Saturday, July 27, 2024
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चिराग तले अंधेरा: निगम के एलईडी लाइट लगाने के दावों में झोल

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  • डीएन कालेज चौपले से घंटाघर तक अंधेरे की जद में रहता है शहर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: चिराग तले अंधेरा यह मुहावरा नगर निगम पर सटीक बैठता है। शहर में जहां नगर निगम मुख्यालय है, वहां से चंद कदमों की दूरी पर ही महानगर का रास्ता अंधेरे की चादर ओढ़े हुए हैं। जी हा! यह हाल शहर के मध्य स्थित महत्वपूर्ण इलाके का है। डीएन कालेज से घंटाघर जाना वाला रोड रातभर अंधेरे की जद में रहता है, मगर पथ पर प्रकाश के इंतेजाम करने वाला महकमा इस ओर से आंखे मूंदे हुए है। जबकि एलईडी लाइट से शहर को पाटने के दावे किए जा रहे है, मगर उनमें झोल की कहानी को यह मार्ग बयां कर रहा है।

नगर निगम प्रशासन का दावा है कि शहर में 70 हजार से अधिक नई एलईडी लाइटें लगाई जा चुकी हैं। इसके बाद भी महकमे के दफ्तर वाला इलाका रोशनी से महरुम है, मगर इसकी कोई सुध नहीं ली जा रही है। घंटाघर से डीन कालेज चौराहे के बीच की यह वो सड़क है, जहां से रोजाना अधिकारियों का आवगमन होता है। इसके बावजूद भी इस मार्ग पर प्रकाश के इंतेजाम से विभाग ने आंखे बंद कर रखी हैं।

रात के समय पूरे मार्ग पर कहीं कोई स्ट्रीट लाइट जलती दिखाई नहीं पड़ती है। जबकि शहर के बीच के इलाके का यह महत्वपूर्ण मार्ग और पूरे रात इस पर जिला अस्पताल होने के चलते आवागमन जारी रहता है। फिर भी कई मार्ग पर प्रकाश को बेहतर इंतजाम नगर निगम की ओर से नहीं हो पा रहे हैं। सहायक नगरायुक्त इन्द्र विजय का कहना है कि रात के समय इस मार्ग की स्ट्रीट लाइटें क्यों नहीं जल रही हैं, इसकी जानकारी ली जाएगी और अगर मार्ग पर लाइटें खराब हैं तो उनको बदल कर प्रकाश की व्यवस्था कराई जाएगी।

50% से अधिक घट गया निगम का बिजली बिल

नगर निगम ने दावा किया है कि शहर में एलईडी लाइट लगने से 50 फीसदी से अधिक विभाग के बिजली के बिल में कमी आयी है। जिससे महकमे को राजस्व का बड़ा फायदा हुआ है, जल्द ही इस विभागीय फायदे में और बढ़ोत्तरी होगी। जिसके लिए प्रक्रिया चल रही है और शहर को सोडियम मुक्त कर एलईडी युक्त किया जा रहा है। इससे बिजली की खपत कम होती है।

सहायक नगरायुक्त इन्द्र विजय ने बताया है कि नगर निगम की ओर से वर्ष 2019 तक 27 करोड़ रुपये वार्षिक बिजली बिल का भुगतान विद्युत विभाग को किया जा रहा था। ऊर्जा की बचत के लिए शहर को सोडियम मुक्त करने की मुहिम की शुरुआत के बाद इसमें 50 फीसदी से अधिक की कमी दर्ज हुई है। बताया कि शहर में सोडियम लाइट की जगह एलईडी लाइट लगाई गई हैं। जिसके बाद शहर में बिजली की खपत में भारी कमी आई है। पिछले दो साल से विभाग को इस मद में 27 की जगह 12 से 13 करोड़ के बीच ही बिजली बिल का भुगतान विद्युत विभाग को करना पड़ रहा है।

प्रकाश को 70 हजार एलईडी लाइट लगी

सहायक नगरायुक्त इन्द्र विजय ने बताया है कि निजी कंपनी ईईएसएल को सोडियम की जगह एलईडी लाइट लगाने का ठेका छोड़ा गया था। पहले चरण में 42 हजार और दूसरे फेस में 26 हजार एलईडी लाइटें शहर में लगाई जा चुकी है। मात्र अब शहर में तीन हजार सोडियम लाइटें बची हैं, जिनको शीघ्र ही बदला जाएगा। इसमें 40, 65, 70, 85, 150, 250 व 400 वॉट की लाइटें शामिल हैं।

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