- एंटी करप्शन की टीम ने समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइजर को 75 हजार रिश्वत लेते पकड़ा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइजर को एंटी करप्शन की टीम ने एससी/एसटी एक्ट के मुकदमे में पीड़ित से रिश्वत मांगने के आरोप में रंगेहाथ पकड़ लिया। आरोपी एसपी क्राइम के फालवर को सरकारी सहायता की रकम दिलाने के नाम पर कई दिनों से रुपयों की डिमांड कर रहा था। एंटी करप्शन की टीम ने सिविल लाइन क्षेत्र निजी हॉस्पिटल सुशीला जसवंत राय हास्पिटल के बाहर समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइजर मनोज कुमार निवासी सेक्टर-6 जागृति विहार सेक्टर को 75 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया।
समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइजर मनोज कुमार ने शिकायतकर्ता संदीप निवासी ग्राम ह चैनपुरा, हस्तिनापुर से 75 हजार रुपया लेने के लिए निजी हॉस्पिटल पर बुलाया था। मनोज कुमार ने जैसे ही संदीप से 500 रुपये के 150 नोटों की गड्डियां हाथ में थामी। वैसे ही पलक झपकते एंटी करप्शन की टीम ने सुपरवाइजर को दबोच लिया। एंटी करप्शन की टीम मनोज कुमार को गिरफ्तार कर सिविल लाइन थाने ले गई। एंटी करप्शन विभाग के निरीक्षक कृष्णा ने बताया कि संदीप कुमार एसपी क्राइम अनित कुमार के यहां फालवर की नौकरी करता है।
हस्तिनापुर थाने में फरवरी माह में संदीप ने कुछ लोगों पर जानलेवा हमला करने और एससी/एसटी एक्ट में कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके चार्जशीट कोर्ट में भेज दी थी। एससी/एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज होने पर पीड़ित संदीप कुमार को प्रदेश सरकार की ओर से सहायता के तौर पर चार लाख रुपये तीन किश्तों में दिये जाने थे। पहली किश्त 25 प्रतिशत दूसरी किश्त के 50 प्रतिशत और तीसरी किश्त के 25 प्रतिशत की धनराशि पीड़ित को समाज कल्याण विभाग की ओर से दिये जाने थे।
जिसमें चार्जशीट दाखिल होने के बाद पहली किश्त के एक लाख रुपये संदीप को मिलने थे, लेकिन सुपरवाइजर ने पहली किश्त देने में तरह-तरह के बहाने बताये और रिश्वत की मांग की। संदीप ने बताया कि समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइजर ने चपरासी रंजीत से बात करने के लिए कहा। इस पर रंजीत ने कहा कि पहली किश्त के एक लाख रुपये तब दिये जायेंगे। जब आप एक लाख रुपया उन्हें दोगे। बाकी का तीन लाख रुपया दो किश्तों में आपके खाते में ट्रांसफर कर दिया जायेगा।
संदीप ने बताया कि उसने कई बार विभाग के चक्कर काटे, लेकिन पहली किश्त के एक लाख रुपये उसे नहीं दिये गये। इस पर उसने 25 हजार रुपया एडवांस के तौर पर रिश्वत की रकम मनोज कुमार को पहुंचा दी। बाकी रकम दूसरी किश्त के दौरान देना तय हुआ। जैसे ही दूसरी किश्त का दो लाख रुपया देना तय हुआ। उसे 75 हजार रुपया रिश्वत रंजीत को देना तय हुआ। गुरुवार को सुपरवाईजर ने अपने चपरासी रंजीत को 75 हजार रुपया लेने के लिए कहा,
लेकिन रंजीत जैसे ही बाइक से रुपया लेने के लिए चला तो उसका एक्सीडेंट हो गया। इसलिए सुपरवाईजर मनोज खुद ही 75 हजार रुपये लेने के लिए संदीप के पास पहुंचा। संदीप से सुपरवाइजर ने नोट की गड्डी पकड़ी वैसे ही वह पकड़ा गया। देर शाम एंटी करप्शन ने सुपरवाइजर के खिलाफ थाना सिविल लाइन मेें मुकदमा दर्ज कराया।
भ्रष्टाचार में लिप्त कई लोगों को किया था गिरफ्तार
वर्ष 2024 के शुरुआत जनवरी माह में एंटी करप्शन की टीम ने समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइजर को 75 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया, लेकिन गत वर्ष की बात करें तो एंटी करप्शन ने नगर निगम और तहसील व वित्तीय निगम और एमडीए के कर्मचारियों को रिश्वत मांगने के आरोप में रंगेहाथ पकड़ जेल भिजवाया था। जिसमें टीम ने नगर निगम के राजस्व निरीक्षक नवल सिंह राघव को 10 हजार रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वहीं नगर निगम के कर्मचारी जितेन्द्र और एक चपरासी को भी ट्रेप कर जेल भेजा था।
मवाना में बिजली विभाग में तैनात जेई तोयज त्रिपाठी भी रिश्वत मांगने के आरोप में जेल गये थे। सदर तहसील के लेखपाल संदीप कुमार को पांच हजार रुपये रिश्वत लेते हुए सदर क्षेत्र से एंटी करप्शन ने धर दबोचा था। वहीं गत वर्ष मेडा की लिपिक अनिता शर्मा को पांच हजार रुपये रिश्वत मांगने और वित्तीय निगम की शाखा प्रभारी कुसुम लता को भी रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ जेल भेज दिया था। मवाना तहसील में तैनात बाबू सुल्लड़ सिंह को भी एंटी करप्शन की टीम ने रिश्वत मांगने पर रंगेहाथ पकड़कर जेल भेज दिया था।