Monday, October 7, 2024
- Advertisement -

दो चरण और बड़ी लकीर खींच दी गठबंधन ने

  • कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर, पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां जेल में, बेटा अब्दुल्ला बेल पर हैं, लेकिन रामपुर में बंपर वोटिंग

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सोमवार को दूसरे चरण का मतदान हुआ। प्रथम चरण के बाद द्वितीय चरण पर प्रत्येक राजनीतिक दल की निगाहें लगी हुई थी। कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां जेल में हैं। उनका बेटा अब्दुल्ला बेल पर हैं, लेकिन रामपुर में बंपर वोटिंग हुआ। कहा यह भी जा रहा है कि प्रथम व द्वितीय चरण के चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन ने बढ़ता बना ली।

बड़ी लकीर गठबंधन की तरफ से भाजपा के सामने खींच दी गई हैं। इस चर्चा में कितना दम है, यह तो दस मार्च को ही मालूम होगा, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि 2017 के चुनाव में भाजपा प्रथम और द्वितीय चरण में क्लीन स्वीप हुई थी। भाजपा का मुकाबले विपक्षी दल नहीं कर पाये थे, जिसके गवाह आंकड़े हैं।

दो लड़कों की जोड़ी भाजपा के दिग्गजों पर दोनों चरणों में भारी पड़ती नजर आ रही हैं। दोनों चरणों के चुनाव में जो लकीर गठबंधन ने खींची है आखिर इस लकीर को भाजपा तीसरे, चौथे व अन्य चरणों में छोटा कर पाती है या फिर नहीं। यह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती पूर्ण रहेगा।

भाजपा के तमाम दिग्गजों ने पश्चिमी यूपी को पूरा फोकस किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताबड़तोड़ कार्यक्रम किये, लेकिन इसके बावजूद पश्चिमी यूपी में जो भाजपा के खिलाफ माहौल का ‘चक्रव्यूह’ बना, उसको भेदने में भाजपा के दिग्गज विफल ही दिखाई दिये। यही वजह रही कि प्रथम चरण के जो रुझान मिले, उसको लेकर भाजपा के दिग्गज भी मुश्किल में हैं।

द्वितीय चरण के मतदान भी भाजपा पर भारी पड़ता हुआ दिखाई दिया। 2017 के चुनाव में 55 सीटों पर द्वितीय चरण में चुनाव हुआ था, तब 38 सीटें भाजपा को मिली थी। ये एक रिकॉर्ड है। भाजपा को इतनी बड़ी उपलब्धि द्वितीय चरण में मिली, जिसके बारे में भाजपा के दिग्गजों ने भी नहीं सोचा था। मंगलवार को फिर द्वितीय चरण के लिए 55 सीटों के लिए मतदान हुआ, जिसमें जो रूझान मिले हैं, वो भाजपा को मुश्किल में डालने वाले हैं।

पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां जेल में हैं और उनका बेटा अब्दुल्ला बेल पर हैं। इसके बावजूद जिस तरह से रामपुर में बंपर वोटिंग हुआ। गठबंधन के नेताओं में उत्साह दिखाई दिया। रुझान भी गठबंधन के पक्ष में दिखा। बिजनौर में आठ विधानसभा सीटें हैं, जिसमें चार पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हैं। पूर्व गन्ना मंत्री स्वामी ओमवेश चांदपुर से सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी हैं।

चांदपुर में गठबंधन के पक्ष में रुझान दिखा। यही वजह है कि स्वामी ओमवेश पूरी तरह से संतुष्ट नजर आये। नजीबाबाद से भारतेन्द्र भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में डटे हैं। भारतेन्द्र सांसद और विधायक भी रहे चुके हैं। गठबंधन की लहर को रोकने के लिए भाजपा ने भारतेन्द्र को चुनाव मैदान में उतारा, जिसके चलते नजीबाबाद में चुनाव बेहद कांटे का हो गया। सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी मनोज पारस नगीना से चुनाव मैदान में डटू हैं।

पूर्व मंत्री मनोज पारस और भाजपा प्रत्याशी डा. यशवंत सिंह के बीच संघर्ष पूर्ण चुनाव रहा। दोनों दिग्गजों के बीच चुनाव बेहद रोमांचक रहा। पूर्व मंत्री मूलचंद चौहान बसपा प्रत्याशी के रूप में धामपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। मूलचंद चौहान ने चुनाव से ठीक पहले ही पाला बदला है, इससे पहले वह सपा की साइकिल पर सवार थे, लेकिन वर्तमान में बसपा के चुनाव चिन्ह पर धामपुर से चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं।

