Saturday, July 27, 2024
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जर्जर बिल्डिंग, टूटे बेड और फटे गद्दे, ऐसी है स्वास्थ्य सेवाएं

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  • अंग्रेजी हकूमत ने घोषित किया था टाउन, आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहा

जनवाणी संवाददाता |

मोदीपुरम: चिकित्सक सहित कर्मचारियों का अभाव। ब्लड सहित अन्य जांच की कोई व्यवस्था नहीं। जर्जर बिल्डिंग, बाबा आदम के जमाने का टूटे-बेड। फटे चिथड़े गंदे गद्दे, बेडशीट। हम बात कर रहे हैं लावड़ के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की। गांव कस्बों में रहने वालों की मुसीबतें,

क्योंकि यहां न तो स्वास्थ्य सेवाएं ही बेहतर है और न ही साफ-सफाई है। ग्रामीणों की मानें तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ नाम लिखकर पर्चा काट दिया जाता है और फायदा न होने पर इलाज के लिए शहर की दौड़ लगानी पड़ती है। खासतौर पर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी होती है।

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अंग्रेजी हकूमत के दौर में टाउन बना लावड़ आज अपनी बेहुरमति पर आंसू बहा रहा है। इस कस्बे को ऐतिहासिक धरोहर के नाम से जाना जाता रहा है, लेकिन आज यह कस्बा अपनी पहचान के लिए मोहताज नजर आ रहा है। महानगर से मात्र 25 किमी की दूरी पर स्थित यह कस्बा हर तरह से विकसित दिखाई देता है, लेकिन सरकारी मशीनरी के लिहाज से अगर इस कस्बे पर नजर डाली जाए तो यह कस्बा आज अपनी बेबसी के आंसू बहाने के लिए मजबूर हो रहा है।

क्योंकि यहां सरकारी सुविधाएं के नाम पर इस कस्बे को सिर्फ खानापूर्ति के अलावा आज तक कुछ नहीं मिला है। कस्बे की आबादी लगभग 50 हजार के आसपास होगी। यह कस्बा कभी कंबल उद्योेग तो कभी चूड़ी उद्योेग तो कभी सब्जी उद्योेग के रूप में अपनी पहचान बनाता आया है। इस कस्बे में प्रॉपर्टी के लिहाज से भी काफी अच्छी खासी तरक्की हुई है, लेकिन इस कस्बे में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी बेबसी के लिए आंसू बहा रहा है।

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क्योंकि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आज भी इस आधुनिक युग में सिर्फ मरीजों को देखने के लिए चिकित्सक ही बैठे हैं। यह कार्य पिछले 20 वर्ष पहले भी होता था। जो आज हो रहा है। यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, खून या पेशाब आदि समेत किसी भी तरह की जांच नहीं होती है। यहां सिर्फ पर्ची बनाकर मरीज को दवाई दे दी जाती है। आज भी यहां के बाश्ािंदे 25 किमी की दूरी तय करके महानगर में प्यारेलाल अस्पताल में जाते हैं। वहीं, जांच कराते हैं।

जनप्रतिनिधि हो अफसर सभी ने की अनदेखी

जनप्रतिनिधि हो या सरकारी अफसर सभी ने कस्बे को अनदेखी का शिकार रखा है। आज के इस आधुनिक युग और इतनी आबादी वाले कस्बे को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक का दर्जा नहीं मिला है। सिर्फ आज भी यहां प्राथमिक केंद्र ही स्थापित है। इसलिए इस केंद्र की बेबसी अपनी हालात को उजागर कर रही है।

कर्मचारियों की तैनाती, लेकिन सुख सुविधा जीरो

प्राथमिक केंद्र पर दो चिकित्सक और आठ कर्मचारी की तैनाती बतायी जा रही है। जबकि अगर देखा जाए तो यहां क र्मचारी तो तैनात कर दिए गए हैं, लेकिन सुख सुविधा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दी गई है। हालांकि बुधवार और शनिवार को टीकाकरण किया जाता है और टीबी की जांच भी प्रतिदिन की जाती है, लेकिन इस प्राथमिक स्वास्थ्य कें द्र में विकास की राह अब भी आसान दिखाई नहीं दे रही है।

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