Wednesday, January 22, 2025
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किसानों के हिंसक प्रदर्शन पर सोशल मीडिया में दिखा गुस्सा, ट्विटर पर ट्रेंड हुआ ‘दिल्ली पुलिस लठ बजाओ’

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: 26 जनवरी 1950 को हमारा देश गणतंत्र हुआ था और 26 जनवरी 2021 को राष्ट्रीय राजधानी में ऐसा बवाल हुआ कि इंटरनेट सेवा रोकनी पड़ी, मेट्रो स्टेशन बंद करने पड़े, भारी संख्या में पुलिस बल तैयार करना पड़ा और स्थिति नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को उच्चस्तरीय बैठक बुलानी पड़ी।

आइए जानते हैं कि सोशल मीडिया पर जनता क्यों गुस्से में है, इस बारे में क्या सोच रहा देश

देश में क्या हो रहा है उस पर देश की जनता का क्या पक्ष है इसे जानने के लिए सबसे आसान प्लेटफॉर्म है सोशल मीडिया। दिल्ली में हुए किसानों के प्रदर्शन को लेकर भी देश की जनता ने सोशल मीडिया पर बताया कि आखिर वह इसके बारे में क्या सोचती है। ट्विटर पर ट्रेंड हो रहा हैशटैग ‘दिल्ली पुलिस लठ बजाओ’ साफ बताता है कि देश की जनता का रुख क्या है।

प्रदर्शन के कुछ देर बाद ही ट्विटर पर यह हैशटैग ट्रेंड करने लगा। अभी तक इस हैशटैग के साथ 2.6 लाख ट्वीट किए जा चुके हैं। इनमें लोग दिल्ली पुलिस के समर्थन में और अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और अपनी बात रख रहे हैं। कोई शूट एट साइट का आदेश देने की मांग कर रहा है तो कई इन्हें किसान मानने से ही इनकार कर रहे हैं।

विजय सलगांवकर नामक एक यूजर ने लिखा, ‘यह किस तरह का प्रदर्शन है? सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाना, कानून तोड़ना, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना, सरकारी कर्मचारियों (पुलिस) के साथ मारपीट करना, जो उनकी ही सुरक्षा के लिए थे। शर्मनाक।’ वहीं एक अन्य यूजर अमित कुमार ने लिखा कि ये किसान नहीं हैं।

एक अन्य यूजर दीपक ने एक किसान की हाथ में तलवार लेकर बैरीकेड्स के ऊपर से चढ़कर जाते प्रदर्शनकारी की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है, ‘बाजार में नई निंजा तकनीक आई है।’ उधर, श्रीजीता बनर्जी ने ट्वीट में लिखा,’बहुत हुआ!! पुलिस कर्मियों (महिला) के साथ मारपीट,. सबके ऊपर पत्थर फेंकना, 26 जनवरी पर अराजकता फैलाना! दिल्ली पुलिस लठ बजाओ।’

एक और यूजर आकांक्षा मिश्रा भंडारी ने दो तस्वीरें साझा कीं। इसमें से एक तस्वीर में एक किसान हाथ में तिरंगा लेकर अपने खेत में खड़ा है। दूसरी तस्वीर में लाल किले पर प्रदर्शन करते लोग नजर आ रहे हैं। उन्होंने पहली तस्वीर को भारत का असली किसान और प्रदर्शनकारियों को खलिस्तानी करार दिया है।

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