- 18 फरवरी को मनाया जाएगा यह पर्व, मंदिरों में शुरू होने लगी तैयारियां
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 18 फरवरी यानि शनिवार को रखा जाएगा और इस बार महाशिवरात्रि के दिन ही शनि प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है। इसके साथ ही महाशिवरात्रि पर्व पर कई ग्रहों की चाल में भी बदलाव आ रहा है।
बता दें कि भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का महाशिवरात्रि सबसे बड़ा पर्व है। मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान शंकर मां पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन भक्त महादेव के लिए उपवास रखते हैं। महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता हैं, जो कि इस बार 18 फरवरी को है।
इस दिन सच्ची भक्ति और निष्ठा के साथ व्रत करने वालों से महादेव अवश्य प्रसन्न होते हैं और उनकी समस्त मनोकामना पूरी करते है। महाशिवरात्रि का यह पावन दिन हर तरह के शुभ और मांगलिक कार्य करने के लिए उत्तम माना जाता हैं, साथ ही इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास भी मानी जा रही है। क्योंकि महाशिवरात्रि पर इस वर्ष दुर्लभ संयोग भी बन रहा है।
हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि 18 फरवरी की पड़ रही है साथ ही इस दिन शनि प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और अपने भक्तों से खुश होते हैं। ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल के अनुसार प्रदोष व्रत की शुरुआत 17 फरवरी शुक्रवार को रात 11 बजकर 36 मिनट पर होगी
और इसका समापन 18 फरवरी शनिवार को रात 8 बजकर 2 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 18 फरवरी को ही रखा जाएगा। शनि प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 6 बजकर 13 मिनट से रात 8 बजकर 2 मिनट तक रहेगा।
महाशिवरात्रि पर ग्रहों की बदलती चाल
इस बार महाशिवरात्रि पर शनि ग्रह भी अपनी राशि कुंभ में ही विराजमान रहेंगे। वहीं 13 फरवरी को सूर्य भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। यानी इस बार महाशिवरात्रि पर सूर्य और शनि एक साथ एक ही राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे, जिससे सूर्य-शनि की युति का निर्माण होगा।
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक शनि और सूर्य दोनों दुश्मन ग्रह है। साथ ही इस बार 15 फरवरी को शुक्र भी मीन राशि में प्रवेश करेंगे। यानी कि महाशिवरात्रि पर शुक्र मीन राशि में होंगे। शुक्र मीन राशि में 12 मार्च तक होंगे। शुक्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर शुक्र का ये गोचर सभी राशियों के लिए अच्छा साबित होगा।
महाशिवरात्रि पूजन विधि
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराए। उसके बाद 8 लोटे केसर जल चढ़ाएं। उस दिन पूरी रात का दीपक जलाए। चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटे। ऊं नमो भगवते रूद्राय, ऊं नम: शिवाय आदि मंत्रों का जाप करें। इस दिन शिव पुराण का पाठ जरूर करें। महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण भी किया जाता है।
महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
- महाशिवरात्रि: चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 18 फरवरी रात 8 बजकर 2 मिनट पर होगी और इसका समापन 19 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर होगा।
- निशिता काल का समय:18 फरवरी रात 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक
- प्रथम पहर पूजा समय: 18 फरवरी शाम 6 बजकर 40 मिनट से रात 9 बजकर 46 मिनट तक
- द्वितीय पहर पूजा समय: रात 9 बजकर 46 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक
- तृतीय पहर पूजा समय: 19 फरवरी रात 12 बजकर 52 मिनट से 3 बजकर 59 मिनट तक
- चतुर्थ पहर पूजा समय: 19 फरवरी 3 बजकर 59 मिनट से सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक
- पारण का समय: 19 फरवरी सुबह 6 बजकर 10 मिनट से दोपहर 2 बजकर 40 मिनट तक