- एक्सटेंशन के बाद भी बोतल में जाने को तैयार नहीं टोल का जिन्न
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कैंट बोर्ड की स्पेशल बैठक शुक्रवार को होगी। बैठक की पूर्व संध्या बोर्ड के सात सदस्यों ने जश्न मनाया। इस जश्न से पहले बोर्ड के चार सदस्य जिसमें कुछ सदस्य पति भी शामिल हैं सीईओ कैंट से मिलने पहुंचे। बताया जाता है कि इसकी भनक उपाध्यक्ष खेमे को मिली तो वह सक्रिय हो गया। जो सदस्य मिलकर बोर्ड से बाहर निकले थे, उन्हें वहीं पर लपक लिया गया।
उसके बाद तय हुआ कि एम्प्रेस कोट में बैठा जाए। सभी तय कार्यक्रम के अनुसार वहां पहुंच भी गए। जमकर जश्न हुआ। बैठक से एन पहले एक को छोड़कर सात सदस्यों के जश्न के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। ऐसा क्या था जो धुर विरोधी एक ही छत के नीचे आने को मजबूर हो गए। वैसे जानकार इस जश्न के पीछे कैंट बोर्ड के कार्यकाल का छह माह के लिए बढ़ाया जाना मानकर चल रहे हैं।
किसका बढ़ा है कार्यकाल
सवाल पूछा जा रहा है कि कार्यकाल किस का बढ़ा है बोर्ड का या फिर उपाध्यक्ष का। मंत्रालय से यदि केवल बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाया गया है तो फिर उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर सदस्य स्वतंत्र हैं। अपनी सुविधानुसार उपाध्यक्ष चुन सकते हैं। इन दिनों बोर्ड में माहौल भी बदला हुआ है। यदि ऐसा हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
डील की सुगबुगाहट
वहीं, दूसरी ओर कैंट बोर्ड के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के साथ उपाध्यक्ष को लेकर भी डील की सुगबुगाहट भी सुनने में आ रही है। जानकारों की मानें तो इन दिनों तारे गर्दिश में होने के चलते करीबियों के भी सुर कुछ बदले हुए हैं। पिछले दिनों नए उपाध्यक्ष को लेकर अंदरूनी हलकों में तमाम तरह की बातें सुनने को आ रही थीं। एम्प्रे कोट के जश्न को उसका पटाक्षेप या फिर नयी शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है।
बदला जाएगा प्रसाद चव्हाण का निर्णय
पूर्व सीईओ प्रसाद चव्हाण के कैंट ऐक्ट के खिलाफ लिए एक निर्णय को शुक्रवार को होने जा रही बोर्ड की बैठक में बदल दिया जाएगा। दरअसल तमाम प्रकार के टेÑड लाइसेंस का अधिकारी ऐक्ट में सीईओ को दिया गया है, लेकिन प्रसार चव्हाण ने इसमें तब्दीली करते हुए यह अधिकार बोर्ड को दे दिया। उनकी इस खामियों को शुक्रवार को सुधारा जाएगा।
मंत्रालय के पत्र से हड़कंप
बैठक से पहले एक सदस्य को छोडकर वहीं दूसरी ओर छावनी के कुछ हिस्से नगर निगम में शामिल किए जाने को लेकर रक्षा मंत्रालय के पत्र से सदस्यों में हड़कंप मचा हुआ है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस प्रकार की बात सुनने में आ रही है। इससे पहले भी इसको लेकर चर्चा हुई थी, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पायी। दरअसल अंबाला छावनी के हिस्से को वहां के स्थानीय निकाय में शामिल किए जाने के बाद से उक्त इलाके की जिस प्रकार से वहां के स्थानीय निकाय प्रशासन ने अनदेखी की उसके बाद बात आगे नहीं बढ़ सकी।
दरअसल हुआ यह कि जो हिस्सा स्थानीय निकाय प्रशासन के शिफ्ट किया गया था, स्थानीय निकाय प्रशासन ने कुछ तकनीकि आधार पर आपत्तियां लगाकर उसका पूर्ण अधिग्रहण नहीं किया। वहीं, दूसरी ओर अंबाला छावनी प्रशासन ने उक्त हिस्से को शिफ्ट किया मानकर वहां विकास के काम बंद दिए। हालांकि कैंट प्रशासन की ओर से इस संबंध में अभी चुप्पी साधी हुई है। बैठक में बिजनेस रैग्यूलेशन ऐक्ट में कुछ संशोधन पर चर्चा की जाएगी।