उनके सामने सपा के नईमुउल्ल हसन तथा भाजपा के अशोक राणा हैं। तीनों ही दिग्गज हैं। त्रिकोणीय चुनाव यहां पर हुआ हैं। बिजनौर सिटी का चुनाव भी रोमांचक रहा। रुचि वीरा बसपा, सूची चौधरी भाजपा और डा. नीरज चौधरी रालोद-सपा गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। रुझान यह रहा कि मुस्लिम मतदाता शहर को छोड़ दे तो ग्रामीण क्षेत्र में बिखर रहा था। एक जगह कहीं नहीं गया।

इसी वजह से बिजनौर सिटी का चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में फंसा है। बढ़ापुर और नहटौर में मुंशीराम पाल और भाजपा के ओमकुमार के बीच ही कड़ा मुकाबला बना रहा। दरअसल, प्रथम और द्वितीय चरण के चुनाव ने यूपी के विनर को ईवीएम में ‘लॉक’ कर दिया है, जिसके लिए दस मार्च तक इंतजार करना होगा।

महंगाई पर उठे सवाल

महंगाई पर भी चुनाव में सवाल खूब उठे। महिलाओं ने भी दो टूक कह दिया कि गैस सिलेंडर ने रसोई का हिसाब-किताब बिगाड़ दिया है। महिलाओं ने महंगाई के खिलाफ वोट किया। यही नहीं, महिलाओं ने कहा कि सरसो का तेल आसामान छू गया। कैसे रसोई का बजट कंट्रोल करें? रसोई को लेकर महिलाएं मतदान मतदान केन्द्र पर गंभीर दिखाई दी। महिलाओं ने कहा कि महंगाई ने कमर तोड़ दी हैं।

क्या पिछली तुलना में सपा ज्यादा सीटें निकाल पाएगी?

क्या पिछली तुलना में सपा प्रथम और द्वितीय चरण में ज्यादा सीटे निकाल पाएगी? यही नहीं, क्या भाजपा ने जितनी सीटें जीती थी, क्या उतनी सीटें बरकरार रख पाएगी? 55 सीटों में से भाजपा ने 38 सीटें जीती थी। अब ऐसे में भाजपा का प्रयोग कामयाब हो पाएगा।

20 7

बड़ा सवाल यह है कि पिछली बार भाजपा ने 38 सीटें जीती थी क्या भाजपा 38 सीटों को बरकरार रख पाएगी? इन दो सवालों के इर्द-गिर्द ही चुनाव घूम रहा हैं। उम्मीदवार व उसकी जाति भी इस चुनाव में मायने रखती हैं। यह तब मायने रखती है, जब प्रत्याशी सीधे मुकाबले में हैं। जाति के हिसाब से भी मतदाता वोट कर रहे हैं। 25 सीटें मुस्लिम तय करते हैं तथा दलित 20 सीटों का प्रभावित करते हैं।

13 सीटें ऐसी बचती, वो भी अहम हैं। हम द्वितीय चरण की बात कर रहे हैं, जिसमें आंकड़े चौकाने वाले हैं। युवा दलित बिखरता हुआ भी इस चुनाव में दिखाई दिया। यह मायावती का कैडर वोट हुआ करता था, लेकिन अब ये क्यों बिखर रहा हैं? 50 के पार दलितों का वोट का परिदृश्य बसपा पर जाता हुआ दिखाई दिया। भाजपा के लिए भी यह बड़ी चुनौती है कि वह अपनी उन सीटों का बरकरार रखा जाए, जो पिछले चुनाव में जीती थी।

इसको लेकर ही जद्दोजहद चल रहा है। जातियों के समीकरण और मुस्लिमों की एकजुटता भी द्वितीय चुनाव में देखने को मिली है। मुस्लिमों का बिखरा कम दिखा। परिवर्तन की दिशा में मुस्लिम क्या सोचते हैं? मुस्लिम अपना भविष्य सपा में ही क्यों मानते हैं? उधर, भाजपा अपर कास्ट और ओबीसी को लेकर भी भाजपा चल रही थी, लेकिन इसमें भी बदलाव हुआ। ओबीसी में भी बिखराव हुआ।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

बहचौला की अवैध कालोनी पर गरजा मेडा का बुलडोजर

मेडा के प्रवर्तन दल की कार्रवाई से मचा...

69 में से एक भी कार्य फाइनल नहीं, जेई कार्यमुक्त

कार्य में गुणवत्ता न होने पर ठेकेदार के...

त्योहारी सीजन में सफाई व्यवस्था ध्वस्त

सिल्ट से भरीं नाले नालियां, बिना बारिश जलभराव,...

हादसे में घायल पिकअप चालक ने दम तोड़ा, साथी गंभीर

गाजियाबाद के मसूरी बाइपास पर बीती रात हुआ...

रहस्यमय तरीके से चरवाहा लापता, गंगा में डूबने की आशंका

पुलिस और पीएसी गोताखोर भी बैरंग लौटे जनवाणी संवाददाता...
spot_imgspot_img