Thursday, May 15, 2025
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बच्चों की पिटाई और हमारी मानसिकता

 

Balvani 2


पिटाई किसी समस्या का हल नहीं है। यदि ऐसा होता तो दुनिया में न कोई बच्चा जिद्दी होता और न कोई अपराधी। एक पल को सोचिए कि जिस गलती को करने पर गुस्सा आने पर हम बच्चों को पीटते हैं अगर वही गलती घर के किसी बड़े दादा, दादी या चाचा चाची जैसों से हो जाए तो? हम अपना गुस्सा काबू में रखते हैं न। बाद में बैठकर बात करते हैं। ऐसा बच्चों के साथ क्यों नहीं कर सकते।

बच्चा सुनता नहीं है, कहना नहीं मानता। हर बात के लिए रोता है। जो भी लेना होता है तो जिद करने लगता है। अपनी बात मनवाने के लिए खाना छोड़ देता है। बात नहीं करता। पढ़ाई से दूर हो जाता है। ये शिकायतें हर मां बाप की होती हैं। इसका परिणाम क्या होता है? सिर्फ यही न कि अभिभावक अपने बच्चों को छोटी सी जिद पर उन्हें डांट देते हैं या पीट देते हैं। सोचते हैं कि सब साल्व हो गया। दरअसल ऐसा समय और संयम की कमी के कारण होता हे। अक्सर बच्चों की परेशानी समझने की जगह अभिभावक उन्हें दोष देने लगते हैं।

बहुत कम अभिभावक ऐसे मिलते हैं, जो कहते हैं कि हमें हमारे माता-पिता ने कभी नहीं पीटा और इसलिए हम भी कभी अपने बच्चों को नहीं पीटते। आखिर बच्चों को पीटते की जरूरत ही क्या है? क्या हम उन्हें समझा भी नहीं सकते। खैर, बात जब पिटाई की आती है तो कुछ अभिभावक कहते हैं कि हमें बच्चों पर गुस्सा आता है और अपना गुस्सा काबू न रख पाने के कारण हम उन पर हाथ उठाते हैं। ऐसा जवाब देकर अभिभावक भी बच्चों की तरह गलती ही करते हैं।

दरअसल वे बच्चे हैं, नासमझ हैं। जब वे नासमझ हैं तो गलतियां तो करेंगे ही। कभी कभी नहीं बल्कि कुछ बच्चे रोजाना गलती करेंगे लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें पीटेंगे तो गलतियां सुधर जाएंगी। आमतौर पर यह देखा जाता है कि बच्चों को कई बार पता ही नहीं होता कि उनके पेरेंट्स ने आखिर उन्हें मारा क्यों? जब पता ही नहीं ंतो वे गलती सुधारेंगे कैसे? सभी जानते हैं कि आज के समय में उन पेरेंट्स की संख्या ज्यादा है जो दोनों ही कामकाजी हैं। घर से ज्यादा टेंशन उन्हें अपने आफिस और अपने काम की होती है, सहयोगियों की होती है।

ऐसे पेरेंट्स जब घर पहुंचते हैं और उस समय बच्चे कुछ शोर कर रहे हों या फिर खेल आपस में लड़ रहे हों या फिर आपकी दी गई आवाज को तुरंत फालो न करें या फिर घर में कुछ टूट फूट हो जाए तो आप बिना देर किए उनके पास पहुंचते हैं और गाल पर तमाचा जड़ देते हैं। फिर गुस्से में चीखकर कहते हैं कि बंद करो शोर और पढ़ने बैठ जाओ। क्या ऐसा बच्चा सही रूप में पढ़ सकता है? क्या आप अपने बॉस की डांट के तुरंत बाद मन लगाकर काम कर पाते हैं? शायद नहीं।

फिर बच्चे ऐसा कैसे कर सकते हैं? आपने पीटा और स्टडीरूम में जाने को कह दिया। इसके बाद क्या हुआ? आपने देखा ही नहीं। वो आक्रोशित होता है। आपके प्रति गुस्सा होता है और फिर जो कुछ भी उसने कुछ घंटे पहले स्कूल में पढ़ा होगा, वो भी याद नहीं रहता?

दरअसल पिटाई किसी समस्या का हल नहीं है। यदि ऐसा होता तो दुनिया में न कोई बच्चा जिद्दी होता और न कोई अपराधी। एक पल को सोचिए कि जिस गलती को करने पर गुस्सा आने पर हम बच्चों को पीटते हैं अगर वही गलती घर के किसी बड़े दादा, दादी या चाचा चाची जैसों से हो जाए तो? हम अपना गुस्सा काबू में रखते हैं न। बाद में बैठकर बात करते हैं। ऐसा बच्चों के साथ क्यों नहीं कर सकते।

एक ओर पेरेंट्स बातचीत में यह कहते सुने जाते हैं कि बच्चा है, समझा दो, कौन सी बड़ी बात है। यह ठीक भी है। बच्चों को समझाना बड़ों को समझाने के मुकाबले हमेशा आसान होता है। बस उसका अंदाज कुछ अलग होना चाहिए। कुछ बच्चे अपवाद हो सकते हैं लेकिन प्यार वो भाषा है जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर ही पड़ता है।

बच्चों को हर छोटी-बड़ी बात के लिए पीटने से उनके मन पर गलत प्रभाव पड़ता है। आपको मारते देखकर हो सकता है कि बाहर के लोगों भी आपके बच्चे को बहुत बादमाश समझें और छोटी-बड़ी गलती के लिए उसे पीटें।

यदि आप लगातार बच्चे को मारते हैं, तो उन्हें अक्सर लगता है कि वह गलत है या बुरे है और अच्छे इंसान नहीं है। ऐसे में वह धीरे-धीरे आत्मविश्वास भी खोने लगते हैं और गलत संगति में फंसकर गलत आदतें भी अपना सकते हैं।

मारने से आपका बच्चा धीरे-धीरे आपसे दूर होने लगता है और आपको अपनी बातें बताना बंद कर देता है। कई बार तो बच्चे इतना डर जाते हैं कि वह दूसरे बच्चे को पीटता देखकर भी रोने लगते हैं। ऐसे में उनके लिए दूसरे लोगों के सामने खुद को पेश करने में भी बहुत परेशानी आती है।

छोटे बच्चे को मारने पर तो वह डर सकते हैं लेकिन जैसा-जैसा बच्चा बड़ा हो रहा होता है, वह आपसे डरना बंद कर देता है। आपके मारने पर उन्हें गुस्सा आता है और वह मन में आपके प्रति सम्मान की भावना नहीं रखते हैं। -एक छोटा बच्चा अपने माता-पिता को देखकर ही बहुत कुछ सीखता है। ऐसे में अगर आप उन्हें अपना क्रोधी स्वभाव दिखाते हैं और उन्हें पीटते हैं, तो उनके अंदर भी गुस्सैल प्रवृत्ति होती है।

अरनिका माहेश्वरी


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