- जिले में प्रदेश की पहली खेल यूनिवर्सिटी बन रही, लेकिन स्टेडियम की अनदेखी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिस जिले में प्रदेश का पहला खेल विश्वविद्यालय बनने जा रहा है। उसी जिले के स्पोर्ट्स स्टेडियम में सात खेलों के कोच उपलब्ध ही नहीं है। इन खेलों में अपने को साबित करने वाले खिलाड़ी बिना कोच के ही अपना पसीना बहाते हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने मेरठ को प्रदेश के पहले खेल विश्वविद्यालय की सौगात दी है। जिसके बाद मेरठ के आसपास के जिलों के खिलाड़ियों के लिए नई उम्मीद जगी है।
यहां पर खेलों में अपना भविष्य चमकाने वाले खिलाड़ियों में काफी उत्साह भी नजर आ रहा है, लेकिन कैलाश प्रकाश स्टेडियम में सात खेलों के कोच उपलब्ध नहीं है। इसको लेकर खिलाड़ियों का भविष्य कैसा होगा? यह सवाल उठ रहे हैं। स्टेडियम में जिन सात खेलों के कोच नहीं है। वह खेल है, आर्चरी, बैडमिंटन, बॉस्किट बॉल, जूडो, वालीबॉल, कबड्डी व फुटबॉल। बताया जा रहा है कि स्टेडियम में कुल आठ कोच ही है, जो अलग-अलग खेलों में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। जिनमें से बाक्सिंग के कोच भूपेन्द्र, जेपी यादव कुश्ती, क्रिकेट के कोच है, यह स्थाई है।
अप्सरा चौधरी शूटिंग, गौरव त्यागी एथलेटिक, भूपेश हॉकी, सतप्रकाश राघव वेटलिफ्टिंग, गिरीश नेटबॉल के कोच है। कोचों की नियुक्ति पूरे प्रदेश में खेल निदेशालय लखनऊ से होती है। पिछले सप्ताह लखनऊ में वेकेंसी निकलने के बाद कोचों के ट्रायल हुए हैं। उम्मीद है कि चुनावों के बाद उनको नियुक्ति मिल जाएगी, लेकिन मेरठ के लिए कोई कोच आएगा, यह अभी कहा नहीं जा सकता है। कुल मिलाकर मेरठ को खेल विश्वविद्यालय की सौगात तो मिल गई है, लेकिन स्टेडियम में कोचों की नियुक्ति पर अब भी सवाल उठ रहे हैं। उन खेलों में रुचि रखने वाले खिलाड़ियों का भविष्य कैसा होगा? जिनको अभी तक भी कोच नहीं मिल सके हैं। यह एक बड़ा सवाल है।