- शहर में शामिल किए गए सैकड़ों गांव, सड़कें टूटी, नाले भारी गंदगी से पटे, उठ रही सड़ांध
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण में भले ही अपनी रैंक सुधार रहा हो, लेकिन यहां शहरवासियों को बुनियादी सुविधाएं देने में निगम पूरी तरह से पिछड़ा नजर आ रहा है। शहर का विकास होता जा रहा है, लेकिन शहर की जनता का विकास संभव नजर नहीं आ रहा है। शहर की सीमा की बात करें तो पिछले काफी समय से लगातार सीमा में वृद्धि हो रही है, लेकिन जो क्षेत्र में शहर में शामिल हो रहा है। उसका हाल अब भी वैसा ही है, जैसा पहले था। उधर, अधिकारी कागजों में ही विकास के नाम पर पैसा बहा रहे हैं, लेकिन धरातल पर कार्य होता नजर नहीं आ रहा है।
नगर निगम की सीमा में तो विस्तार हो गया, लेकिन उसकी सुविधाओं में विस्तार अभी तक नहीं हो पाया है। जो गांव नगर निगम में शामिल हुए थे उनके हालात आज पहले से भी बदतर स्थिति में हैं। इसके साथ ही शहर में भी विकास कार्यों पर ब्रेक-सा लगा है। शहर में अभी तक न तो ड्रेनेज सिस्टम में कोई सुधार हो पाया है। न ही नाले नालियां साफ हुर्इं है और न ही सड़कों के हाल सुधरे हैं।
नगर निगम कूड़ा उठाने के नाम पर अब वसूली शुरू करने वाला है, लेकिन लोगों को बुनियादी सुविधाएं देने के नाम पर जीरो है। नगर निगम की ओर से लगातार गांवों को नगरीय क्षेत्र में शामिल करने की योजना तैयार की जा रही है। नगरीय सीमा विस्तार का प्रस्ताव शासन के पास पहुंच चुका है। जिसमें नगर निगम की ओर से एक दर्जन से अधिक गांवों को नगर निगम में शामिल करने की योजना है।
यह पिछले चार सालों से शासन के पास स्वीकृति के लिये अटका है। हालांकि इनमें से कई गांव सीमा में शामिल भी हो चुके हैं। वर्तमान सत्र के शुरू में ही काजीपुर, घोसीपुर हाजीपुर समेत कई गांव सीमा में शामिल हुए थे। अब अभी और गांवों को भी नगर निगम में शामिल किये जाने की योजना है। नगर निगम लगातार सीमा में विस्तार तो कर रहा है, लेकिन यहां सुविधाएं न के बराबर हैं। कुछ सालों पहले ही नगर निगम में सीमा विस्तार कर वार्डों की संख्या 80 से 90 की, जिसमें काफी गांव शमिल हुए।
विकास कार्यों के नाम पर खर्च, विकास है नहीं
शहर के विकास की बात करें तो यहां सड़के टूटी हैं, ड्रेनेज सिस्टम फेल साबित हो चुका है ऐसी तमाम समस्याएं हैं, लेकिन नगर निगम की ओर से विकास कार्य कराने में खूब पैसा खर्च किया जा रहा है। गत पांच वर्षों की बात करें तो लगभग 220 करोड़ रुपये सड़क, नाली, और खड़ंजा बनाने में खर्च किये गये हैं। यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता मनोज चौधरी ने नगर निगम के जनसूचना अधिकारी से प्राप्त की।
उन्होंने बताया कि अकेले उनके वार्ड 64 में ही दो करोड़ खर्च हुए फिर भी उनके वार्ड में बदहाली है। न नालियां बनी हैं और सड़कों की हालत तो बदतर है। थापरनगर, पटेल नगर, सोतीगंज समेत कई क्षेत्रों में करोड़ों रुपयों के विकास कार्य हुए, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं दिखता। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम किस तरह से कार्य कर रहा है।
नहीं होती सफाई, जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर
शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। नगर निगम की ओर से सीमा का तो विस्तार किया गया, लेकिन सफाई कर्मचारियों की संख्या को नहीं बढ़ाया गया। सफाई कर्मचारी उतने के उतने ही बल्कि उनकी संख्या हर महीना घटती जा रही है। पहले जब 80 वार्ड थे तो सफाई कर्मियों की संख्या 3000 के पास थी, लेकिन अब 90 वार्ड हुए तो सफाई कर्मचारियों की संख्या और भी घट गई है। सफाई कर्मियों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है। बल्कि लोग रिटायर्ड हो रहे हैं और उनकी संख्या कम हो रही है।