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चीन में एक समय चोरों का बड़ा आतंक था। वहां का ची युंग नामक व्यक्ति किसी भी व्यक्ति का चेहरा देखकर बता देता था कि वह चोर है या नहीं। उसका यह कौशल देखकर वहां के राजा ने उसे राज्य के नागरिकों के निरीक्षण में लगा दिया। ची युंग ने अनेक चोरों को ढूंढ निकाला। राज्य में खुशहाली छा गई। राजा ने लाओ-त्जु से ची युंग की बड़ी तारीफ की और कहा, ‘अब हर तरफ शांति है।
अब मुझे न्याय-व्यवस्था पर कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता।’ उसी समय राज्य में कहीं दूर चोरों के एक दल ने ची युंग को मौत के घाट उतार दिया। राजा ने जब यह सुना तो वह भयभीत हो गया। वह लाओ-त्जु के पास गया और उससे बोला, ‘ची युंग की हत्या हो गई है। अब मेरे राज्य की सुरक्षा खतरे में है।’ लाओ-त्जु ने कहा, ‘एक पुरानी कहावत है, अथाह समुद्र के तल में मछली पकड़ने वाले और गुप्त रहस्यों को व्यर्थ ही ढूंढने वाले अपने विनाश को निमंत्रण देते हैं।
यदि आप चोरों और डाकुओं से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो प्रशासन में सज्जन व्यक्तियों की नियुक्ति करें। उन्हें निर्देश दें कि वे अपने से ऊपर वालों को मार्गदर्शन दें और अपने से नीचे वालों को शिक्षित करें। जब लोग विधि और नियमों का पालन करने लगेंगे, तो आपके राज्य में चोरों-डाकुओं के बनने का मार्ग स्वत: बंद हो जाएगा।’ राजा ने लाओ-त्जु के बताए अनुसार प्रशासन में सुधार किए और धीरे-धीरे उसका राज्य आदर्श राज्य बन गया।
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