- सूचना आयोग हुआ सख्त, मांगी सारी जानकारी
- 21 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ‘हस्तिनापुर’ जिसे पूरा देश ‘महाभारतकालीन’ मानता है। हस्तिनापुर, जो विश्व के धार्मिक पटल पर इतिहास संजोए हैं, हस्तिनापुर, जिसे महाभारतकाल के कौरवों की वैभवशाली राजधानी का दर्जा प्राप्त है। हस्तिनापुर, जो आज भी पांडवों के किले से लेकर महल, मन्दिर और अन्य अवशेषों का गवाह है। वही हस्तिनापुर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के लिए एक अंजान स्थान है।
यहां की ऐतिहासिकता इस विभाग के लिए कोई मायने नहीं रखती। जो हस्तिनापुर अपने भीतर भारत का गौरवशाली इतिहास समेटे हैं, उसी इतिहास को भारतीय पुरातत्व विभाग ने नकार दिया है। हांलाकि इस पूरे प्रकरण पर केन्द्रीय सूचना आयोग सख्त हो गया है और उसने 21 दिनों के भीतर पुरातत्व विभाग से सभी जानकारी मुहैया कराने को कहा है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती ने हस्तिनापुर के साथ साथ सिनौली और बरनावा उत्खनन से महाभारतकाल को लेकर जानकारी मांगी थी। इस पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यह जवाब दिया कि इन तीनों ही स्थानों पर महाभारतकालीन कोई भी प्रमाण नहीं मिलता। प्रश्नकर्ता का सवाल जायज था,
लेकिन जवाब इतना अटपटा मिलेगा यह किसी ने सोचा भी न होगा। सब जानते हैं कि महाभारत और हस्तिनापुर का चोली दामन का साथ है। महाभारतकालीन हस्तिनापुर पर रिसर्च तक हो चुकी है। हस्तिनापुर का इतिहास छात्र छात्राओं के पाठ्यक्रम तक में शामिल है, लेकिन इसके बावजूद पुरातत्व विभाग ने सब तथ्यों को आखिर किस आधार पर नकारा, यह सोचने का विषय है।
क्या कहा पुरातत्व विभाग ने?
प्रियंक भारती के अनुसार विभाग का कहना है कि मेरठ सर्किल द्वारा अभी तक कराए गए उत्खनन में महाभारतकालीन कोई भी प्रमाण उपलब्ध नहीं हो सका है। दरअसल 14 जून 2022 को नेचुरल सार्इंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं शोभित विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण उत्खनन शाखा एवं मेरठ सर्किल से हस्तिनापुर, बरनावा एवं सिनौली उत्खनन से जुड़ी जानकारियां मांगी थीं, जिसके जवाब में विभाग ने साफ किया कि इन स्थानों का कोई भी महाभारतकालीन इतिहास अभी तक सामने नहीं आया है।
सूचना आयोग में हो चुकी है सुनवाई
प्रियंक भारती की अपील पर इस पूरे मामले में केन्द्रीय सूचना आयोग में 2 मार्च 2023 को सुनवाई हो चुकी है। इस सुनवाई के बाद आयोग ने 6 मार्च 2023 को आदेश पारित करते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को आदेश दिए कि वो पूरे मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों के अवलोकन के बाद संबधित प्रशनकर्ता को उचित जानकारी उपलब्ध कराए और साथ ही साथ इस जानकारी से आयोग को भी अवगत कराए।