Saturday, July 27, 2024
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हस्तिनापुर उत्खनन: खुदाई में मिले सिक्के और मुहर

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  • कुषाण काल में मथुरा, वृंदावन के राजाओं का हस्तिनापुर से रहा विशेष लगाव
  • तांबे के सिक्कों की कहानी अद्भुत और अनमोल, कर रहे स्वयं पुष्टि

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा वृंदावन और कर्म भूमि हस्तिनापुर का पूर्व काल से एक-दूसरे से गहरा नाता रहा है। पुरातत्व विभाग द्वारा चल रहे उत्खनन कार्य में मिले सिक्के भी इस ओर इशारा कर रहे हैं। महाभारत के बाद भी कुषाण काल में मथुरा वृंदावन के राजाओं का हस्तिनापुर विशेष लगाव रहा है।

पुरातत्व विभाग की ओर से महाभारात कालीन तार्थ नगरी में ऐतिहासिक साक्ष्यों में जहां खंडित मूर्ति सुर्खी, चूने से बनी लंबी दीवार बुलंद इमारत की दास्तां बयां करती है। वहीं, टीले से उत्खनन के दौरान मिले कुषाण काल की तांबे के सिक्के हस्तिनापुर और मथुरा वृंदावन के आपसी तालमेल को काथा सुनाते नजर आ रहे हैं। हालांकि कोई भी पुरातत्व विशेषज्ञ इसकी पुष्टि करता नजर नहीं आ रहा, लेकिन सिक्कों की कहानी अद्भुत और अनमोल है और खुदाई में मिले तांबे के सिक्के स्वयं अपनी पुष्टि कर रहे हैं।

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महाभारत कालीन तीर्थ नगरी में उल्टाखेड़ा टीले पर चले रहे उत्खनन 2300 साल पूर्व हस्तिनापुर में बुनकर उद्योग की पुष्टि कर रहा है। उत्खनन के दौरान टीम के सदस्यों को कई ऐसे भी प्रमाण मिले जो हस्तिनापुर में शुंग, कुशान, मौर्य काल के साथ गुप्त काल के मध्य कई 100 सालों तक कपडेÞ के व्यापार की कहानी बयां कर रहे हैं। उत्खनन के दौरान हस्तिनापुर के बर्बाद होने और विकास की गाथा उत्खनन में मिले तांबे के सिक्के सेक्शन डीपिंग के दौरान टीले के पश्चिमी तथा दक्षिणी हिस्से में शुंग, कुषान कालीन पक्की र्इंटों के संरचनात्मक अवशेष पाए गए हैं।

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उत्खनन में उत्तरी कालीन चमकीली मृदभांड तथा इसके पूर्व के सांस्कृतिक अवशेष मिले हैं। गंगा में समय-सयम पर आई बाढ़ के कारण हस्तिनापुर का कई बार विनाश हुआ, जिसके प्रमाण आज भी उल्टाखेड़ा टीले में दफन है, लेकिन टीम के सदस्यों को उत्खनन के दौरान हस्तिनापुर में बुनकर उद्योग के कई चार सौ से भी अधिक सालों तक रहने के प्रमाण मिले हैं। एएसआई के अधिकारियों को उम्मीद है कि इस बार खुदाई से हस्तिनापुर में हजारों वर्ष पुराने महाभारत सहित कई कालों के राज पर से पर्दा उठेगा।

व्यापार का गढ़ रही महाभारत कालीन तीर्थ नगरी

प्राचीन पांडव टीले पर पुरातत्व विभाग द्वारा किए जा रहे उत्खनन कार्य में पूर्व सप्ताह में टीम को जिस तरह कपड़ा उद्योग के बड़े प्रमाण मिले हैं। उत्खनन के दौरान पंचमार्क सिक्के मिलना भी हस्तिनापुर में व्यापार की दृष्टि को दर्शाता है। इतिहासकारों की माने तो पंचमार्क सिक्के राजाओं के साथ व्यापारियों द्वारा भी जारी किए जाते थे। हस्तिनापुर खनन में भारी मात्रा में पंचमार्क सिक्के का मिलना बड़े उद्योग केंद्र की पुष्टि करता है। हालांकि पुरातत्व विशेषज्ञ इस तरह से किसी भी प्रमाण की पुष्टि नहीं करते। पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि सिक्कों की जांच के बाद ही किसी बात की पुष्टि हो पाएगी।

गंगा किनारे राजमार्ग का पूर्व में था निर्माण

मौर्र्य राजाओं ने पाटलीपुत्र को जोड़ने के लिए तक्षशिला से एक राजमार्ग का निर्माण किया था। चंद्रगुप्त मौर्र्य ने यूनानी राजनयिक मेगस्थनीज की आज्ञा से इस राजमार्ग के रखरखाव के लिए अपने सैनिकों को विविध जगहों पर तैनात किया था। आठ चरणों में निर्मित यह राजमार्ग, पेशावर, तक्षशिला, हस्तिनापुर, कन्नौज, प्रयाग, पाटलीपुत्र और ताम्रलिप्त के शहरों को जोड़ने का काम करता था। मौर्य काल मे यही कारण है कि हस्तिनापुर व्यापार का बड़ा गढ़ हो गया। जोकि कुषाण काल या उसके बाद तक रहा हो।

रिंगवेल का हर छल्ला बयां करेगा कहानी

पांडव टीले पर चल रहे उत्खनन कार्य में पुरातत्व विभाग की टीम को रिंगवेल मिले हैं। जिनके रिंग लगातार गहराई की तरफ बढ़ते जा रहे हैं। रिंगवेल का हर छल्ला अपनी अलग कहानी बयां करता है। पुरातत्व विशेषज्ञों की माने तो रिंगवेल का हर छल्ला अपनी दास्तां बयां करने के साथ मौर्य काल के साथ हजारों साल के राज उगल सकता है।

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