Wednesday, December 4, 2024
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आखिर दागदारों को कौन दे रहा शह?

  • गांधी आश्रम के पदाधिकारियों के खिलाफ लखनऊ की हजरत गंज कोतवाली में दर्ज हुआ था मुकदमा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: गांधी आश्रम के पदाधिकारियों के खिलाफ लखनऊ की हजरत गंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ था। ये मामला 12 लोगों के खिलाफ दर्ज कराया गया था। धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। कार्रवाई इसमें आरोपियों के खिलाफ नहीं हुई। दरअसल, गांधी आश्रम की जमीन बेचने को लेकर धोखाधड़ी से लेकर तमाम हथकंडेÞ अपनाये जा रहे हैं। दो वर्ष का लंबा समय बीत गया, लेकिन इसमें साजिश दर साजिश हो रही हैं, मगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो रही हैं। आखिर किसकी शह पर ये पूरा खेल चल रहा हैं,

जो एफआईआर दर्ज होने के बाद भी कभी जमीन की लीज डीड कर दी जाती हैं तो कभी पार्किंग के लिए जमीन दे दी जाती हैं। दोषियों पर ये कैसी मेहरबानी चल रही हैं? जिम्मेदारों को क्यों बचाया जा रहा हैं? 100 दिन से कर्मचारी दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए क्रमिक अनशन पर बैठे हैं, लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं। आखिर ऐसी क्या मजबूरी है जो दोषियों को जेल भेजने की बजाय उन्हें बचाने की कवायद की जा रही हैं। कुछ तो अवश्य ही घालमेल चल रहा हैं।

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गांधी आश्रम के पदाधिकारियों की मिली भगत से करोड़ों रुपये कीमत की जमीन को नियम विरुद्ध लीज पर दे दिया गया था। इस मामले में आयोग के सहायक निदेशक प्रशांत मिश्र ने गांधी आश्रम के महामंत्री और अन्य पदाधिकारियों समेत 12 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। ये मुकदमा खादी और ग्रामोद्योग आयोग के निदेशक प्रशांत मिश्र ने दर्ज कराया था। गांधी आश्रम की मेरठ में 3271.40 वर्ग मीटर भूमि दान में मिली थी। बिना आयोग की पूर्व समहति के उक्त भूमि को विक्रय करना अथवा लीज पर देना नियम विरुद्ध पाया गया था।

इसके बाद भी महामंत्री अरविंद श्रीवास्तव ने जमीन को लीज पर देने के लिए मंत्री पृथ्वी सिंह रावत को अधिकृत कैसे कर दिया था? इसकी भी जांच पड़ताल नहीं की गई। इसमें दान में मिली जमीन को कैसे बेचा जा जा सकता हैं। इन सवालों के जवाब कहीं नहीं मिले। इसमें पृथ्वी सिंह रावत ने बिना आयोग की किसी अनुमति के मैसर्स रेणुका आशियाना को जमीन लीज पर देने की पूरी प्रक्रिया कर दी थी, लेकिन इसका भारी विरोध होने पर प्रशासन थोड़ा हरकत में आया था,

जिसके चलते गांधी आश्रम की बिल्डिंग में जो तोड़फोड़ चल रही थी, वो रुकवा दी गई थी, जबकि गांधी आश्रम, लखनऊ द्वारा आयोग को एक करोड़ 92 लाख 50 हजार ऋण के रूप में चुकाना है। ये ऋण भी चुकता नहीं किया गया। आखिर जमीन के खेल में जुटे लोगों को किसकी शह मिल रही हैं? जिम्मेदारों पर शिकंजा प्रशासन क्यों नहीं कस पा रहा हैं? आखिर प्रशासन की क्या मजबूरी है जो दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने पर बार-बार जमीन लीज पर देने का मामला उठता रहता हैं।

इनके खिलाफ हुई थी एफआईआर

अरविंद श्रीवास्तव, संचालक रामनरेश सिंह, सदस्य रवींद्र नाथ उपाध्याय, प्रकाश चन्द्र जोशी, टीनानाथ तिवारी, शत्रुघन द्विवेदी, रामवचन शुक्ला, विनोद प्रकाश चौहान, सुरेंद्र नाथ यादव, मुखराम, संजय सिंह, पृथ्वी सिंह रावत व अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें भी आरोपियों की अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई।

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