जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की सुनवाई आज (27 सितंबर) से लाइव स्ट्रीम होगी। आज से संविधान पीठ की सभी सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जाएगा। इसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी। ठीक चार साल पहले, 27 सितंबर, 2018 को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने एक पीठ का नेतृत्व करते हुए संवैधानिक महत्व के मामलों में महत्वपूर्ण कार्यवाही के लाइव टेलीकास्ट या वेबकास्ट पर ऐतिहासिक निर्णय दिया था। इसमें कहा गया था कि सूरज की रोशनी सबसे अच्छा कीटाणुनाशक है।
कार्यवाही को webcast.gov.in/scindia/ पर देखा जा सकता है।
जल्द ही नया प्लेटफार्म विकसित करेगा सुप्रीम कोर्ट
जल्द ही सुप्रीम कोर्ट कार्यवाही के सीधा प्रसारण करने के लिए अपना प्लेटफार्म विकसित करेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब संविधान पीठ के समक्ष कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई चल रही है। इनमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग( ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण की संवैधानिक वैधता, भोपाल गैस त्रासदी में मुवावजे की पर्याप्तता, बोहरा समुदाय के बहिष्करण का अधिकार के मुद्दे शामिल हैं।
सीधे प्रसारण के लिए अलग प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के सीधे प्रसारण (Live-Streaming) के लिए अलग प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा। यूट्यूब के माध्यम से हो रहा सीधा प्रसारण अस्थायी व्यवस्था है। यह बात खुद शीर्ष कोर्ट ने 26 सितंबर को मामले को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने भाजपा के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष कोर्ट की कार्यवाही के प्रसारण के लिए यूट्यूब जैसे निजी चैनल के समक्ष सरेंडर नहीं किया जा सकता। वकील विराग गुप्ता ने पीठ से कहा कि यूट्यूब के पास इस प्रसारण के कॉपीराइट है। सुनवाई के दौरान पीठ पर जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी आसीन थे।
सीजेआई ललित ने कहा, ‘ये शुरुआती चरण हैं। हमारे पास निश्चित रूप से अपना प्लेटफॉर्म होगा। हम उस कॉपीराइट मुद्दे (copyright issue) का ध्यान रखेंगे। इसके साथ ही गोविंदाचार्य की अंतरिम याचिका पर 17 अक्तूबर को आगे सुनवाई तय की। 2018 के फैसले का जिक्र करते हुए वकील ने कहा कि यह माना गया था कि कॉपीराइट इस अदालत में दर्ज और प्रसारित सभी सामग्री केवल इस अदालत के पास निहित होगी। उन्होंने यूट्यूब के उपयोग की शर्तों का भी उल्लेख किया और कहा कि इस निजी मंच को भी कॉपीराइट प्राप्त है।
पूर्व सीजेआई ने जताया था अफसोस
26 अगस्त को अपने विदाई भाषण में पूर्व सीजेआई एनवी रमण ने कहा था कि भारी मात्रा में अदालतों में लंबित मामले बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने इस बात के लिए अफसोस जताया था कि वे मामलों की सूचीबद्धता व सुनवाई के मुद्दों (listing and posting issues) पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दे सके।
पूर्व सीजेआई ने कहा था कि इसका हल निकालने के लिए आधुनिक तकनीकी साधन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टूल्स का इस्तेमाल करने की जरूरत है। हमने कोई तरीका विकसित करने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षा व प्रतिस्पर्धात्मकता जैसे कुछ मुद्दों के कारण बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सके।