Thursday, June 19, 2025
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बाढ़ के बाद तबाही का मंजर, धराशायी हुई एप्रोच रोड

  • जान जोखिम में डालकर एप्रोच रोड से गुजर रहे ग्रामीण
  • डेढ़ दशक बाद भी सुचारू नहीं हो सका आवागमन

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: बाढ़ का कहर थमने के बाद गंगा किनारे बसे लोगों की मुसीबतें कम नहीं हुई। बाढ़ के बाद अधिकांश गांवों के संपर्क मार्ग गायब नजर आ रहे हैं। वहीं, हस्तिनापुर-चांदपुर सीमा को जोड़ने के लिए गंगा नदी पर बने पुल की एप्रोच रोड ही गायब हो चुकी है, सिर्फ बड़े-बड़े पत्थर नजर आ रहे हैं। स्थिति ऐसी है कि अधिकांश लोग यहां आने के बाद लौट रहे हैं। बाढ़ के बाद प्रशासन ने एप्रोच रोड को दुरुस्त करने का कार्य शुरू किया तो किसानों ने शुक्रवार को कार्य रोक दिया।

बता दे कि खादर क्षेत्र से होकर गुजरने वाली गंगा नदी में लगभग डेढ़ महीने तक जमकर कहर बढ़ पाया था। जिसके चलते खादर की तमाम व्यवस्थाएं धराशायी हो गई थी। संपर्क मार्गों के सात गंगा नदी पर बने भीमकुंड पॉल को जोड़ने वाली एप्रोच रोड दोनों ओर से धराशायी हो गई थी। बाढ़ का कर खत्म होने के बाद भी टूटी सड़कों से ग्रामीणों को आवागमन में भारी दिक्कतें हो रही है।

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वहीं एप्रोच रोड धराशायी होने के चलते चांदपुर जाने वाले लोगों को जान जोखिम में डालकर टूटी सड़कों से गुजरना पड़ता है या डेढ़ सौ किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर चांदपुर पहुंचना पड़ रहा है। बाढ़ खत्म हुई तो जिलाधिकारी दीपक मीणा ने ग्रामीणों और उनकी समस्याओं से रूबरू होने के लिए तारापुर में चौपाल का आयोजन किया। जिसमें किसान नेताओं के साथ ग्रामीणों ने भीमकुंड पॉल को जोड़ने वाली एप्रोच रोड के दोनों तरफ नौ स्थानों पर पानी निकासी के लिए पुलिया निर्माण किए जाने की मांग की।

जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को पुलिया निर्माण का आश्वासन भी दिया, लेकिन शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग द्वारा एप्रोच रोड को बिना पुलिया निर्माण किया दुरुस्त कराए जाने का कार्य शुरू किया गया। ग्रामीणों ने विरोध करते हुए एप्रोच रोड का निर्माण कार्य रुकवा दिया। ग्रामीणों का कहना है कि बिना पुलिया निर्माण हुए एप्रोच रोड दुरुस्त हुई तो उन्हें लगातार बढ़ का कहर झेलना पड़ेगा।

करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं हुआ आवागमन सुचारू

2007 में बसपा सरकार ने मेरठ, चांदपुर, मुरादाबाद की दूरी कम करने के लिए गंगा नदी पर भीकुंड गांव के समीप पुल का निर्माण कराया था। निर्माण कार्य शुरू होने के साथ पुल पर सेंचुरी का ग्रहण लग गया और लगभग एक दशक तक कुल निर्माण कार्य अधर में लटक रहा। वन विभाग की अनुमति मिलने के बाद दो साल पूर्व पुल का निर्माण कार्य पूरा हुआ, लेकिन आजतक आवागमन पूर्ण रूप से सुचारू नहींं हो सका।

पूर्व वर्ष में बाढ़ के दौरान पुल के किनारे एप्रोच रोड धराशायी हो गई थी। जिसके चलते लगभग छह महीने अवरुद्ध रहा है। इस बार बाढ़ आने से पहले ही पल के समीप एप्रोच रोड का निर्माण कार्य दुरुस्त हुआ तो बाढ़ के दौरान एप्रोच रोड लगभग छह जगह से धराशायी हो गई। जो लोक निर्माण विभाग के लिए ठीक करना मिल का पत्थर साबित हो रही है।

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