- वायुमंडल हो रहा है प्रदूषित, प्रदूषण विभाग हुआ अलर्ट
मिर्ज़ा गुलज़ार बेग |
मुजफ्फरनगर: कोरोना महामारी के चलते सरकार द्वारा किये गए अनलॉक के बाद अब पेपर इंडस्ट्री और कोल्हू व्यवसाय पटरी पर आ जाने के बाद जनपद में प्रदूषण बढ़ने लगा है, जो चिंता का विषय है। हालांकि प्रशासन द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के दावे किए जा रहे हैं, परन्तु जिस तरह प्रदूषण बढ़ रहा है, ऐसे में प्रशासन के दावे खोखले नज़र आ रहे हैं।
केंद्र और राज्य सरकार ने भले ही बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन को अलर्ट कर दिया हो, लेकिन दिल्ली के साथ-साथ मुज़फ्फरनगर भी प्रदूषण की चपेट में है। जनपद के सभी कोल्हुओं की भट्टियां गन्ने की खोई या लकड़ियों से न जलाकर उन्हें पेपर मिलों के बॉयलर से रिसायकल होकर निकलने वाली पन्नियों के स्क्रैप के साथ प्लास्टिक और रबड़ के जूते चप्पलों के स्क्रैप को जलाया जा रहा है।
कोल्हुओं की चिमनियों से निकलने वाले जहरीले धुंए और पेपर मिलों से निकलने वाली काली राखी उड़कर वायु मंडल को प्रदूषित कर रही है। क्षेत्रवासी वायुमंडल में फ़ैल रहे प्रदूषण से गंभीर बीमारियां होने व खेतों में खड़ी फसलों के नष्ट होने को लेकर चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं।
कोल्हू मालिक कोल्हू की भट्टियों में जलने वाली गन्ने की खोई पेपर मिलों में अच्छे दामों पर बिक्री कर मोटा मुनाफा कमाने में लगे हैं, वहीं भट्टियों में प्लास्टिक का कचरा फूंककर क्षेत्रवासियों को जहरीला वायु परोस रहे हैं। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निरंतर प्रदूषण फ़ैलाने वाली उद्योग इकाईयों पर शिकंजा कसा जा रहा है और जुर्माने की कार्यवाही भी अमल में लाई जा रही है।
मुज़फ्फरनगर के वायुमंडल में अब तक की गयी प्रदूषण की जांच में तीसरे स्थान पर पाया गया है जो एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार 179 प्रदूषण पाया गया गया है जो मोडरेट की श्रेणी में आता है। हालांकि कोरोना महामारी के चलते आने वाले सर्दी के मौसम में मानव जीवन को यह बढ़ता प्रदूषण सांस लेने में परेशानी, दम घुटना, फेफड़ों में इन्फेक्शन जैसी गंभीर बीमारियां परोस सकता है।
उत्तर प्रदेश के आगरा, बागपत, बुलंदशहर, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, मेरठ, मुरादाबाद, वाराणसी समेत अन्य शहरों की आबो हवा अब जहरीली हो चुकी है। मुज़फ्फरनगर शहर की वायु गुणवत्ता अच्छी नहीं है। कोरोना महामारी के चलते सरकार द्वारा किये गए लॉकडाऊन के दौरान भले ही मानव जीवन को खुली हवा में सांस लेना संजीवनी का कार्य कर रहा हो, लेकिन लॉकडाउन पर प्रतिबंध के बाद इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट, कोल्हू इत्यादि सभी व्यवसाय पटरी पर आ चुके हैं। जिसके चलते इंडस्ट्री व कोल्हुओं की चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुंवा आबो हवा में जहर घोल रहा है जिसके चलते वायु की गुणवत्ता में वायुमंडल में प्रदूषण की मात्रा में इजाफा हुआ है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुज़फ्फरनगर लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए उद्योग बंधुओ को मीटिंग कर चेतावनी दे रहा है। वहीं किसी भी प्रकार की अनियमतता पाए जाने पर फैक्ट्रियों पर जुर्माने की कार्यवाही करते हुए फैक्ट्रियों को सील कर जुर्माने की रकम को भी वसूला जा रहा है।
ये हैं प्रदूषण फैलाने के ज़िम्मेदार
