- सरकारी कर्मचारियों की सांठगांठ से चल रहा खेल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ/कंकरखेड़ा: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा कि जो सरकारी जमीन कब्जायेगा वो बचेगा नहीं। फिर भी भू-माफिया खौफ नहीं खा रहे हैं। कंकरखेड़ा के मार्शल पिच पर मौके पर तालाब की जमीन पर कब्जा किया जा रहा हैं। ये जमीन करोड़ों की हैं। मिट्टी का भराव इस पर आरंभ कर दिया हैं। रात के अंधेरे में डंपर से मिट्टी भराव इसमें किया जा रहा हैं। नगर निगम और प्रशासन ने इस तरफ से आंखें मूंद ली हैं। सरकारी जमीन पर कब्जा होने की एक तरह से छूट दे दी हैं।
हम बात कर रहे हैं लाला मोहम्मदपुर रोड पर मार्शल पिच चौराहा स्थित सरकारी भूमि की। ये जमीन करोड़ों रुपये की हैं। इस भूमि पर भू-माफिया ने कब्जा कर निर्माण शुरू कर दिया हैं। इससे पूर्व भी यहां करोड़ों की जमीन पर पहले भी कब्जा किया हुआ हैं। इसके अलावा कासमपुर पहाड़ी नाला चौपला बच्चा श्मशान के निकट तालाब की भूमि पर भी भूमाफियाओं ने कब्जा करने के लिए भराव शुरू कर दिया है। कासमपुर और मार्शल पिच के निकट करोड़ों रुपये की सरकारी भूमि पर पहले भी कब्जा हो चुका है और खाली पड़ी सरकारी भूमि पर फिर से कब्जे शुरू हो गए हैं,
लेकिन प्रशासनिक अधिकारी भू-माफियाओं के सामने नतमस्तक हो गए हैं। लाला मोहम्मदपुर रोड पर मार्शल पिच चौराहा के निकट सरकारी भूमि पर कब्ज का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। पिछले साल इस भूमि खसरा संख्या 1032 में निर्माण कार्य किया जा रहा था। सरकारी भूमि पर निर्माण की सूचना पर राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची और निर्माण को बंद करा दिया था। टीम द्वारा भूमि के कागज दिखाने को कहा गया तो आरोपी ने एक बैनामा दिखाया। जो 2017 में खसरा संख्या 1032 की भूमि का होना दर्शाया गया था।
टीम द्वारा जांच करने पर उक्त बैनामा को सीजरे के अनुसार मिलान पर फर्जी तरीके से करना पाया गया। खसरा 1032 राजस्व भूमि सरकारी संपत्ति दर्ज है। पुलिस की मौजूदगी में किए गए निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया था। आरोपी को बिना कोई कार्रवाई कर चेतावनी देकर छोड़ दिया था। 1032 एव 1085/4 सरकारी भूमि की खरीद फरोख्त करने के मामले में पहले से ही उक्त आरोपी पर थाना कंकरखेड़ा में मुकदमा दर्ज है।
बावजूद 2017 में फिर से उक्त खसरे 1032 में 300 मीटर जमीन का बैनामा भूमाफिया रहीमुद्दीन के पार्टनर शौकत अली से कराया है। खसरा 1285/4 कोर्ट में विचाराधीन है। 1032 में नगर निगम द्वारा कूढ़े घर का निर्माण कार्य किया जा रहा हैं। इस सरकारी भूमि पर कब्जे में नगर निगम कर्मचारी भी शामिल है। इसके अलावा कासमपुर पहाड़ी के निकट बच्च श्मशान के सामने तालाब की भूमि पर भूमाफियाओं द्वारा भराव किया जा रहा है।
सीसीएसयू कोष को बैक परीक्षार्थियों से करोड़ों का मुनाफा
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने गुुरुवार को परिषदीय बैठक में छात्रहित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जब से एनईपी-2020 का पाठ्यक्रम लागू हुआ है तब से अब तक आंतरिक एवं बाह्य प्रयोगात्मक परीक्षा में 40 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले विद्यार्थियों को दोबार परीक्षा शुल्क देकर प्रयोगात्मक परीक्षाएं देनी होगी। उसे उपर अंक पाने वाले विद्यार्थियों को पास समझा जाएगा।
