- दिल्ली मेट्रो में सफ र के दौरान रील बनाने वाले युवाओं के लिए नया फरमान
- मेरठ के भी कई युवा रील बनाकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर करते हैं कमाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेट्रो टेÑनों में ठुमके लगाकर या फिर अपनी कलाकारी की रील बनाकर उन्हे स्नैपचैट से लेकर इंस्टाग्राम या फि र दूसरे सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म पर अपलोड करने वाले लोगोें के लिए अब बंदिशें होंगी। इसके लिए दिल्ली मेट्रो ने मेट्रो में सफर के दौरान रील बनाने पर पाबंदी लगा दी है। दलील यह दी गई है कि इससे यात्रियों को असुविधा होती है। बताते चलें कि मेरठ के भी कई युवा दिल्ली मेट्रो स्टेशनों एवं मेट्रो ट्रेनों में रील बनाकर उन्हें सोशल मीडिया पर अपलोड कर अच्छी खासी कमाई करते हैं।
हाल ही में दिल्ली मेट्रो रेल में इन्टाग्राम रील बनाने की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही थी। मेट्रो अधिकारियों को शिकायत मिल रही थी कि इससे सफर में खलल पैदा होता है। इन्ही शिकायतों के आधार पर इस संबंध में डीएमआरसी ने ऐसा करने वाले सभी लोगों से अपील की है कि वो सुरक्षित सफर का आनन्द लें और मेट्रो ट्रेन के अंदर रील बनाने से बचें। इससे पहले भी कई बार दिल्ली मेट्रो रील बनाने वाले लोगों से इस प्रकार की अपीले कर चुका है लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा था।
अब आकर मेट्रो प्रशासन ने सख्त रुख अख्तियार किया है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने ट्विट में कहा है कि ‘यात्रा करो, परेशानी पैदा न करो’। ट्विट में यह भी हिदायत दी गई है कि ‘यात्री बनो, उपद्रव नहीं’। दिल्ली मेट्रो में मेरठ के भी कई युवा डांस रील बनाकर इंस्टाग्राम व स्नैपचैट पर अपलोड करते रहते हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वो लाइक और वीव्स से इनकम भी करते हैं।
कोहरे में भी हवा से बात करेगी ‘रैपिड’
कड़ाके की ठंड में जब घना कोहरा पड़ता है तो इसका सीधा असर रेलों के संचालन पर पड़ता है। घने कोहरे के कारण भारतीय रेलों का संचालन बुरी तरह प्रभावित होता है। कई महत्वपूर्ण ट्रेनें या तो घंटों लेट चलती हैं या फिर रद कर दी जाती हैं। ट्रेनें कई बार कई दिनों तक स्थगित रहती हैं। कुल मिलाकर घने कोहरे में भारतीय रेलों का ढर्रा बेपटरी हो जाता है।
अब इन सब से परे भारतीय रेल आधुनिकता से कदमताल करेगी। इसकी शुरुआत देश की पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन रैपिड से होने जा रही है। दिसम्बर हो या जनवरी। इन महीनों में पड़ने वाले घने कोहरे में भी रैपिड रेल हवा से बात करेगी। इसके संचालन में कोई रुकावट पैदा नहीं होगी। ऐसा होगा रैपिड में इस्तेमाल होने वाली आधुनिक तकनीक के चलते। दरअसल, रैपिड के इंजीनियर्स रैपिड को आधुनिक बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं।
यदि भारतीय रेलों की बात करें तो कोहरे में यह ट्रेनें सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। कोहरे से बचने के लिए इनमें हालांकि फॉग सेफ्टी डिवाइस का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसके बावजूद कई बार सुरक्षात्मक रेल संचालन पर सवाल खड़े हो जाते हैं। विजिबिलिटी टेस्ट के बाद ट्रेनों का संचालन सुनिश्चत किया जाता है। इसके अलावा ट्रैक पर पेट्रोलिंग बढ़ानी पड़ती है तथा रेलवे संकेतकों के पास गिट्टियों को चूने से रंगा जाता है, तब कहीं जाकर रेल संचालन पर मोहर लगती है,
लेकिन इन सब से परे रैपिड में इस्तेमाल होने वाली आधुनिक तकनीक के सहारे यह ट्रेन घने कोहरे में भी हवा से बातें करेगी। रैपिड अधिकारियों के अनुसार इन ट्रेनों में ऐसी टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है कि कोहरे का रैपिड के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुल मिलाकर प्रतिदिन आठ लाख लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का लक्ष्य रखने वाली रैपिड रेल अपने यात्रियों के लिए सुरक्षा और आधुनिकता का नया ट्रेंड होगी।