Saturday, July 27, 2024
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सीएम की सख्ती, प्रशासन का कैसा मौन

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  • आखिर किसने दी पार्किंग की अनुमति
  • गांधी आश्रम का है मामला, अब इसका जिम्मेदार कौन ?

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: गांधी आश्रम में पहले डीड लीज कर ऐतिहासिक बिल्डिंग में तोड़फोड़ की गई। प्राचीन गांधी आश्रम की बिल्डिंग को क्षतिग्रस्त करके प्राचीनता को नष्ट करने की कोशिश हुई, लेकिन प्रशासन ने हस्ताक्षेप किया तो बिल्डिंग को तोड़ने से रोक दिया गया। अब इस बिल्डिंग में वाहनों की पार्किंग करने की अनुमति किसने दी? वाहनों की पार्किंग के नाम पर कौन वसूली कर रहा हैं? पार्किंग से हो रही आमदनी गांधी आश्रम में कोष में जमा क्यों नहीं कराई जा रही हैं। आखिर इसके लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं।

दरअसल, क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम के दोषी पदधिकारियों द्वारा संस्था की सम्पति को अवैधानिक रूप से 29 वर्ष 11 माह लंबी अवधि के लिये रेणुका आशियाना प्राइवेट लि. मेरठ को लीज पर दिया गया था, जिसमें उन्होनें तोड़फोड़ भी प्रारंभ कर दी थी, किंतु तभी इसकी सूचना प्रशासन को दी गयी। प्रशासन ने तोड़फोड़ को रुकवा दिया था। जो वर्तमान में यथावथ है और इसका मुकदमा भी न्यायालय में लंबित है। इसके बावजूद संस्था के मंत्री पृथ्वी सिंह रावत ने इस विवादित स्थल रंगाई विभाग को अवैध रूप से वाहनों की पार्किंग के लिए दे दिया हैं, ऐसा आरोप क्रमिक अनशन पर बैठे कर्मचारियों ने लगाये हैं।

यहां कार पार्किंग पूर्णरूप से अवैधानिक हैं, जबकी डिप्टी रजिस्ट्रार चिट्स फड्स सोसाइटी ने संस्था की प्रबंध समिति व सदस्य दोषी मानते हुये कार्रवाई के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। पहले बिल्डिंग में तोड़फोड़ कर देना, फिर वाहनों की पार्किंग की अनुमति देना? आखिर गांधी आश्रम की सम्पत्ति को लेकर इतना बखेड़ा हो क्यों रहा हैं? इसको लेकर प्रशासन इसमें हस्तक्षेप क्यों नहीं कर रहा हैं? डिप्टी रजिस्ट्रार भी इसमें कार्रवाई कर चुका हैं। फिर सख्ती के साथ पेश क्यों नहीं हो रहे हैं।

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यही नहीं, पिछले 90 दिन से ज्याद हो गए हैं कर्मचारियों के क्रमिक अनशन पर बैठे। इसके बाद भी प्रशासन ने कोई हस्ताक्षेप नहीं किया। यही वजह है कि तमाम गलत कार्य गांधी आश्रम में किये जा रहे हैं, ऐसा आरोप क्रमिक अनशन पर बैठने वाले आंदोलनकारियों का कहना हैं। इसमें डिप्टी रजिस्ट्रार की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन को दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा ये मामला बड़ा तूल पकड़ सकता हैं। क्योंकि लोकसभा चुनाव आने वाले हैं, ऐसे में सपा के विधायक रफीक अंसारी और अतुल प्रधान भी आंदोलनकारियों के बीच आकर बैठ चुके हैं तथा इसे मुद्दा सपा बनाना चाहती हैं।

कब्जे करने वालों पर कैसी मेहरबानी

  • मार्शल पिच पर सरकारी जमीन पर कब्जे का है मामला

मेरठ: कंकरखेड़ा स्थित मार्शल पिच पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने की आखिर किसने छुट दे रखी हैं। ये कौन हैं, जो लगातार रात के अंधेरे में मिट्टी का भराव तालाब की जगह में कर रहे हैं। पूरी रात मिट्टी का भराव चलता हैं, लेकिन इसकी भनक प्रशासन को नहीं हैं। तहसील प्रशासन भी इस तरफ से आंखें मूंदे हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि सरकारी जमीन कब्जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री के इन तेवरों के बावजूद तहसील प्रशासन ने क्यों आंखें बंद कर रखी हैं।

जिम्मेदारों पर भू-माफिया की कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि इसमें सेटिंग का खेल चल रहा हैं। यही वजह है कि तहसील प्रशासन मौन धारण किये हैं। ‘जनवाणी’ लगातार सरकारी जमीन पर कब्जे के मामले को उठा रहा हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रशासनिक अफसर इसमें कोई कार्रवाई नहीं कर रहा हैं। कुछ लोगों ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत कर पूरे प्रकरण की जांच कर जमीन कब्जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई। शासन स्तर से भी इसमें रिपोर्ट मांगने की शिकायतकर्ता ने बात कही हैं।

दरअसल, मार्शल पिच (कंकरखेड़ा) में सरकारी जमीन व्यापक स्तर पर खाली पड़ी हैं। जो चाहता है, वहीं जमीन पर दीवार बनाकर कब्जे की प्रक्रिया आरंभ कर दे रहा हैं। ऐसा भी नहीं है कि करीब तीन वर्ष पहले प्रशासन ने व्यापक स्तर पर अवैध कब्जो को बुलडोजर चलाकर गिरा दिया था। तब अवैध कब्जे हटा दिये गए थे, वर्तमान में वहां फिर से दीवार बनाकर प्रतिष्ठान चालू कर दिये गए। ये तो निर्माण हो चुके हैं, उनकी बात हैं। यही नहीं, वर्तमान में एक तालाब रूपी सरकारी भूमि खाली पड़ी हैं,

इसमें मिट्टी का रात के अंधेरे में भराव चल रहा हैं। इसके ठीक सामने कुछ और भी दीवार खड़ी कर जमीन कब्जाई जा रही हैं। तालाब की खुदाई की जाती हैं, लेकिन यहां मिट्टी का भराव चल रहा हैं। इसके लिए जिम्मेदारों ने कार्रवाई करने की बजाय आंखें क्यों बंद कर रखी हैं, ये किसी के भी समझ में नहीं आ रहा हैं। लेखपाल और कानूनगो स्तर पर अवश्य ही कोई गड़बड़झाला किया जा रहा हैं, तभी तो इसमें कोई कार्रवाई नहीं की जा रही हैं।

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