जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार न कानून को मान रही है, न चुनाव आयोग को मान रही है। इन लोगों ने सब कुछ अपने कब्जे में कर लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ जनता के बीच स्वयं रणनीति बनती जा रही है। छात्र लड़ाई लड़ेंगे, अग्निवीर एक दिन क्रांतिवीर बनकर आएंगे। बेरोजगार, दुकानदार, रेहड़ी-ठेले वाले सब एक दिन बर्बाद होकर एकजुट होंगे और सरकार के विरोध में सामने आएंगे।
मेरठ कालेज पर हॉस्टल खुलवाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे छात्रों के बीच पहुंचे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हॉस्टल को बिकने नहीं देंगे। खरीदने वाले सोच-समझकर निर्णय लें, यह गांव की प्रोपर्टी है, और गांव की ही रहेगी। भारतीय किसान यूनियन छात्रों के साथ है, उनके साथ किसी प्रकार की नाइंसाफी नहीं होने दी जाएगी। हॉस्टल इसलिए बनाए जाते हैं ताकि गांव के ऐसे बच्चे शहर में रहकर अपनी पढ़ाई कर सकें, जिनके पास शहर में मकान नहीं है। लोगों ने दान देकर स्कूल कालेज और हॉस्टल आदि बनवाए हैं। यह बिकने नहीं दिए जाएंगे। गांव के लोग, किसान और अभिभावकों से इस पर नजर रखने का आह्वान भी उन्होंने किया। यह ऐसी सरकार आई है, जो सब कुछ बेचने पर आमादा है।
हर राज्य की राजधानी में कार्यक्रम हैं, जिनमें राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिए जाएंगे। वे खुद लखनऊ और नरेश टिकैत देहरादून में रहेंगे। इसी तरह संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े नेता हर राज्य में ज्ञापन देंगे। भारत सरकार और राज्य स्तर की समस्याओं को लेकर अलग-अलग दो ज्ञापन दिए जाएंगे। बिजली समस्या, एमएसपी गारंटी कानून, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट आदि के मुद्दे शामिल रहेंगे। इसके लिए 26 नवंबर की तिथि के संबंध में उनका कहना था कि दो वर्ष पहले दिल्ली में इसी तारीख से आंदोलन शुरू किया गया था, जिसमें किसानों को बदनाम करने की कोशिश भी की गई थी। यह तारीख इनको याद रहनी चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई वादा पूरा नहीं किया। आठ दिसंबर को एसकेएम की मीटिंग में भी इन मुद्दों पर चर्चा करके आगे की रणनीति बनाई जाएगी। देश भर में एसकेएम के लोग जाकर बैठकें कर रहे हैं।
सरकार के कामकाज के बारे में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार न कानून को मान रही है, न चुनाव आयोग को मान रही है। इन लोगों ने कब्जा कर लिया है। इनको किसानों की ओर से बराबर पत्र लिखे जा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ स्वयं रणनीति बनती जा रही है। छात्र लड़ाई लड़ेंगे, अग्निवीर एक दिन क्रांतिवीर बनकर आएंगे, बेरोजगार आएंगे, दुकानदार आएंगे, रेहड़ी ठेले वाले आएंगे। यह सब बर्बाद होकर एक साथ आएंगे। उन्होंने कहा कि कोई तो चाहता है कि उसका देश अमीर हो, लेकिन ये ऐसे तानाशाह हैं, जनता गरीब हो। उन्होंने अपनी शैली में कहा कि झूठिस्तान का बादशाह पूरी दुनिया में एक ही है, इसे ज्यादा क्लियर कराने की जरूरत नहीं है। मिल चलने लगे, भुगतान नहीं हुआ। ये जमीनें फ्री में लेंगे, और सबको बर्बाद करेंगे। लखनऊ एयरपोर्ट की जमीन मुफ्त में ले ली गई है। इनकी निंगाहें जमीनों पर हैं।