की पहल लाई राहत

जनवाणी ब्यूरो |नई दिल्ली: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की...
spot_imgspot_img