- अधिकारियों के सामने पीड़ित ने रो-रोकर सुनाई आप बीती
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम में मंगलवार को निगम की गाड़ी चलाने वाले गफ्फार मंगल दिवस (जनसुनवाई) में अपनी फरियाद लेकर पहुंचा। उसने नगर निगम में अंधेरगर्दी का आरोप लगाया। उसने बताया कि वह नगर निगम में करीब 15 वर्षों से गाड़ी चालक के रूप में काम कर रहा है।
उसे अभी तक उसका वेतन नहीं मिला है। शिकायती पत्र में बताया कि उसे एक बार चेक के माध्यम से सवा लाख रुपये ही 15 वर्षों के भीतर मिल सके हैं। उसकी शिकायत पर मंगल दिवस में मौजूद अधिकारी ठोस कार्रवाई का आश्वासन नहीं दे सके। जिसके बाद गफ्फार नगर निगम में अंधेरगर्दी की हद होने का आरोप लगाते हुये बच्चों की तरह से फूट-फूटकर रोने बिलखने लगा।
टाऊन हॉल नगर निगम के क्वार्टर निवासी अब्दुल गफ्फार पुत्र भूरे ने बताया कि 10 जुलाई, 2005 को उसकी नियुक्त सेवानिवृत जगदीश गाड़ी चालक स्वास्थ्य विभाग की जगह पर की गई थी। वह तभी से नगर निगम में गाड़ी चालक के रूप में कार्य करता चला आ रहा है। वर्तमान में भी वह चीफ इंजीनियर निर्माण यशवंत सिंह की गाड़ी चालक के रूप में कार्य कर रहा था। उसने बताया कि नगर स्वास्थ्य अधिकारी की आख्या 25 सितंबर 2005 के आधार पर जगदीश सिंह पुत्र हिम्मत सिंह के स्थान पर की गई थी।
वहीं, 20 जून 1989 को उसे दैनिक वेतन पर आवश्यक सेवा के लिये रखा गया। उसने बताया कि नगर निगम में नये वाहन आने पर 20 नवंबर, 1998 को दैनिक वेतन से संविदा पर परिवर्तित कर दिया गया था। जिसमें उनकी नियुक्ति स्वीकृति नगर आयुक्त की पत्रावली के नियमित वेतन प्राप्त न करने को लेकर मामला कोर्ट में चला गया था। गफ्फार ने बताया कि उसके बाद नगर स्वास्थ्य अधिकारी एमपी सिंह की आख्या, 29 दिसंबर 2009 के द्वारा नियमितिकरण सही पाया गया और न्यायसंगत मानते हुये 1 दिसंबर 2008 को नियमित वेतन आहरित किये जाने की आख्या प्रेषित की गई।
उस आख्या पर तत्कालीन नगर आयुक्त ने 23 अप्रैल 2010 को स्वकृति प्रदान की थी। 23 अप्रैल 2010 में जगदीश ड्राइवर के पद पर अब्दुल गफ्फार का स्थायीकरण कर दिया गया था। इसमें 14 अगस्त 2012 से उनकी सेवा को प्रमाणित किया गया और जिसमें वेतन के सापेक्ष सवा लाख रुपये का भुगतान 12 अगस्त 2011 को किया गया, लेकिन उसके उपरांत अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया।
तभी से वह नगर निगम के चक्कर काट रहा है, लेकिन उसका भुगतान नहीं हो सका। तभी से वह आज तक नगर निगम व तमाम अधिकारियों के चक्कर वेतन प्राप्त करने को काट रहा है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी। इस पर अपर आयुक्त प्रमोद कुमार से बात की गई तो उन्होंने मामला संज्ञान में नहीं होने की बात कही।