- दो सगे भाई क्लर्कों की खुली फाइल, हो सकती है बड़ी कार्रवाई
रामबोल तोमर |
मेरठ: आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने वाले सरकारी महकमें के अधिकारियों पर सरकार शिकंजा कस रही है। ऐसा ही एक मामला नगर निगम का है, जिसमें दो सगे भाई नगर निगम में क्लर्क है। इन दोनों पर आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का आरोप है। इनकी सीबीसीआईडी ने जांच पड़ताल आरंभ कर दी है।
शासन से दोनों क्लर्कों के खिलाफ सम्पत्ति अर्जित करने के मामले की जांच पड़ताल करने के आदेश हुए हैं। शासन की इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है। आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का यह आरोप लगा है नगर निगम के क्लर्क धर्मेश व राजेश पर। ये दोनों सगे भाई है।
पहले संविदा पर कार्यरत थे, लेकिन बीच में 23 संविदा कर्मियों को स्थाई कर दिया गया था। इसको लेकर भी शासन स्तर से जांच पड़ताल चल रही है, जिसमें 23 संविदा कर्मियों के मामले में कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने फाइल तलब कर रखी है, जिसकी पत्रावलियां भी कमिश्नर को निगम अधिकारियों ने उपलब्ध नहीं कराई है।
अब बड़ा मामला है आय से अधिक सम्पत्ति की जांच का। सूत्रों का कहना है कि बीके गुप्ता नामक व्यक्ति ने धर्मेश व राजेश के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी। मुख्यमंत्री ने इसका संज्ञान लेते हुए तत्काल प्रभाव से निगम के दोनों क्लर्कों की सम्पत्ति की जांच कराने के आदेश सीबीसीआईडी को किये हैं। अब इसकी जांच पड़ताल सीबीसीआईडी करेगी।
आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के आरोपों की पुष्टि होती है तो इसकी रिपोर्ट तैयार करने के बाद ही दोनों क्लर्कों पर कार्रवाई होगी। शिकायतकर्ता बीके गुप्ता ने आरोप लगाया था कि पीवीएस मॉल के पास भी चार दुकानें निगम के क्लर्कों की है। इसके अलावा मंगलपांडे नगर व सूरजकुंड पर भी प्रॉपर्टी है।
लगाये गए ये आरोप कितने सही है? इसका तो जांच पड़ताल के बाद ही पता चलेगा, जिसके आधार पर ही कार्रवाई होगी। उधर, शिकायतकर्ता बीके गुप्ता ने भी इस पूरे मामले की जांच सीबीसीआईडी के पास आने की पुष्टि की है। इसका एक पत्र उनके पास भी पहुंचा है।
राजेन्द्र सिंह की चल रही विजीलेंस जांच
संविदा कर्मियों को स्थाई करने वाले तत्कालीन नगरायुक्त राजेन्द्र सिंह भी विवाद में फंस गए हैं। उनकी जांच भी विजीलेंस कर रही है। हालांकि राजेन्द्र सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन जो उनके खिलाफ शिकायतें थी, उनकी जांच पड़ताल विजिलेंस कर रही है। नगर निगम मेरठ में भी 23 संविदा कर्मियों को नियम विरुद्ध स्थाई कर दिया गया था।
इनमें धर्मेश, राजेश व दिनेश भी शामिल थे। इनमें दिनेश तत्कालीन नगरायुक्त रहे राजेन्द्र सिंह का रिश्तेदार है तथा उसकी तैनाती वर्तमान में जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाली सीट पर चल रही है। इसी वजह से 23 लोगों को स्थाई किया गया था। यही नहीं, इनमें नगरायुक्त के स्टेनो योगेन्द्र शर्मा के पुत्र भी शामिल थे।
छानबीन हुई तो कई की फंस सकती हैं गर्दन
और भी कर्मियों की सम्पत्ति की हो सकती है छानबीन। नगर निगम के दो क्लर्कों का ही नहीं, बल्कि और भी कर्मियों के आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामलों की जांच पड़ताल हो सकती है। राजस्व से जुड़े कई कर्मचारियों पर भी आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के आरोप लगते रहे हैं। उनकी भी छानबीन हुई तो कई बड़े मामले सामने आ सकते हैं।