वायु मंडल में प्रदूषण फ़ैलाने के मुख्य रूप से जिम्मेदार पेपर इंडस्ट्री के अलावा जनपद में चल रहे गुड बनाने के लगभग 1600 कोल्हू हैं। जनपद के सभी कोल्हुओं की भट्टिया को गन्ने की खोई या लकड़ियों से न जलाकर उन्हें पेपर मिलो के बॉयलर से रीसायकल होकर निकलने वाली पन्नियों के स्क्रेप के साथ प्लास्टिक और रबड़ के जूते चप्पलो के स्क्रेप से जलाया जा रहा है। पेपर इंडस्ट्री की भट्टियों में भी सुखी पन्नियों और प्लास्टिक के कचरे को चोरी छिपे जलाया जा रहा है। पेपर मिल की भट्टियों से निकलने वाली काली राखी को भी ठेकेदारों के माध्यम से खुले स्थानों पर सडको के किनारे भण्डारण किया जा रहा है, जो तेज हवा चलने के कारण हवा में उड़कर वायुमंडल में विलय होकर वायु प्रदूषण ही नहीं बढाती, बल्कि किसान की फसलों के साथ मानव जन जीवन को भयानक बीमारियां परोसकर प्रभावित करती है।
क्या कहते हैं लोग
स्थानीय किसान प्रेमपाल का कहना है की राक्खी चुना वालों ने यहां पर आतंक मचा रखा है। फैक्ट्रियों से स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है, बल्कि यहां के लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। मिल ठेकेदार राखी ले जाकर नहर में भी डाल देते हैं।
चिकित्सक भी हैं चिंतित
जनपद मुज़फ्फरनगर में निरंतर बढ़ रहे वायु प्रदूषण को लेकर चिकित्सक भी चिंतित है, क्योकि कोरोना महामारी में जंहा लोगो को मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है, वही वायुमंडल में बढ़ रहे प्रदूषण से आने वाली सर्दियों में मानव जीवन पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ने के आसार नजर आ रहे है। सरकारी अस्पताल के चिकित्साधिकारी डॉ मश्कूर आलम का कहना है कि जिस तरीके से अभी प्रदूषण बढ़ना शुरू हुआ है सर्दियों के टाइम में और ज्यादा बढ़ जाता है लोग जो लकड़ी जलाते हैं कोई भी जहरीली हवा होती है तो उसका फेफड़ों में निगेटिव इफेक्ट आता है कोरोना में भी फेफड़ो के इफेक्ट आते हैं इससे ज्यादा गंभीर मरीज आने की संभावना हो सकती है।
ये हैं प्रदूषण मापने के मानक
उत्तर प्रदेश के प्रमुख जनपदों में जंहा वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है वंही जनपद मुज़फ्फरनगर भी इस प्रदूषण से अछूता नहीं है , नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानकों के अनुसार वायु मण्डल में 0-50 को अच्छा, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को माध्यम, 201-300 को कमज़ोर, 301- 400 को ज़्यादा खराब और 401- 500 खतनाक कैटेगरी के माध्यम से वायु मंडल में हुए प्रदूषण की गुणवत्ता आँकी जाती है। जनपद मुज़फ्फरनगर के वायु मंडल में 179 प्रदूषण पाया गया है जो की 101-200 को माध्यम की श्रेणी में आता है या ये कहिये की बहुत ज्यादा भी नहीं है और बहुत कम भी नहीं है।
क्या कहते हैं अधिकारी
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुज़फ्फरनगर के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह का कहना है कि वर्तमान में मुजफ्फरनगर में ज्यादा प्रदूषण की स्थिति नहीं आई है। हमारे यहां मॉनिटरिंग स्टेशन लगा हुआ है, ऑनलाइन डाटा बताता है, मुजफ्फरनगर Moderate कैटेगरी में है, जो बाकी जनपदों से कम है दूसरी बात यह कि जनपद मुजफ्फरनगर अभी नॉन अमिटमेंट सिटी में नहीं आया है। यूपी के कुछ जनपद जैसे गाजियाबाद मेरठ हापुड़ कानपुर आदि कुछ जनपद जो है कि पिछले वर्ष अधिक वायु प्रदूषण की स्थिति होने के कारण नॉन अमिटमेंट सिटी में रखा गया है। उनके अलग एक्शन है, परंतु जनपद मुजफ्फरनगर एनसीआर मैं है हम इसकी निगरानी नियमित रूप से कर रहे हैं। प्रदूषण का असर ज्यादा ना हो अगले 15 तारीख से हमारे यहां रिस्पांस एक्शन प्लान ग्राफ्ट चालू होगा, जिसमें विभिन्न तरीके की काम कार्य किए जाएंगे, वायु प्रदूषण को रोकने के लिए इसमें इंडस्ट्रीज की चिमनियों की मॉनीटरिंग की जाएगी।