नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन सभी छात्र-छात्राएं अपने गुरुजनों का आभार व्यक्त करते हुए उनके योगदान को याद करते हैं। कहते हैं कि इस पूरे जीवन काल में विद्यार्थी होने की उम्र सबसे महत्वपूर्ण होती हैं। ये बच्चों के आत्म विकास का समय होता है, जिसमें वह अपनी रूचि के आधार पर लक्ष्य का चयन करते हैं। इस उम्र में बनाए गए लक्ष्यों को पूरा करने में शिक्षक की भूमिका बेहद खास होती है, क्योंकि वह छात्र को उनके सपने पूरा करने की प्रेरणा देते हैं। ऐसे में एक शिक्षक के अंदर ये पांच गुण जरूर होने चाहिए। आइए इनके बारे में जान लेते हैं।
समानता का भाव
एक आदर्श शिक्षक की पहचान होती हैं कि, वह किसी भी बच्चे से भेदभाव न करें। उन्हें सभी शिष्यों को समानता के साथ शिक्षा देनी चाहिए। यदि कोई छात्र पढ़ाई में कमजोर है, तो उसे हमेशा प्रयास करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
धैर्यवान
शिक्षक को हमेशा धैर्यवान होना चाहिए। इससे मानसिक शांति का अनुभव होता है। दरअसल, कई बार छात्र एक ही प्रश्न को कई बार पूछे हैं। ऐसे में अध्यापक को कोमलता से पेश आना चाहिए। साथ ही बच्चों को भी एक दूसरे की सहायता करने का ज्ञान देना चाहिए।
ऊर्जावान
एक शिक्षक को ऊर्जावान होना चाहिए, और बिना किसी आलस के सभी बच्चों की समस्याओं का हल करना चाहिए। साथ ही छात्रों की परेशानी को समझते हुए नई चुनौतियों से परिचित कराना चाहिए। यही नहीं उन्हें हर समय बच्चों की सहायता के लिए उपलब्ध होना चाहिए। ऐसा करने से विद्यार्थी और अध्यापक का रिश्ता और मजबूत होता है।
प्रेरणा का स्त्रोत
एक शिक्षक को हमेशा अपने छात्रों का प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहिए। उन्हें समय समय पर सही गलत की पहचान कराते हुए आगे बढ़ने की सलाह देनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चों में हौसला बना रहता है, और उनके सीखने की क्षमता का विकास होता है।
ज्ञान का भंडार
शिक्षक को ज्ञान का भंडार माना जाता है। इसलिए उसे सभी विषयों का गहरा ज्ञान होना चाहिए। इससे छात्रों के सभी प्रश्नों का उत्तर देने में आसानी होती है, और उनतक विस्तृत जानकारी भी पहुंचती हैं।