- कर्मचारियों के निलंबित होने के साथ कई बार हो चुके हैं बयान, नतीजा सिफर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मार्च 2018 से चौधरी चरण सिंह विवि में एसआईटी की ओर से एमबीबीएस कॉपी घोटाले की जांच चल रही हैं, लेकिन वह अभी तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाई है और फाइल जांच में ही फंसी हुई है।
सीसीएसयू में दो साल पहले हुए एमबीबीएस कॉपी घोटाले में एसआईटी टीम जांच कर रही है। जांच के बाद हाल ही में विवि के 31 कर्मचारियों को एसआईटी ओर से नोटिस जारी कर बयान भी दर्ज कराए गए थे।
वहीं, दूसरी ओर इस मामले में विवि स्तर पर भी कमेटी गठित कर जांच कराई जा रही हैं, जिसमें चार कर्मचारियों को मामले में दोषी पाई जाने पर निलंबित भी किया गया था।
मगर इतने कुछ होने के बाद भी नतीजे सिफर बने हुए है। 17 मार्च 2018 को एसटीएफ ने छात्र कविराज और विवि के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था।
छात्र नेता कविराज कर्मचारियों की मदद से कॉपियों की अदला-बदली कर देता था! जिसके बाद और भी कई लोगों के नाम सामने आए और मेरठ से लेकर मुजफ्फरनगर तक के कॉलेजों के रिकॉर्ड एसआईटी की ओर से खंगाले गए।
अब दोषी छात्रों की हैंडराइटिंग की हो रही जांच
एमबीबीएस कॉपी घोटाले में अभी तक एसआईटी व विवि को कोई पुख्ता सुबूत हाथ नहीं आ रहे है। क्योंकि कुछ दोषियों को पकड़ लिया गया है, लेकिन अभी कुुछ और के चेहरे सामने आने बाकी है।
वहीं अब एसआईटी के निर्देश पर विवि कॉपी घोटाले में सम्मलित छात्रों की हैंडराइटिंग की जांच करा रही है। सूत्रों की माने तो इस मामले में छात्रों को सोमवार को विवि भी बुलाया गया था।