- घने कोहरे से कई मार्गों पर रात्रिकालीन सेवा हुई बाधित
- रोडवेज की आमदनी में भारी गिरावट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सर्दीला मौसम और खस्ता हाल रोडवेज, कौन सुधारेगा सिस्टम? कानपुर से मिली खटारा रोडवेज बसों की हालत खराब हैं। किसी में वाइपर नहीं है तो किसी की खिड़की टूटी हुई हैं। कई बसों की खिड़की में लगे शीशे बंद नहीं होते। इस तरह से सर्दीले मौसम में यात्रा करने वाले लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा हैं। कम से कम बसों के शीशे ठीक होने चाहिए। बसों में वाइपर की सुविधा भी बेतहर होनी चाहिए। वाइपर को लेकर पहले सोशल मीडिया पर परिवहन विभाग की खासी किरकिरी हो चुकी हैं,
इसके बावजूद परिवहन निगम के अधिकारी सुधर नहीं रहे हैं। कानपुर से जो बसें मेरठ को मिली हैं, वो कब खराब हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। एनसीआर में ये बसें नहीं दौड़ सकती, लेकिन कानपुर आरटीओ में इनका फिटनेस कराकर यहां पर खटारा बसों को दौड़ाया जा रहा हैं। इसको एनजीटी भी नोटिस जारी नहीं कर रहा हैं। सर्दी के सितम के बीच लोगों ने यात्रा करने से भी परहेज कर रखा है।
नए साल के आगमन के साथ ही दिन और रात के तापमान में अंतर कम होता जा रहा है। जहां बुधवार को अधिकतम तापमान 12 डिग्री तक गिरा, वहीं गुरुवार को इसमें और गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार गुरुवार को अधिकतम तापमान 10.6 और न्यूनतम तापमान 5.4 दर्ज किया गया। रात और दिन के तापमान में इतना कम अंतर होने से सर्दी का कहर जानलेवा बन रहा है। कोहरे और बर्फीली हवाओं के बीच दिन भर सूरज के न निकलने से हालात विकट हो रहे हैं। ऐसे में सफर तो दूर, लोग घरों से निकलने में भी परहेज करते दिख रहे हैं।
बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर का रुख किया जा रहा है। यही स्थिति बसों के माध्यम से यात्रा करने वालों की है। एक शहर से दूसरे शहर जाने का रिस्क वही लोग उठा रहे हैं, जिनके पास यात्रा ही अंतिम विकल्प है। इसके साथ ही मेरठ परिक्षेत्र में विभाग की ओर से जैसी बसें उपलब्ध कराई जा रही हैं, उनकी दशा किसी से छिपी नहीं है। अधिकांश बसें किलोमीटर या आयु के आधार पर कंडम होने की स्थिति में पहुंची हुई हैं। जिनको जैसे-तैसे चलाने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है।
अधिकारियों के निर्देश के बावजूद बहुत सी बसें ऐसी देखने को मिलती हैं, जिनमें कहीं न कहीं से हवा प्रवेश करके यात्रियों को कड़ाके की ठंड की चपेट में ले लेती है। इसके अलावा संचालन के दौरान चालक के स्तर से बैक मिरर देखने के नाम पर आगे के दो शीशे प्राय: खुले रखे जाते हैं। यात्री चाहे जितने सर्दी में ठिठुरते रहें, उनके कहने का चालकों पर कोई असर नहीं होता है। बसों के संचालन की स्थिति के बारे में आरएम केके शर्मा का कहना है कि अमूूमन 20 दिसम्बर से 15 जनवरी तक यात्रियों की संख्या में गिरावट आ ही जाती है।
आम दिनों में मेरठ परिक्षेत्र की बसों के माध्यम से एक लाख 40 हजार यात्री प्रतिदिन सफर करते हैं। तमाम व्यवस्थाओं में परिवर्तन करने और रात्रि कालीन सेवाओं को दिन के समय चलाए जाने के बावजूद यह संख्या एक लाख 15 हजार के औसत तक पहुंच सकी है। जिसके कारण निगम को प्रतिदिन होने वाली आय 90 लाख रुपये से घटकर 75 लाख रुपये प्रतिदिन के आसपास रह गई है।
रात की सेवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। आरएम का कहना है कि रात की बसों को बदला है, जिनकी संख्या आधे से भी कम हो गई है। खटारा बसों की शिकायत मिलती हैं तो उनको दिखवाया जाता हैं। लंबे रूट जैसे लखनऊ, आगरा के अलावा हरिद्वार समेत उत्तराखंड क्षेत्र के रूट पर बस सेवा बाधित है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जनवरी के दूसरे पखवाड़े में स्थिति में सुधार आएगा।