जिसकी अपडेट परीक्षा परिणाम में करा दी जाएगी। इससे विद्यार्थियों को कहीं ना कहीं करोड़ों रुपये का फटका तो लगेगा। लेकिन वहीं, कुछ विद्यार्थियों को राहत की सांस मिलेगी। वहीं विश्वविद्यालय ने जिन विद्यार्थियों उक्त परीक्षा में बैक है ऐसे विद्यार्थी पुराने परीक्षा शुल्क की जगह 250 रुपये का शुल्क देकर परीक्षा दे सकेंगे।
कुलपति सभागार में आयोजित हुई परिषदीय काउंसिल की बैठक में एनईपी-2020 स्नातक में को-करिकुलर के विषय की परीक्षा में पास होने के लिए बाह्य प्रयोगात्मक परीक्षा में 30 अंक लाने की बाध्यता खत्म करते हुए उक्त विषय में पास होने के नियमों में बदलाव कर दिया है। अब छात्र आतंरिक एवं बाह्य प्रयोगात्मक विषय में पास होने के लिए आंतरिक ओर बाह्य परीक्षा को मिलाकर 40 अंक पर पास माना जाएगा।
इसमें अब बाह्य परीक्षा की 30 नंबर की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। हालांकि पूर्व में विद्यार्थी को-करिकुलर के विषयो में बड़ी संख्या में फेल हुए थे। लेकिन नियमो में बदलाव का फैसला उक्त विषयों की बैक परीक्षा फार्म भरवाने के बाद लिया गया है। विवि ने जो पास होने के लिए नियम तय किए है। उस के हिसाब से बड़ी संख्या में ऐसे छात्र भी फार्म भर चुके हैं जो नए नियमों से पास है ओर वो बैक के लिए परीक्षा फार्म भरकर जमा कर चुके हैं। क्या विवि उनके परीक्षा शुल्क को विद्यार्थियों के खाते में वापस कराया जाएगा।
बैक परीक्षार्थियों को करोड़ों का फटका
यह बड़ा सवाल उभर कर सामने आया है। पूर्व महामंत्री अंकित अधाना ने इस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि को-करिकुलर के विषय में पास होने के नियमो में बदलाव बैक के लिए परीक्षा फार्म भरवाने से पहले होना चाहिए था। अब जो छात्र नए नियमो से पास है ओर वो बैक के लिए फार्म भर चुके हैं
विवि को ऐसे छात्रों की फीस तो वापस करनी चाहिए। एनईपी में नियमो की उलझनों ओर लगातार फेल होने के कारण हजारों छात्र-छात्राएं पढ़ाई छोड़ चुके थे। अब उक्त विषय में पास होने के नए नियमो से छात्रों को राहत मिलेगी। या फिर समय की बर्बादी के साथ करोड़ों रुपये का फटका लगता नजर आ रहा है।
समय की बर्बादी के साथ आर्थिक नुकसान
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अध्ययनरत विद्यार्थी अपने को ठगा महसूस कर रहे है। बेपटरी सत्र ने विद्यार्थियों की हालत खराब कर दी है। ऐसे में अध्ययनरत विद्यार्थी जाएं तो जाएं कहां। इससे लाखों विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार की ओर बड़ रहा। जहां ऐसे विद्यार्थियों के समय की बर्बादी के साथ साथ आर्थिक नुुकसान भी झेलना पड़ रहा है। लेकिन, सत्ता पक्ष से लेकर विवि प्रशासन का छात्रहितों को लेकर कोई ध्यान नहीं हैं।
- इन्होंने कहा…
उन्होंने कहा है कि 40 अंक पाकर विद्यार्थियों को राहत देने का काम किया गया है। इसके अलावा विद्यार्थियों से उक्त बैक परीक्षा शुक्क में भी कटौती की गई है। एनईपी जब से लागू हुई है। जब से अब के सभी विद्यार्थियों को आंतरिक एवं बाह्य प्रयोगात्मक परीक्षा में 40 अंक पाने वाले विद्यार्थियों को उत्तीर्ण कर दिया जाएगा। -प्रो. धीरेंद्र कुमार वर्मा कुलसचिव, सीसीएसयू मेरठ