- एसपी सिटी के आदेश पर बेगमपुल पर पुलिस ने चलाया अभियान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कार के डेस बोर्ड पर पुलिस की टोपी रखकर रौब गालिब करने वालों तथा टोल नाकों पर पुलिस की टोपी का मिसयूज करने वालों के खिलाफ बेगमपुल चौराह पर पुलिस ने सख्ती से चेकिंग अभियान चलाया। अभियान एसपी सिटी के आदेश पर चलाया गया। दरअसल, इन दिनों शहर में पुलिस की टोपी डेस बोर्ड पर रखकर खुद को इंस्पेक्टर या दारोगा सरीखा साबित करने का चलन या कहें फैशन जोरों पर हैं।
इस तरह की शोशेबाजी करने वालों में बड़ी संख्या या कहें तमाम ऐसे भी लोग शामिल हैं जिनका पुलिस महकमे से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता, लेकिन रौब गालिब करने के लिए इस प्रकार के तत्व अपनी गाड़ी के डेस बोर्ड पर पुलिस की कैप रख लेते हैं। केवल कैप ही नहीं रखते बल्कि प्रतिबंधित तेज आवाज के हूटर पर भी इनकी गाड़ियों में लगे होते हैं। इसको लेकर कुछ शिकायतें जब मिलीं तो एसपी सिटी ने ऐसी गाड़ियों की धरपकड़ के लिए अभियान के निर्देश दिए
और मंगलवार की शाम को बेगमपुल चौराहे पर पुलिस की टोपी रखकर दूसरों को टोपी पहनाने का प्रयास करने वालों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया गया। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि अनेक बार शिकायतें मिली थीं। यह नियमानुसार गलत है। कुछ लोग इस प्रकार डेस बोर्ड पर पुलिस की टोपी रखकर टोल तक से बगैर टोल दिए निकलने का प्रयास तक करते हैं। ऐसे लोगों की धरपकड़ के लिए निरंतर अभियान चलाया जाएगा।
अपना बकाया हाउस टैक्स वसूलने में निगम को छूटे पसीने
मेरठ: अपना पुराना बकाया हाउस टैक्स वसूलने में नगर निगम के अधिकारियों को पसीने छूट रहे हैं। दो-दो बार नोटिस जारी होने के बाद वह वापिस लौट आये हैं। कुछ ने नोटिस ले लिया है तो उसका जवाब देना गवारा नहीं किया है। बकायेदारों का सुराग नहीं लग पाने से निगम के अधिकारी बेचैन हैं। नगर निगम के वित्तीय वर्ष 2023-24 में कई बकायेदारों के यहां छापे मारे गये। शहर के नामी गिरामी शिक्षण संस्थानों के इन संचालकों ने निगम के 60 लाख रुपये के बकाया हाउस टैक्स का भुगतान नहीं किया था। नगर निगम के अधिकारी जब इन शिक्षण संस्थानों पर कार्रवाई के लिए पहुंचे। तो इन शिक्षण संस्थानों के संचालकों ने नगर निगम की टीम को बकाया के सापेक्ष चेक दे दिये। जिसपर नगर निगम की टीम बिना कोई कार्रवाई किये वापिस लौट आई।
निर्धारित समय सीमा पर चेक लाने वाली टीम ने इन चेक को बैंक में जमा किया तो वह चेक डिस्आॅनर हो गये। कई चेक तो बैंक से इस आपत्ति के साथ वापिस लौटाये गये कि जिस खाते के चेक दिये गये हैं। उन खातों का संचालन कई वर्षों से नहीं हो रहा है। जाहिर है कि नगर निगम की टीम को गच्चा देने के लिए बकायेदारों ने यह सारी व्यूह रचना की थी। इसके बाद नगर निगम ने इन सभी शिक्षण संस्थानों पर नोटिस भेजे। लेकिन यह नोटिस बैरंग वापिस लौट आये हैं। नगर निगम के कर निर्धारण अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि जिन शिक्षण संस्थानों के संचालकों ने हाउस टैक्स की बकाया धनराशि का भुगतान नहीं किया है। उनको अब चक्रवृद्धि ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।