Wednesday, July 3, 2024
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आखिर कहां से आई फर्जी स्टांप की इतनी बड़ी खेप !

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  • स्टांप घोटाले के दौरान अभी तक प्रकाश में आए 997 मामलों के लिए सीधे तौर पर किसे जिम्मेदार ठहराया जाए

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सात करोड़ से अधिक के स्टांप घोटाले के दौरान अभी तक प्रकाश में आए 997 मामलों के लिए सीधे तौर पर किसे जिम्मेदार ठहराया जाए। इन दिनों इसी बात को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है। लोगों का कहना है कि जिस प्रकार सालों-साल रजिस्ट्री विभाग आंखें बंद करके फर्जी स्टांप पर रजिस्ट्री करता रहा, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि विभाग अपने दामन को पाक साफ रखने के लिए सारा इल्जाम दूसरों पर डालकर पल्ला नहीं झाड़ सकता।

इस सिलसिले में थाना सिविल लाइन में दर्ज कराए गए मुकदमे में भूमि क्रय करने वाली तीन कंपनियों को हालांकि नामजद किया गया है, लेकिन इस पूरे प्रकरण के अधिकांश बैनामों के कागजात तैयार करने वाले अधिवक्ता को भी जांच के दायरे में लिया गया है। अभी इस सवाल का जवाब तलाश करने का प्रयास किया जा रहा है कि इतने बड़े पैमाने पर स्टांप की खेप को कहां से लाया गया है।

दरअसल, अगस्त माह में फर्जी स्टांप का एक प्रकरण सामने आने के बाद प्रदेश स्तर से जारी किए गए आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी स्तर से बीते तीन वर्षों में किए गए सभी बैनामों में पांच हजार से अधिक के स्टांप लगाए जाने के मामलों की व्यापक स्तर पर छानबीन कराई गई है। जिसके आधार पर उप निबंधक सदर द्वितीय कार्यालय में तैनात कनिष्ठ सहायक प्रदीप कुमार की ओर से सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई गई रिपोर्ट में मैसर्स पर्व एसोसिएट्स, देव एसोसिएट्स और वासु एसोसिएट्स वगैरह को नामजद किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 997 अभिलेखों में सात करोड़ 31 लाख 45 हजार हजार रुपये के घोटाले की बात जांच में सामने आई है।

एडीएम वित्त एवं राजस्व के स्तर से संपत्ति की खरीद करने वाली कंपनियों से स्टांप ड्यूटी पर 18 प्रतिशत ब्याज और जुर्माना वसूल करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। अधिकारियों के स्तर से जांच के दौरान इस सवाल का जवाब तलाश करने का प्रयास किया जा रहा है कि इतने बड़े स्तर पर फर्जी स्टांप आखिर किसके माध्यम से मेरठ के रजिस्ट्री कार्यालयों तक पहुंचे हैं। इस बारे में अधिवक्ताओं के अनुमान के अनुसार फिजीकली यानि पेपर पर छपे स्टांप बहुत सफाई से छपवाने की संभावना बहुत अधिक नजर आती है।

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