- अंधेरगर्दी: लावड़ रोड पर अवैध कॉलोनी रामकुंज के निर्माण का मामला
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) की सील को अवैध बिल्डर अनिल चौधरी ने उखाड़कर फेंक दिया तथा अवैध कॉलोनी रामकुंज में निर्माण आरंभ कर दिया।
यहां हाल ही में एमडीए इंजीनियरों की टीम ने सील लगाई थी, लेकिन बिल्डर ने सील तो उखाड़ दिया तथा रात-दिन अवैध निर्माण किया जा रहा है। हम बात कर रहे हैं।
लावड़ रोड पीलना सोफीपुर में रामकुंज अवैध कॉलोनी की। करीब 150 बीघा जमीन में अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही है, इसका एमडीए से कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं है।
इस पर तेजी से चल रहे निर्माण के चलते एमडीए इंजीनियरों की टीम ने सील की कार्रवाई तो कर दी थी, लेकिन एमडीए टीम के जाते ही बिल्डर का दुस्साहस देखिये कि लगाई गयी सील को उखाड़ दिया तथा निर्माण आरंभ कर दिया।
अवैध बिल्डर का दुस्साहस इस तरह से बढ़ रहा है, जिसके बाद भी एमडीए के इंजीनियर चुप्पी साधे हुए हैं। इसमें बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई गयी।
पीलना सोफीपुर श्मशान घाट के पीछे यह जमीन स्थित है, जिसमें यह अवैध निर्माण रात-दिन चल रहा है, इसे एमडीए के इंजीनियर रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं।
बिल्डर की अवैध कॉलोनी के खिलाफ एमडीए के इंजीनियर ध्वस्तीकरण तक की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। आखिर इंजीनियर बिल्डर का बचाव क्यों कर रहे हैं?
कहीं इसमें सेटिंग-गेटिंग का खेल तो नहीं चल रहा है। यह अवैध निर्माण का मामला गुरुवार को मेरठ आ रहे डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य के सामने भी उठ सकता हैं।
पिलर्स बनाकर ऊंची-ऊंची दीवार बना दी गई है। लिंटर डालने की तैयारी चल रही है। इतना मौका एमडीए के इंजीनियर ही बिल्डर को दे रहे हैं, जिसके चलते यह अवैध निर्माण तेजी से चल रहा है। यही हाल रहा तो यहां पर अवैध निर्माण की बाढ़ आ जाएगी।
यह आवासीय क्षेत्र है, जिसमें मानचित्र स्वीकृत हो सकता हैं, लेकिन बिल्डर एमडीए को राजस्व का चूना लगाकर अवैध कॉलोनी विकसित कर रहा हैं।
पहले ही एमडीए आर्थिक समस्या से जूझ रहा हैं, लेकिन एमडीए के अधिकारी इस बिल्डर पर शिकंजा नहीं कस पा रहे हैं, जिसके चलते बिल्डर का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है।
बिल्डर पर कैसी मेहरबानी?
इस बिल्डर ने एमडीए की मीनाक्षीपुरम में जमीन खरीदी थी। इसका पूरा भुगतान भी एमडीए में जमा नहीं कराया गया है। इस फाइल को भी दबवा दिया गया है।
इस मामले में काफी विवाद सामने आया था। कहा गया कि बिल्डर ने जो धनराशि एग्रीमेंट के अनुसार जमा करानी थी, वह जमा नहीं कराई गयी, जिसके चलते एमडीए को भारी नुकसान हुआ है।
एमडीए के अधिकारियों की मेहरबानी ही कही जाएगी कि बिल्डर अनिल चौधरी से बकाया धनराशि एमडीए में जमा नहीं करायी। यही नहीं, आवंटन भी निरस्त नहीं किया।
तब इस आवंटन को लेकर भी आपत्ति व्यक्ति की गई थी। कहा गया था कि एमडीए ने सस्ती दरों पर जमीन बेच दी थी।
इसकी नीलामी होती तो दाम काफी ऊपर जा सकते थे। श्रद्धापुरी में हाल ही में एमडीए ने एक सम्पत्ति की नीलामी की थी, जो 7500 प्रति मीटर पर अंतिम बोली रही थी, लेकिन मीनाक्षीपुरम की जमीन बहुत कम कीमत पर बेच दी गई थी, फिर उसका चूकता भुगतान भी एमडीए में अभी जमा नहीं कराया गया है।