- भारी भरकम एक्साइज ड्यूटी और जीएसटी की मार से चमक खो रहा सोना
शेखर शर्मा |
मेरठ: भरकम एक्साइज ड्यूटी और सोने की ज्वेलरी पर अलग से तीन फीसदी की जीएसटी की मार ने क्या सोने की मंडी को तस्करी के सोने का हब बना दिया है। ऐसा होने के पीछे ठोस कारण गिनाए जा रहे हैं। यदि मान लिया जाए कि सोने की मंडी में तस्करी के सोने की खेप पहुंच रही है तो फिर पुलिस क्या कर रही है। बुलियन एसोएिसशन भी सोने की तस्करी की आशंका से इंकार नहीं कर रही है। बुलियन एसोसिएशन भी इसके लिए भारी भरकम एक्साइज ड्यूटी व जीएसटी को जिम्मेदार मानती है।
वाया नेपाल और म्यांमार तस्करी
तस्कारी के सोने की यदि बात की जाए तो देश के नेपाल और म्यांयार से सटे रास्ते इसके लिए सबसे ज्यादा मुफिद बताए जाते हैं। इन दोनों ठिकानों से जंगल के रास्तों के जरिये एंट्री की जाती है। इम्फाल बार्डर पर सेटिंग हो तो फिर जंगल के रास्ते से आने की जरूरत नहीं पड़ती। जबकि इससे भी ज्यादा सुगम रास्ता नेपाल बार्डर का बताया जाता है।
प्रतिदिन करीब 10 करोड़ की खपत
मेरठ की सोना मंडी की यदि बात की जाए तो यहां प्रतिदिन आठ से 10 करोड़ कीमत के सोने की खपत की होती है। गैर सीजन में प्रतिदिन 15 से 18 किलो सोना खप जाता है, जबकि शादी के सीजन में प्रति दिन करीब 25 किलो सोना तक भट्ठियों में गलाया जाता है।
तस्करी के सोने की यदि बात की जाए तो इस कारोबार से जुडे तमाम सफेदपोशों के नाम शामिल हैं। बाजार में जिनका जितना बड़ा काम उनके यहां उतने ज्यादा माल की गलाई। फिर जहां तक तस्करी का माल लगाने की बात है तो अफसरों से सेटिंग के बगैर कुछ संभव नहीं। बीते दिनों सदर सर्राफा बाजार में श्याम सर्राफ के यहां इनकम टैक्स की छापेमारी में बरामद भारी मात्रा में सोना इसकी तस्दीक करता है।
रेट में जमीन-आसमान का भारी अंतर
तस्करी का सोना पहली पसंद इसलिए भी बताया जाता है कि क्योंकि नेपाल व म्यामार के रेटों की तुलना में अपने यहां सोना करीब चार हजार रुपये तक महंगा है। इस तरह के सोने की यूं तो सभी जगह डिमांड रहती है, लेकिन मेरठ के बाद दूसरा बड़ा ठिकाना चांदनी चौक बताया जाता है।
सोने की तस्करी की वजह भारी भरकम एक्साइज ड्यूटी व सोने की ज्वेलरी पर तीन फीसदी की जीएसटी की मार मुख्य कारण है। हालांकि नए बजट में एक्साइज ड्यूटी मामूली कम की गई है, लेकिन जितनी एक्साइज ड्यूटी घटाई गई है उतना ही सेस लगा दिया है।
ये कहना है बुलियन ट्रेडर्स का
बुलियन ट्रेडर्स के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल बगैर किसी लाग लपेट के तस्करी के सोने की बात मानते हैं। हालांकि इसके लिए वह सरकार की भारी भरकम एक्साइज ड्यूटी व तीन फीसदी जीएसटी को जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है कि सरकार को एक्साइज ड्यूटी आधी कर देनी चाहिए। उसके बाद तस्करी का सोने के भाव खुद-ब-खुद जमीन पर आ जाएंगे।