यह घटना 1947 के आसपास की है। लेस्टर वंडरमैन नामक युवक न्यूयॉर्क की एक विज्ञापन एजेंसी में काम कर रहा था। एक दिन एजेंसी के मालिक को लगा कि यदि वह कुछ कर्मचारियों की छंटनी कर दे तो उसे अधिक मुनाफा होगा। यह सोचकर उसने अनेक कर्मचारियों को एजेंसी से हटा दिया। वंडरमैन भी उनमें से एक था। नौकरी से निकाले जाने के बाद भी वह एजेंसी में आकर कार्य करता रहा। वहां के कर्मचारी उससे बोले, वंडरमैन, जब तुम्हें यहां से निकाल दिया गया है तो तुम यहां काम क्यों कर रहे हो। पहले तो वह सवाल को नजरअंदाज करता, लेकिन जब ज्यादा हो गया तो वंडरमैन ने कहा, मैं बिना तनख्वाह के काम कर रहा हूं। मुझे लगता है कि मैं इस एजेंसी के मालिक से बहुत कुछ सीख सकता हूं। एजेंसी के मालिक सैकहीम वंडरमैन को देखकर नजरअंदाज करते रहे। उन्होंने एक महीने तक उसे नजरअंदाज किया और तनख्वाह भी नहीं दी, लेकन वंडरमैन ने हार नहीं मानी और वहां काम करता रहा। कुछ समय बाद सैकहीम वंडरमैन के पास आकर बोले, ठीक है, तुम जीत गए। मैंने पहले कभी ऐसा आदमी नहीं देखा, जिसे तनख्वाह से ज्यादा काम प्रिय हो। वंडरमैन वहीं पर काम करता रहा। उसने वहां विज्ञापन की बहुत सी बारीकियां समझीं। जब उसे काम करते हुए काफी अनुभव हो गया तो उसने अपने तरीके और समझ से विज्ञापन बनाना आरंभ कर दिया। इसके बाद वह विज्ञापन की दुनिया में इस कदर छाया कि उसे इस क्षेत्र में सदी के सबसे सफल व्यक्तियों में से एक माना गया। वह सैकहीम के यहां काम करते हुए सैकहीम से ज्यादा प्रसिद्ध हो गया। आज वंडरमैन को डायरेक्ट मार्केटिंग के जनक के रूप में याद किया जाता है।