- बिजनौर बैराज से लेकर गढ़मुक्तेश्वर तक गंगा नदी में कुल 41 डॉल्फिन, इनमें से 23 अकेले मेरठ में
- प्रशासन की उदासीनता मछलियों की जान पर भारी
- कई बार चेताया, लेकिन प्रशासन जागने को तैयार नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ‘डॉल्फिन’ यानि कि एक समुद्री स्तनधारी जीव। ‘डॉल्फिन’ जिसकी कुल 40 प्रजातियां पानी में अपनी मौजूदगी का एहसास कराती हों। ‘डॉल्फिन’ जिसके नाम में ही खूबसूरती झलकती हो। जब यह पानी में अठखेलियां करें तो देखने वाले इसके दीवाने हो जाएं। दुनिया भर में खास तौर से महाद्वीपीय जलसीमा के उथले सागरीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली ये मछली पश्चिमी यूपी की बेल्ट पर अपने वजूद से संघर्ष कर रही है।
बिजनौर बैराज से लेकर गढ़ मुक्तेश्वर तक की बेल्ट में मौजूद कुल 41 डॉल्फिन मछलियों को इस वक्त भू-माफियाओं की काली करतूतों से निजात की दरकार है। मेरठ के हस्तिनापुर में गंगा नदी के अंदर भी इस समय 23 डॉल्फिन मछलियां अठखेलियां तो कर रही हैं, लेकिन सहमी हुई हैं।
दरअसल, हस्तिनापुर की गंगा नदी में जिस जगह नाव हादसा हुआ था वहां अब पानी सूख चुका है। यह जगह हजारों एकड़ में है। कई भू-माफिया यहां पर इस समय अवैध रूप से बेल वाले फल व सब्जियों की खेती कर रहे हैं। गंगा की जमीन पर हो रही इस खेती पर जब यह भू-माफिया कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं तो यह कीटनाशक गंगा के जल में जाकर मिलते हैं। इसके चलते गंगा के पानी में मौजूद डॉल्फिन व अन्य जलीय जीव जन्तु के वजूद पर संकट के बादल मंडराने लगते हैं।
नमामि गंगे परियोजना को लग रहा पलीता!
केन्द्र सरकार की बेहद महत्वकांक्षी ‘नमामि गंगे’ परियोजना को भी यह भू-माफिया पलीता लगाने पर तुले हैं। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार द्वारा जून 2014 में राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रदूषण, संरक्षण एवं कायाकल्प के प्रभावी उन्मूलन के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के बजट का अनुमोदन किया गया था, लेकिन जिस प्रकार हस्तिनापुर में भू-माफियाओं द्वारा गंगा में अवैध कारोबार का धन्धा किया जा रहा है वो किसी चीर हरण से कम नहीं।
प्रशासन को कई बार अवगत करा चुके: डीएफओ
डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि बिजनौर बैराज से लेकर गढ़ मुक्तेश्वर तक डॉल्फिन की गिनती की गई। यहां कुल 41 डॉल्फि हैं। इनमें से अकेले हस्तिनापुर क्षेत्र में ही कुल 23 डॉल्फिन का पता चला। वो कहते हैं कि भू-माफियाओं द्वारा गंगा नदी में हो रही अवैध खेती यकीनन जलीय जीव जन्तुओं के लिए खतरनाक है।
डीएफओ के अनुसार पूर्व में डॉल्फिन के संरक्षण के लिए हमने प्रशासन को लिखा है। वो कहते हैं कि इस बारे में फिर से प्रशासन को अवगत कराते हुए भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।
भू-माफियाओं पर शिकंजा कसने की जरुरत: प्रो. भारती
प्रो. प्रियंक भारती के अनुसार भीकुंड स्थित गंगा के रकबे पर हो रही खेती पूरी तरह से अवैध है। वो कहते हैं कि जानबूझ कर सब अंजान हैं। प्रो. प्रियंक भारती के अनुसार भू-माफियाओं की करतूतों के चलते जहां जलीय जीव जन्तु अपने वजूद से संघर्ष कर रहे हैं
वहीं सरकारी योजना नमामि गंगे भी अपने उद्देश्य से भटक गई है। वो कहते हैं कि इस गंभीर मुद्दे पर प्रशासन के साथ साथ शासन को भी संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्र हित से जुड़ा प्रकरण है।