- पालिका बाजार: मार्केट के एक हिस्से पर मालिकाना हक का दावा, दावेदार ने लिया कोर्ट से स्टे
- पालिका प्रशासन कर रही स्टे खारिज कराने की बात
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: सालों से अधर में लटके पालिका बाजार में दुकानों के आवंटन से पहले फिर संकट के बादल छा गए हैं। मार्केट के एक हिस्से पर कुछ लोग अपनी भूमि होने का दावा कर रहे हैं। इसके लिए कोर्ट से स्टे लाने का भी दावा किया जा रहा है। हालांकि नगर पालिका प्रशासन इस स्टे को हाईकोर्ट से खारिज कराने की बात कह रहा है। मगर करबी छह सौ वर्ग मीटर इस भूमि पर किसी के भी पक्ष में फैसला नहीं आया है।
वाद विचाराधीन होने के कारण दुकानों के आवंटन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर नगर पालिका ने दुकानों का आवंटन करने की तैयारी पूरी कर ली है। यहां तक कि फार्म बेचने के साथ धरोहर राशि जमा कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में विवादित भूमि का मामला साफ होना जरूरी है। ताकि दुकान लेने वालों को कानून के पचेड़े से बचाया जा सके।
दरअसल, नगर पालिका द्वारा पूर्व चेयरमैन असद गालिब के कार्यकाल में बिनौली रोड भुलरिया स्थित भूमि पर एक मार्केट बनवाने का निर्णय लिया गया था। करीब 200 से अधिक दुकानों वाले इस बाजार को बनाने का काम शुरू किया गया। तभी भुलरिया निवासी कामिल पुत्र अब्दुल रज्जाक ने उक्त भूमि में 600 वर्ग मीटर अपनी बताते हुए कोर्ट में वाद दायर कर दिया। हालांकि इसी बीच नगर पालिका ने उक्त भूमि पर करीब 30 दुकानों का निर्माण करा दिया।
वर्ष 2018 में कोर्ट ने कामिल के वाद पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने के आदेश जारी कर दिए। करीब सात साल तक कछुआ गति से मार्केट का निर्माण चलता रहा। पिछले कई सालों से मार्केट में दुकानों के आवंटन की बात चल रही है, लेकिन किसी न किसी वजह से आवंटन टल जाता है। अब नगर पालिका द्वारा इस मार्केट में साप्ताहिक पैंठ शिफ्ट कर दी गई। साथ ही दुकानों की आवंटन प्रक्रिया शुरू कर दी।
कामिल ने फिर से कोर्ट का स्टे दिखाते हुए भूमि पर दावा कर दिया और दुकानों के आवंटन पर रोक लगाने के साथ ही पैंठ के फड़ पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग उठानी शुरू कर दी है। हालांकि नगर पालिका प्रशासन का दावा है कि कामिल के यथास्थिति के आदेश पर हाईकोर्ट से रोक लगवा दी गई है। मगर इसके बाद भी विवाद समाप्त नहीं हुआ है। क्योंकि किसी भी कोर्ट ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि भूमि किसकी है।
कोर्ट का निर्णय आने से पहले उक्त भूमि या दुकानों के आवंटन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस सब प्रक्रिया से सीधे तौर पर पालिका बाजार में दुकानों के आवंटन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। क्योंकि नगर पालिका ने दुकानों के आवंटन के लिए फार्म भी बेच दिए हैं और धरोहार राशि जमा कराने की कार्रवाई भी शुरू कर दी है। ऐसे में विवादित भूमि पर दुकानों के आवंटन को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।
अधिकारियों से की रोक लगाने की मांग
भूमि पर मालिकाना हक जताने वाले कामिल ने कमिश्नर व डीएम से शिकायत करते हुए दुकानों के आवंटन पर रोक लगाने की मांग की है। कामिल ने अधिकारियों को कोर्ट के आदेश पेश करते हुए उक्त भूमि पर पैंठ के फड़ लगाने व आवंटन पर रोक लगाने की मांग की है। डीएम ने मामले में नगर पालिका से जवाब तलब कर लिया है।
स्टे पर रोक भी लगी तो मालिकाना कह नही मिला
नगर पालिका प्रशासन का दावा है कि कामिल द्वारा कोर्ट से लिए गए यथास्थिति के आदेश पर हाईकोर्ट से रोक लगवा दी गई है। हाईकोर्ट ने उक्त आदेश पर रोक लगाने के आदेश पारित कर रखे हैं। मगर यहां सवाल यह खड़ा हो रहा है कि हाईकोर्ट ने उक्त आदेश पर रोक लगाने को कहा है, लेकिन यह निर्णय नहीं दिया है कि भूमि नगर पालिका की है या कामिल की। इसलिए दोनों ही स्थिति में विवाद निपटने से पहले दुकानों का आवंटन सवालों के घेरे में है।
पालिका की कई भूमि पर है स्टे
नगर पालिका की मार्केट के मामले में स्टे का मामला कोई नया नहीं है। पालिका के अधिकांश प्रोजेक्ट इसी तरह कानून के दाव पेंच में फंसे हुए हैं। कमजोर पेरवी के कारण कई प्रोजेक्ट अधर में लटके हुए हैं। झिटकरी रोड पर निर्माणाधीन डंपिंग ग्राउंड पर कुछ लोगों ने स्टे ले रखा है। कालंद चुंगी स्थित बारात घर पर भी स्टे के कारण निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। जिसके चलते नगर पालिका के करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ रहे हैं।
जिस भूमि पर नगर पालिका ने मार्केट बनाई है, उसके कुछ हिस्से पर मालिकाना हक होने का दावा किया गया था। जिला कोर्ट के यथास्थिति के आदेश पर नगर पालिका ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। हाईकोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगा दी थी। यदि इसके बाद भी कोई मामला है तो दिखवाया जाएगा। -शशि प्रभा चौधरी, ईओ नगर पालिका सरधना